30 किलोमीटर की दूरी तय करने में लग गए 48 घंटे…! केजीएमयू से पांच को डिस्चार्ज हुआ बंदी सात को जेल पहुंचा, महानिदेशक कारागार ने कमिश्नर को पत्र भेजा, सुरक्षा में लगे कर्मियों पर उठे सवाल।
राकेश कुमार
लखनऊ। 30 किलोमीटर की दूरी तय करने में 48 घंटे लग गए। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन यह बात पुलिस महकमे के सुरक्षाकर्मियों ने सच कर दिखाई। केजीएमयू से डिस्चार्ज हुए एक खूंखार बंदी को जेल पहुँचाने में पुलिसकर्मियों ने 48 घंटे लगा दिया। केजीएमयू से डिस्चार्ज होने के बाद 48 घंटे बंदी कहाँ रहा इस सवाल का जवाब न तो जेल प्रशासन के पास है और न ही जेल मुख्यालय इस मसले पर कुछ बोलने को तैयार है। उधर विभाग के मुखिया ने सिर्फ यही कहा कि इस मामले में कमिश्नर को पत्र भेज दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक बाहुबली पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का कथित गुर्गा सैयद शकील हैदर लखनऊ जेल में बंद है। जेल प्रशासन के अधिकारियों ने मोटा सुविधा शुल्क लेकर ऑपरेशन के लिए केजीएमयू भेज दिया। कई बार केजीएमयू जाने के बाद भी बंदी का ऑपरेशन नहीं हुआ। जेल से केजीएमयू गया बंदी अस्पताल के नाम पर जेल के बाहर मौज कर रहा था। बंदी के किसी विरोधी ने इसकी शिकायत सीएम पोर्टल पर कर दी। इससे शासन में हडक़म मच गया। सीएम ने एसीएस होम से इसकी पड़ताल कराये जाने का निर्देश दिया। एसीएस होम ने डीजी जेल से बंदी के बारे में जानकारी देने को कहा। डीजी जेल ने डीआईजी मुख्यालय से इसकी रिपोर्ट मांगी।
सूत्रों का कहना हूं कि डीआईजी जेल ने बंदी की खोजबीन के लिए प्रदेश की समस्त जेल अधीक्षक को मैसेज भेजकर बंदी की रिपोर्ट देने को कहा। प्रदेशभर की जेलों में तलाश किया जा रहा यह बंदी लखनऊ जेल में मिला। दिलचस्प बात यह है कि जिस डीआईजी ने समस्त जेलों से बंदी की जानकारी मांगी उनके पास लखनऊ परिक्षेत्र की जेलों का भी प्रभार है। तलाश किया जा रहा बन्दी उन्हीं के रेंज की लखनऊ जेल में मिला। लखनऊ जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बचाव के लिए रात में जेल खुलवाकर बंदी की केजीएमयू से वापसी के लिए किए गए पत्राचार की कॉपियों को शासन भेज दिया।
सूत्रों का कहना है कि हार्निया के ऑपरेशन के लिए भर्ती किए गए इस बंदी को इससे पहले भी कई बार जेेल प्रशासन के अधिकारियों ने केजीएमयू में भर्ती कराया जा चुका है। इसके बाद भी बंदी का ऑपरेशन नहीं हो पाया। शासन की पड़ताल के बाद जेल मुख्यालय व लखनऊ जेल अफसरों में हडक़ंप मच गया। मामला शासन से जुड़ा होने के कारण केजीएमयू प्रशासन ने पहले तो बंदी की शुगर बढ़ी होने की बात कहकर 15 दिन बाद ऑपरेशन की बात कहकर बंदी को रोक लिया। मामला हाईकमान से जुड़ा होने की भनक लगते ही केजीएमयू चिकित्सक ने आनन-फानन में पांच मई को ही बंदी को डिस्चार्ज कर दिया। पांच मई को डिस्चार्ज हुआ यह बंदी सात मई को रात करीब दस बजे जेल पहुंचा। उधर इस मामले पर महानिदेशक कारागार आनंद कुमार का कहना है कि इसके लिए कमिश्नर को पत्र भेज दिया गया है। बंदी पुलिस सुरक्षा में केजीएमयू में भर्ती था।