अमीर ही नहीं मिडिल क्लास फैमिली भी बसना चाहती है विदेश में

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अमीर ही नहीं मिडिल क्लास फैमिली भी बसना चाहती है विदेश में, महामारी में सामने आयी हकीकत, ये है वजह।

करोड़पति, अरबपति तो पहले ही देश छोड़कर जा चुके हैं जिसपर डेटा सहित पहले भी लिखा जा चुका है और उसका लिंक कमेंट बॉक्स में है। नेता और उधोगपति देश छोड़कर तो नही गये लेकिन विदेशों में ठिकाने जरूर हैं। उनके बच्चे और भविष्य दोनों सुरक्षित हैं।

अब सवाल है कि लोग देश छोड़कर जा क्यों रहे हैं? स्वर्ग से सुंदर, विश्वगुरु और विकसित, आत्मनिर्भर भारत से लोगों का इतना मोहभंग क्यों? जिस देश से कमाया,जिसने बनाया उसी देश को छोड़कर जाना कितना उचित है? इस फेहरिस्त में चोर और भ्रष्टाचारी ही नहीं आम साधरण, ईमानदार लोग अधिक हैं।

इससे प्रतीत होता है कि लोग समझ चुके हैं कि बोलने, विरोध करने या बहस करने का कोई लाभ नहीं है। यहाँ सुनने वाले कोई नहीं है। यहां बहस ही बेकार चीजों पर चलती रहती है। इस देश में अमीरों की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है और गरीबों की बड़ी आबादी को रोटी भी नसीब नहीं है इतनी असमानता और अनदेखी कभी खत्म नहीं हो सकती है।

जो लोग टैक्स दे रहे हैं उनके टैक्स का उपयोग नहीं, बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य का लाभ नहीं। जो लोग गरीब और पीड़ित हैं उनके लिये बेहतर योजना, नीति, लक्ष्य का कोई आधार नहीं। बस हवा, हवाई आत्मनिर्भरता है केवल। सत्ता भोगने वाले अशिक्षित और बेऔलाद लोग हैं लेकिन आप सोचकर देखिये आपके और आपके बच्चों का आज के समय क्या भविष्य बचा है?

आज यहां किसी को भी देशद्रोही बताने की परंपरा, कभी किसी को भी हीरो बनने का चलन, कभी किसी पर भ्रष्टचार के आरोप, कभी बढ़ती जनसंख्या की चिंता तो कभी विश्वगुरू के सपने लेकिन धरातल पर इसके लिए भी न ठोस पहल,न कार्यवाही, न उद्देश्य और न ही रणनीति। सरकार ने केवल आरोप, प्रत्यारोप में इतने वर्ष निकाल दिये।

सब लोग दुःखी हैं पर कोई खुलकर कह नहीं पा रहे। जो सक्षम है देश छोड़ने की रणनीति बना रहे हैं लेकिन बाक़ी क्या करें? चीन में भी बढ़ती जनसंख्या कारण है। बांग्लादेश, नेपाल में भी बेरोजगारी है, महामारी और समस्याएं विश्वव्यापी हैं लेकिन वहां की सरकारें प्रयत्न भी उसी स्तर पर कर रही है जबकि यहां अभी चुनाव की रणनीति बन रही है। अंत मे नेतृत्व का ही फर्क पड़ता है। अमेरिका में अभीतक डोनाल्ड ट्रम्प होता तो क्या वहां हालात सुधरते? हमने जिसे डंका बजाने वाला कहा लंका लगाकर जायेगा।