सनातन धर्म को मजबूत बनाए रखने की जरुरत-स्वामी चिन्मयानंद

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स्वामी अनादि सरस्वती चिति संधान योग केंद्र की प्रमुख बनी। अजमेर में हुई परंपरागत रस्म।सनातन धर्म को मजबूत बनाए रखने की जरुरत स्वामी चिन्मयानंद जी।

24 दिसंबर को अजमेर के लोहागल क्षेत्र स्थित अनादि धाम आश्रम के परिसर में चिति संधान योग केंद्र के संस्थापक रहे स्वामी धर्मप्रेमानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा हुई। इसी सभा में सैकड़ों साधु संतों की उपस्थिति में स्वामी जी की शिष्या स्वामी अनादि सरस्वती को उत्तराधिकारी घोषित किया गया। इसके साथ ही स्वामी अनादि को चिति संधान योग केंद्र का प्रमुख भी बनाया गया। स्वामी अनादि को पगड़ी पहनाने की रस्म हरिद्वार स्थित परमार्थ आश्रम के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद महाराज ने की। इस अवसर पर स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि अजमेर में ब्रह्माजी की नगरी पुष्कर होने के कारण ही स्वामी धर्म प्रेमानंद ने चिति संधान योग संस्थान की स्थापना अजमेर में की थी। इस केंद्र का उद्देश्य मनुष्य में चित हो ताकि धर्म की साधना बनी रहे। उन्होंने कहा कि धर्म प्रेमानंद जी जयपुर के शिल्पकार थे और उन्होंने राम-कृष्ण को समझने का कार्य किया। ब्रह्मलीन होने पर उन्हें गंगा में जल समाधि दी गई ताकि उनकी आध्यात्मिक साधना व्यर्थ न हो।

स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि स्वामी धर्म प्रेमानंद ब्रह्मलीन होते समय समाज को चैतन्य बनाए रखने के लिए अनादि सरस्वती हमें दे गए हैं। मुझे उम्मीद है कि स्वामी अनादि सरस्वती उत्तराधिकारी के तौर पर स्वामी धर्म प्रेमानंद के सिद्धांतों को मजबूत करेंगी। उन्होंने कहा कि स्वामी अनादि सरस्वती में वो शक्ति है जिसकी वजह से सनातन धर्म को मजबूत किया जा सकता है। आज कुछ ताकतें हमारे सनातन धर्म को कमजोर करने में लगी हुई है। ऐसी ताकतों को स्वामी अनादि सरस्वती जैसी विद्वान और प्रखर वक्ता मुंहतोड़ जवाब दे सकती है। मैं इस अवसर पर स्वामी अनादि सरस्वती के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हंू। इसी सभा में संन्यास आश्रम के स्वामी शिव ज्योतिषानंद, श्याम सुंदर शरण देवाचार्य आदि संतों के साथ साथ विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी आनंद अरोड़ा, शशि प्रकाश इंदौरिया, गजवीर सिंह चूंडावत, लेखराज सिंह, नीरज पारीक, कैलाश भाटी, अल्का गौड, प्रज्ञानपुरी महाराज आदि ने भी स्वामी अनादि सरस्वती के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। सैकड़ों साधु संतों की उपस्थिति में हुए समारोह में सभी ने अनादि सरस्वती के लिए प्रार्थना की।


शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करेंगे-अनादि सरस्वती-

चिति संधान योग केंद्र की प्रमुख बनने के बाद स्वामी अनादि सरस्वती ने कहा कि उनके गुरु स्वामी धर्मप्रेमानंद ने उन्हें जो कुछ भी सिखाया उनका प्रचार-प्रसार मजबूती के साथ करेंगी। उन्होंने कहा कि स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज और साधु संतों की उपस्थिति में मुझे उत्तराधिकारी बनाए जाने से एक आध्यात्मिक शक्ति का संचार हुआ है। मेरा प्रयास रहेगा कि अपने गुरु स्वामी धर्मप्रेमानंद की शिक्षाओं पर चलकर सनातन धर्म को मजबूत करे। स्वामी धर्म प्रेमानंद भले ही ब्रह्मलीन हो गए हैं, लेकिन उनकी शिक्षाएं मेरे साथ जुड़ी हुई है।