किसान यूनियन के कार्यकता 11 को मनाएंगे जीत का जश्न-ललित त्यागी

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अजय सिंह

इस महत्वपूर्ण जीत का जश्न मनाया जाना चाहिए। किसान यूनियन पूरे देश में अपनी सभी प्रदेश इकाइयों और किसानों से जीत को मजबूत, व्यापक करने, एकता में दृढ़ रहने और एमएसपी, कर्ज माफी, आजीविका संसाधनों की रक्षा और अन्य सभी लंबित मुद्दों पर किसानों के जन आंदोलनों का निर्माण करने का आह्वान करता है। ताकि लंबे समय तक देश में किसान मजदूरों की एकता जीवित रहें किसान यूनियन व एसकेएम ने वर्तमान मोर्चों को समाप्त कर 11 दिसम्बर को जश्न के साथ वापस जाने का निर्णय लिया है। अमल के मूल्यांकन और अगली रणनीति के लिए 15 जनवरी 2022 को दिल्ली में बैठक होगी।

किसान यूनियन उन सभी लोकतांत्रिक ताकतों और जन संगठनों को बधाई देता है जिन्होंने इस संघर्ष के दौरान बहुमूल्य समर्थन दिया, विशेष रूप से आईएफटीयू और प्रमस को। हम उन सभी लोगों के प्रति भी अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हैं, जिन्होंने आंदोलन के दौरान भोजन, सुविधाएं और चिकित्सा शिविर प्रदान किए।

किसान यूनियन किसानों पर लखीमपुर खीरी नरसंहार के 5 शहीदों, 26 जनवरी और करनाल की घटना के शहीदों और 700 से अधिक किसानों को श्रद्धांजलि देता है जिन्होंने दिल्ली मोर्चा में रहते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।आज केंद्र सरकार का पत्र प्राप्त करने के बाद, जिसमें उसने एसकेएम द्वारा उठाए गए संदेहों को स्पष्ट किया है, अपनी बैठक में एसकेएम ने दिल्ली के आसपास के मौजूदा मोर्चों को वापस लेने का निर्णय लिया। समाधान मुद्दे ।

  1. 3 कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है।
  2. सरकार एमएसपी में मांग को पूरा करने के लिए एक समिति का गठन करेगी जिसमें एसकेएम के प्रतिनिधि भी सदस्य होंगे। समिति का कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी किसानों को एमएसपी का आश्वासन कैसे दिया जा सकता है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि राज्यों में एमएसपी पर फसलों की सरकारी खरीद को, जो खरीद की जा रही है, उससे कम नहीं किया जाएगा।
  3. सरकार के पत्र में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली सहित केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के विभागों द्वारा आंदोलन के दौरान दर्ज सभी केसों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाएगा।
  4. राज्य सरकारें इस आंदोलन में शहीद हुए सभी लोगों के परिवारों को मुआवजा प्रदान करेंगे, जिसके लिए हरियाणा और यूपी ने अपनी सहमति दे दी है और पंजाब ने पहले ही अपनी घोषणा कर दी है।
  5. बिजली विधेयक पर एसकेएम सहित सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने के बाद ही संसद में चर्चा की जाएगी।
  6. पराली जलाने से संबंधित अधिनियम की धारा 14 और 15 के प्रावधानों से किसानों पर आपराधिक दायित्व को हटाया जाएगा।

किसान यूनियन के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव संगठन एवं उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष ललित त्यागी का कहना है किसान यूनियन के लिए आज डबल खुशी का दिन है आज ही किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरबिंदर सिंह संधू का जन्मदिन है और आज ही सरकार के किसानों की सभी शर्ते मान लिया उन्होंने कहा अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर इस आंदोलन ने न केवल भारतीय कृषि और किसानों पर कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इस नव उदारवादी फासीवादी हमले को निर्णायक रूप से पीछे धकेल दिया है, इसने किसान पक्शधर सुधारों के लिए राष्ट्रीय एजेंडे में एमएसपी के मुद्दे को भी लाया है। सरकार ने समिति के एजेंडे के रूप में सभी किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की अवधारणा को स्वीकार कर लिया है। पर यह हमारी मांग के करीब नहीं है, जो सभी किसानों के लिए सभी फसलों के लिए एमएसपी घोषित हो, बी) एमएसपी को सी 2 पर समग्र लागत के अनुसार पारदर्शी रूप से गणना की जाए और सी 2 प्लस 50% पर घोषित किया जाए, ओर सरकार द्वारा ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमे घोषित एमएसपी पर सभी फैसलों की सरकारी खरीद की गारंटी की जाए।

इस जीत ने न केवल एमएसपी के मुद्दे पर पूरे भारत के किसानों में जागरूकता पैदा की है, बल्कि इस मांग के लिए भारत के नागरिकों के बीच व्यापक सहानुभूति और समर्थन पैदा किया है। यदि समिति परिणाम नहीं देती है, तो अब हमारा काम है कि हम इस मुद्दे पर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष का निर्माण करें, जो उतना ही दृढ़ हो, जैसा कि हमने अभी जीता है।हम इस बात पर प्रकाश डालना चाहते हैं कि इस आंदोलन ने अपनी अन्य उपलब्धियों के साथ-साथ आरएसएस के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के सांप्रदायिक और फासीवादी हमले को पीछे धकेल दिया है। इसमें पंजाब द्वारा कोरोना लॉकडाउन 1, हरियाणा में कोरोना लॉकडाउन 2 और 28 जनवरी को गाजीपुर में आरएसएस और पुलिस के हमले के खिलाफ बहादुरी और दृढ़ संकल्प का विशेष महत्व है।

इस आंदोलन ने पूरे भारत में किसानों और उनके संगठनों को एकजुट और गोलबंद करके देश के किसानों की कई समस्याओं पर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष के लिए बेहतर परिस्थितियों पैदा की है। इसने एकमात्र उपाय के रूप में चुनावी विकल्प के विरोध में संघर्ष की जमीन को मजबूत किया है। इसने लोकतांत्रिक ताकतों और लोगों के लिए आवाज उठाने के लिए जगह बनाई है। इसने किसानों के खिलाफ आरएसएस, सरकार और गोदी मीडिया के शरारती प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया है, उनके द्वारा किसानो को राष्ट्र विरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास विफल किए हैं।