वसंत पंचमी पर्व का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

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सृष्टि की रचना के समय ब्रह्माजी ने महसूस किया कि जीवों की सर्जन के बाद भी चारों ओर मौन छाया रहता है। उन्होंने विष्णुजी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे पृथ्वी पर एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई। छह भुजाओं वाली इस शक्ति रूप स्त्री के एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में पुष्प, तीसरे और चौथे हाथ में कमंडल और बाकी के दो हाथों में वीणा और माला थी। ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, चारों ओर ज्ञान और उत्सव का वातावरण फैल गया, वेदमंत्र गूंज उठे। ऋषियों की अंतःचेतना उन स्वरों को सुनकर झूम उठी। ज्ञान की जो लहरियां व्याप्त हुईं, उन्हें ऋषिचेतना ने संचित कर लिया। इसी दिन को बंसत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। 

  • सादगी और निर्मलता को दर्शाता है पीला रंग  हर रंग की अपनी खासियत है जो हमारे जीवन पर गहरा असर डालती है। हिन्दू धर्म में पीले रंग को शुभ माना गया है। पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है। पीला रंग भारतीय परंपरा में शुभ का प्रतीक माना गया है। 
  • आत्मा से जोड़ने वाला रंग फेंगशुई ने भी इसे आत्मिक रंग अर्थात आत्मा या अध्यात्म से जोड़ने वाला रंग बताया है। फेंगशुई के सिद्धांत ऊर्जा पर आधारित हैं। पीला रंग सूर्य के प्रकाश का है यानी यह ऊष्मा शक्ति का प्रतीक है। पीला रंग हमें तारतम्यता, संतुलन, पूर्णता और एकाग्रता प्रदान करता है। 
  • सक्रिय होता है दिमाग – मान्यता है कि यह रंग डिप्रेशन दूर करने में कारगर है। यह उत्साह बढ़ाता है और दिमाग सक्रिय करता है। नतीजतन दिमाग में उठने वाली तरंगें खुशी का अहसास कराती हैं। यह आत्मविश्वास में भी वृद्धि करता है। हम पीले परिधान पहनते हैं तो सूर्य की किरणें प्रत्यक्ष रूप स दिमाग पर असर डालती हैं।