सांसदों की विदाई पर राज्य सभा में भावुक हुए प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर राज्यसभा को संबोधित किया। इसी दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने गुलाम नबी आजाद की जमकर तारीफ की।गुजरात के यात्रियों पर जब आतंकवादियों ने हमला किया, सबसे पहले गुलाम नबी आजाद जी का उनके पास फोन आया, वो फोन सिर्फ सूचना देने का नहीं था, फोन पर गुलाम नबी आजाद के आंसू रुक नहीं रहे थे। 

संसद के ऊपरी सदन से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद सहित चार सांसदों की विदाई हो रही है। जिन सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें दो पीडीपी, एक कांग्रेस और एक भाजपा सांसद शामिल हैं। इस मौके पर मंगलवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने गुलाम नबी आजाद की जमकर तारीफ की। वहीं एक आतंकी घटना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि किस तरह से उस समय गुलाम नबी आजाद फंसे हुए लोगों की चिंता अपने परिवार के सदस्यों की तरह कर रहे थे। इतना ही नहीं तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी उनकी मदद की थी। 

आतंकी घटना का जिक्र करते हुए भावुक हुए पीएम मोदी:- गुलाम नबी की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,  ‘गुलाम नबी जी जब मुख्यमंत्री थे, तो मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारी बहुत गहरी निकटता रही। एक बार गुजरात के कुछ यात्रियों पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया, 8 लोग उसमें मारे गए। सबसे पहले गुलाम नबी जी का मुझे फोन आया। उनके आंसू रुक नहीं रहे थे। गुलाम नबी जी लगातार इस घटना की निगरानी कर रहे थे। वे उन्हें लेकर इस तरह से चिंतित थे जैसे वे उनके परिवार के सदस्य हों। मैं श्री आजाद के प्रयासों और श्री प्रणब मुखर्जी के प्रयासों को कभी नहीं भूलूंगा। उस समय प्रणब मुखर्जी जी रक्षा मंत्री थे। मैंने उनसे कहा कि अगर मृतक शवों को लाने के लिए सेना का हवाई जहाज मिल जाए तो उन्होंने कहा कि चिंता मत करिए मैं करता हूं व्यवस्था। वहीं गुलाम नबी जी उस रात को एयरपोर्ट पर थे।’

सदन में जब बोलते-बोलते रुक गए प्रधानमंत्री :- राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद के योगदान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। प्रधानमंत्री इतने भावुक हुए की बोलते-बोलते रुक गए। उन्होंने अपने आंसू पोछे। फिर टेबल पर रखे गिलास से पानी पिया और कहा सॉरी। इसके बाद उन्होंने फिर अपना संबोधन शुरू किया।
गुलाम नबी से सीखना चाहिए किस तरह संभाला जाता है पद राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पद आते हैं, उच्च पद आते हैं, सत्ता आती है और इन्हें किस तरह से संभालना है, यह गुलाम नबी आजाद जी से सीखना चाहिए। मैं उन्हें सच्चा दोस्त समझूंगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके एक जुनून के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं, वो है बागवानी। वो यहां के घर में बगीचे को संभालते हैं, जो कश्मीर की याद दिलाता है।

पार्टी, देश और सदन की चिंता करते हैं गुलाम नबी :- प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद जो भी इस पद को संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी। क्योंकि गुलाम नबी जी अपने दल की चिंता करते थे, लेकिन देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे। श्री गुलाम नबी आजाद ने सांसद और विपक्ष के नेता के रूप में बहुत उच्च मानक स्थापित किए हैं। उनका काम सांसदों की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। मैं अपने अनुभवों और स्थितियों के आधार पर गुलाम नबी आजाद जी का सम्मान करता हूं। 

प्रधानमंत्री ने सांसदों का किया धन्यवाद :- प्रधानमंत्री ने कहा, श्रीमान गुलाम नबी आजाद जी, श्रीमान शमशेर सिंह जी, मीर मोहम्मद फैयाज जी, नादिर अहमद जी मैं आप चारों महानुभावों को इस सदन की शोभा बढ़ाने के लिए, आपके अनुभव, आपके ज्ञान का सदन को और देश को लाभ देने के लिए और आपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान के लिए आपके योगदान का धन्यवाद करता हूं।’