भरम ढ़ोते लोग….!

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डॉ0 अम्बरीष राय

भाजपा का भरम ढ़ोते लोगों को देखकर मुझे चंदन गुप्ता याद आ जाता है. वो चंदन गुप्ता जो कासगंज में 26 जनवरी 2018 को तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में मारा गया था. महंत जी की सरकार ने चंदन के परिवार से कई वादे किए थे. लेकिन हासिल की ज़मीन पर इस कट्टर योगी समर्थक को मौत मिली तो परिवार को बस भगवा झुनझुना. जिसको बजाते चंदन गुप्ता का परिवार इस साल तक खाली हाथ है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कितने संवेदनशील हैं, ये पब्लिक डोमेन में है. आपको याद ही होगा स्वतंत्र देव सिंह का तेल की लगातार बढ़ोत्तरी पर कहना कि उत्तर प्रदेश में तेल मंहगा नहीं है. उत्तर प्रदेश में कोई महंगाई नहीं है. इसी स्वतन्त्र देव पर बिलखते चंदन गुप्ता के पिता ने कहा कि वो कहते हैं कि ऐसे बहुत चंदन गुप्ता मरते रहते हैं.

भाजपा के बेगार शूटर मेरे लिए कोई चुनौती नहीं हैं, लेकिन जब ये झूठ की गोलियां मेरे तरफ चलाने लगते हैं तो मज़बूरी में मुझे सच का टैंक निकालना पड़ता है, फिर ये कुचले जाते हैं. ताजा मामला एक भाजपा समर्थक रहे व्यवसायी पर इनकम टैक्स के छापे का है. छापे में व्यवसायी के पास दो सौ करोड़ रुपये से ज़्यादा नगदी मिलने की बात है. व्यवसायी का नाम पीयूष जैन है. पीयूष जैन इत्र के बड़े कारोबारी हैं. पान मसाले का भी बड़ा कारोबार है. इनकम टैक्स विभाग ने 24 दिसम्बर को शिखर पान मसाला ग्रुप और इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर छापा मारा. नोटों के बंडल आंखें चुंधियाने के लिए काफी थे. ये उस देश में हो रहा था, जहां काला धन पर लगाम लगाने के लिए नोटबन्दी की गई थी. और नोटों की ये बरामदगी नोटबन्दी की फेल होने की कहानी बयान कर रही थी. लेकिन मौजूदा निज़ाम बेहद शातिर है. उसने बड़ी चालाकी से पीयूष जैन को समाजवादी पार्टी से जोड़ दिया. और नोटों को विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की जीत के लिए इस्तेमाल करने का प्रोपेगेंडा रच दिया.

बिका हुआ मीडिया, शातिर राजनेता और मस्तिष्क विहीन फौज के कॉकटेल ने उस पीयूष जैन को सपाई घोषित कर दिया, जो दरअसल भाजपा से नजदीकियां रखता था. पीयूष जैन को समाजवादी इत्र लॉन्च करने वाला कहा गया. जबकि समाजवादी इत्र लॉन्च करने वाले समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन हैं. लेकिन धूर्तता के नए सम्राटों ने इनको पीयूष जैन बनाकर समाजवादी पार्टी की साख को बट्टा लगाने की नाकामयाब कोशिश की और अभी भी लगातार किए जा रहे हैं. अगर इन दोनों जैनों की बात करें तो समाजवादी इत्र लांच करने वाले पम्पी जैन और पीयूष जैन के बीच इतना ही सबंध है कि दोनों कन्नौज के एक ही मुहल्ले के रहने वाले हैं और दोनों ही जैन हैं. इसके अलावा इन दोनों में कोई संबंध नहीं है.

दरअसल इस पूरे खेल को समझने के लिए आपको 24 का अंक याद रखना पड़ेगा. 24 मई 2019 को शिखर पान मसाला के फेसबुक पेज पर प्रधानमंत्री की फोटो के साथ सबका साथ सबका विश्वास और भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल पोस्ट किया गया था. देश में आम चुनाव की बयार बह रही थी. 24 मई 2019 से 24 दिसम्बर 2021 के बीच इस भाजपा समर्थक कारोबारी और सरकार बहादुर के बीच क्या बना बिगड़ा ये तो भाजपा नेता, भाजपा सरकार और इनकम टैक्स चोरी में फंसे पीयूष जैन ही बेहतर बता सकते हैं. लेकिन एक सामान्य बुद्धि विवेक रखने वाला व्यक्ति भी बता सकता है कि अपने ऊपर सरकार बहादुर की टेढ़ी नज़र, फिर इनकम टैक्स के छापे के बावजूद एक पार्टी इतना पैसा एक जगह स्टोर करके रखे.

गौरतलब है कि पिछले 18 दिसम्बर को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के करीबी सपा नेताओं के यहां इनकम टैक्स का छापा पड़ा था. जिसमें सपा नेता के राजीव राय के मऊ स्थित घर से साढ़े सत्रह हजार 600 रुपये मिले थे. अन्य लोगों के पास से भी कुछ भी ऐसा नहीं मिला कि समाजवादी पार्टी को घेरा जा सके. जो पार्टी इस बात के साथ खड़ी है कि उसको परेशान करने के लिए कभी भी मोदी सरकार की एजेंसियां धावा बोल सकती हैं, वो एक जगह पर इतना कैश क्यों रखेगा. एक बुद्धिजीवी ने तंज भरे शब्दों में कहा कि सपा पार्टी कार्यालय में इतना पैसा रख लेती, किसी की मजाल जो वहां पहुंच जाता. ख़ैर “इस्तेमाल करो और छोड़ दो” के सिद्धांत का कुशल प्रबंधन करती भाजपा अपने कितनों के साथ खड़ी होती है, इसकी बानगी सर्वत्र बिखरी पड़ी है. ना मुझे पश्चिम बंगाल का नाम लेने की ज़रूरत है और ना ही उत्तर प्रदेश की. ना तो अन्य राज्यों की. मेरे पास एक लंबी लिस्ट है. ये तो जहां-जहां भी भगवा ब्रिगेड है, वहीं उनके ना जाने कितने लोग अपने आपको यूज हुआ परिवार नियोजन का उपकरण समझते हैं, बताने की ज़रूरत नहीं है. झूठ के पांव नहीं होते. कितना चल पाता है, लाज़िम है हम देखेंगे.