जनसंख्या ही गरीबी,अशिक्षा का प्राथमिक कारण

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मुख्यमंत्री ने सरकारी योजना के तहत लाभ का उपयोग करने वाले लोगों के लिए दो बच्चों की नीति की वकालत की। कहा कि यदि राज्य सरकार द्वारा आवास योजना शुरू की जा सकती है तो दो बच्चों के लिए नियम कानून भी बनाए जा सकते हैं। धीरे-धीरे हर राज्य सरकार की योजना में जनसंख्या नियंत्रण नियम भी आ जाएगा।सरकार सभी गरीब लोगों की संरक्षक है। लेकिन सरकार को गरीबी कम करने और जनसंख्या वृद्धि के मुद्दे से निपटने के लिए आम लोगों के समर्थन की भी आवश्यकता है। जनसंख्या ही गरीबी, अशिक्षा का प्राथमिक कारण है। इसी के कारण उचित परिवार नियोजन नहीं हो पाता है।

लखनऊ। 11जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस,आजादी के बाद की भारत की 34 करोड़ की जनसंख्या वर्तमान में 138 करोड़ को पार कर चुकी है।उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को लेकर गहनता के साथ मंथन शुरू कर दिया गया है। विधि आयोग इसके लिए बाकायदा एक मसौदा तैयार कर रहा है। मसौदे के संबंध में मिल रही जानकारियों के मुताबिक 2 से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सब्सिडी बंद करने और सरकार की अन्य योजनाओं में कटौती का प्रस्ताव लाए जाने की बात कही जा रही है।उत्तर प्रदेश विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्यनाथ मित्तल ने देश में बढ़ती हुई जनसंख्या पर चिंता जताते हुए इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जाने पर जोर दिया है। विधि आयोग के अध्यक्ष आदित्यनाथ ने एक समाचार एजेंसी के साथ हुई बातचीत में कहा है की लगातार विस्फोटक होती जा रही जनसंख्या के कारण सरकार को विकास कार्यों के अलावा अन्य व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने में भारी समस्याएं हो रही है।

आज अस्पताल, खाद्यान्न, आवास और रोजगार आदि की समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं। हमारा मानना है कि जनसंख्या पर नियंत्रण होना ही चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण परिवार नियोजन से अलग है। विधि आयोग के अध्यक्ष ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उनका यह बयान किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है और ना ही वह नागरिकों के मानवाधिकार को चुनौती देना देना चाहते हैं। हम उत्तर प्रदेश में इस बात का संदेश देना चाहते हैं कि हम किसी विशेष धर्म या किसी के मानवाधिकारों के खिलाफ नहीं हैं। हम बस यह देखना और सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सरकारी संसाधन और सुविधाएं उन लोगों को आसानी के साथ उपलब्ध हो जो जनसंख्या नियंत्रण में सरकार की मदद कर रहे हैं और अपना योगदान दे रहे हैं। यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है 10 जून को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी गरीबी कम करने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय को जनसंख्या नियंत्रण के उपायों की दिशा में काम करने और जागरूक करने की बात कही थी।

पानी की गुणवत्ता के मामले में गुणवत्ता सूचकांक पर हम 122देशों की सूची मे 119 वें स्थान पर है। दुनिया के तमाम देशों की राजधानियों में दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी के रूप में कुख्यात है।प्रदूषण के कारण दुनिया में मरने वाले 28 प्रतिशत लोग भारतीय हैं। वर्तमान में अगर कैंसर,टीबी,हाइपरटेन्शन,डायबीटीज जैसी तमाम बीमारियों के सबसे ज्यादा मरीज दुनिया में कहीं पर हैं तो अपने देश भारत में ही हैं।

कम क्षेत्रफल और सीमित संसाधनों के बीच भारत की बेतहाशा बढती जनसंख्या एक चिन्ता का सबब बनती जा रही है।और भारत की जनसंख्या वृद्धि का यही हाल रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में हम चीन को पछाड़ कर विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में जाने जाएँगे इसमें कोई दोराय नहीं। 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किलोमीटर था,तब भारत की जनसंख्या मात्र 34 करोड़ थी और आज वर्तमान में जब भारत का क्षेत्रफल घटकर मात्र 33 लाख वर्ग किलोमीटर ही बचा है,तफ भारत की जनसंख्या 138 करोड़ को पार कर चुकी है, और आने वाले कुछ वर्षों में हम चीन को पछाड़ कर विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में होंगे,जबकि हमारा कुल क्षेत्रफल चीन के क्षेत्रफल का एक तिहाई भी नहीं है। दुनिया की लगभग 18 प्रतिशत जनसंख्या भारत में निवास करती है,जबकि 2.4 प्रतिशत वन और 4 प्रतिशत पीने का पानी भारत में उपलब्ध है।यह एक बहुत ही चिन्तनीय बिषय है कि अपने देश में जनसंख्या-संसाधन असंतुलित है।आज आज़ादी के 74 साल बीत जाने के बाद भी 75 प्रतिशत भारतीय परिवारों शुद्ध पेय जल उपलब्ध नहीं जो एक सबसे बड़ा चिन्ता का विषय बना हुआ है। एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 22 भारतीय शहर शामिल हैं।

शुद्ध जल,शुद्ध आबोहवा,सबको शिक्षा,सबको रोजगार,दो वक्त की रोटी हम तभी यथोचित उपलब्ध करा सकेंगे जब हमारा भारत की बढती हुई जनसंख्या में नियंत्रण हो जाएगा। जनसंख्या नियंत्रण में केवल सरकार ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इस बिषय में जन-जन को सचेत होना परमावश्यक है।हम दो हमारे दो, छोटा परिवार सुखी परिवार, बढती आवादी है- देश की बर्बादी आदि नारों को बुलन्द कर हमें इन पर खुद अमल कर अशिक्षित लोगों को भी जागरूक करना होगा। ताकि हमारा भारत देश सर्वदा उज्ज्वल भविष्य की अग्रसरित रहे।

अतः जनसंख्या नियंत्रण के मामले में अब आवश्यकता यह है कि सभी राजनीतिक दल जाति,मजहब,और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में राज्यों के साथ-साथकेन्द्रीय स्तर भी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने में मदद करें, ताकि देश की जनता को खराब सेहत,प्रदूषण, बेरोजगारी, अशुद्ध जल,अशिक्षा और अन्य समस्याओं से छुटकारा मिल सके।