प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के नाम पर लूट
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के नाम पर लूट

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प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के नाम पर लूट नई मत्स्य नीति से पुश्तैनी पेशेवर जातियाँ अपने वंशागत पेशे से हो जाएगी वंचित। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के नाम पर मत्स्यमंत्री की लूट।

लौटनराम निषाद

लखनऊ। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय मत्स्य सम्पदा योजना के नाम पर भोले भाले मछुआरों को झूठा भुलावा व लालच देकर मत्स्यमंत्री संजय निषाद व उनके परिवार द्वारा बड़े पैमाने पर धनउगाही की जा रही है। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने बताया कि मत्स्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत अनुदान के नाम पर हर जिले से हजारों हजारों लोगों से लूट की जा रही है।मंत्री के साथ इनका परिवार व इनके दलाल किस्म के कार्यकर्ता अनुदान व ऋण दिलाने के लिए हर जिले से हजार,2 हजार,5 हजार गरीब मछुआरों से आवेदन कराया गया है।

मंत्री व इनके करिन्दे जिले जिले घूमकर प्रचार करते हैं कि मत्स्य पालन के लिए ऋण व अनुदान चाहिए तो निषाद पार्टी का 1 हजार, 2 हजार व 5 हजार वाला सदस्य बनना होगा।उन्होंने वंशानुगत मछुआ समुदाय को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के 300 करोड़ व 20 हजार करोड़ का प्रचार कर बड़े पैमाने पर लूट का धंधा चला रहे हैं।वे कहते हैं,हम प्रधानमंत्री मोदी और गृह व सहकारिता मंत्री के टीम का नेता हूँ,मत्स्य पालन हेतु ऋण-अनुदान का वितरण हम खुद अपने द्वारा कराऊंगा। निषाद ने कहा कि नई मत्स्य नीति से पुश्तैनी पेशेवर वंशानुगत निषाद मछुआरा समुदाय की जातियाँ पूरी तरह अपने परम्परागत पेशे से बेदखल हो जायेंगी।वर्तमान में खुली नीलामी व्यवस्था से पात्र मछुआरे मत्स्य पालन का ठेका/पट्टा पाने से पूरी तरह वंचित हो रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा व वीपी सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में नौकाफेरी घाट,मत्स्य पालन व मत्स्याखेट व शिकारमाही को मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को पट्टा पर देने का शासनादेश जारी हुआ था। मुलायम सिंह यादव जी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में 1994-95 में 10 वर्षीय मत्स्य पालन पट्टा व 3 वर्षीय बालू मोरंग खनन व निकासी का पट्टा प्राथमिकता के आधार स्थानीय निषाद जातियों व क्षेत्रीय मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को ही देने का शासनादेश किये थे।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के नाम पर लूट

बसपा व भाजपा की सरकारों ने इसमें गैर मछुआरों को भी शामिल करने व सार्वजनिक नीलामी का शासनादेश जारी कर निषाद मछुआरों का पुश्तैनी पेशा से बेदखल कर दिया।सार्वजनिक नीलामी के कारण तालाबों,झीलों,पोखरों,जलाशयों पर बाहुबली मत्स्य माफियाओं व बालू माफियाओं के कब्जा हो जाने से गरीब,भूमिहीन मछुआरा जातियाँ अपने वंशानुगत पुश्तैनी पेशे से वंचित हो गयी हैं।

उन्होंने कहा कि मत्स्यमंत्री संजय निषाद माफियाओं से सांठगांठ कर नई मत्स्य नीति का जो प्रस्ताव तैयार कराए हैं,वह पूरी तरह मछुआरा विरोधी है। निषाद ने खुली नीलामी व्यवस्था खत्म कर 2 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के मीनाशयों,तालाबों,पोखरों का 10 वर्षीय पट्टा स्थानीय निषाद मछुआ जातियों को देने व 2 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के जलाज़हयों,झीलों,तालाबों का पट्टा क्षेत्रीय मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को देने का शासनादेश जारी करने की मांग किया है

समूह की व्यवस्था समाप्त कर राजस्व विभाग की भाँति जलाशयों का पट्टा आवंटन करने,2% व्याज की व्यवस्था कर राजस्व विभाग की नियमावली को लागू करने,प्रतिवर्ष 10% की लगान वृद्धि को खत्म करने की भी मांग किया है,राजस्व संहिता नियमावली में 10% वार्षिक लगान वृद्धि का नियम नहीं है। मत्स्य पालन पट्टा/ठेका में हैसियत प्रमाण पत्र लागू न कर पूर्ववत व्यवस्था को जारी रखा जाय।प्रथम वर्ष की बोली पर 10% जमानत राशि एफडीआर के रूप में कराया जाए।उन्होंने बताया कि शासनादेश संशोधन में प्रथम वर्ष की धनराशि के 60 प्रतिशत को एफडीआर जमा कराने का प्रयास किया जा रहा है जो माफियाओं के हित में मछुआरा विरोधी नीति है। उन्होंने कहा कि मत्स्यमंत्री संजय निषाद माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए संशोधित शासनादेश जारी कराने का जो प्रयास कर रहे हैं,वह पूरी तरह पुश्तैनी पेशेवर जन्मजात निषाद मछुआरा समाज विरोधी कदम है।

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