अमृत काल में वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की भूमिका-निर्मला सीतारमन

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अमृत काल में वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की भूमिका-निर्मला सीतारमन
अमृत काल में वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की भूमिका-निर्मला सीतारमन

केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने गुजरात के केवड़िया में आयोजित वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के चिंतन शिविर की अध्यक्षता की। सीतारमन ने अधिकारियों से सरकार के पास उपलब्ध संसाधनों एवं अनुभवों के विशाल भंडार का अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया। अमृत ​​काल में 2047 के विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ने के प्रयासों को संवारने के लिए युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन दें। चिंतन शिविर के मौके पर, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने गुजरात के केवड़िया में जी-20 इंडिया फाइनेंस ट्रैक टीम के साथ बातचीत भी की।   अमृत काल में वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की भूमिका-निर्मला सीतारमन

वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय का तीन-दिवसीय चिंतन शिविर आज गुजरात के केवड़िया में संपन्न हुआ। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी और डॉ. भागवत किशनराव कराड़ की उपस्थिति में इस चिंतन शिविर की अध्यक्षता की। इस चिंतन शिविर में वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। वित्त सचिव, आर्थिक कार्य विभाग (डीईए), निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम), राजस्व विभाग (डीओआर), वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) तथा कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिवों, प्रमुख आर्थिक सलाहकार, सीबीडीटी एवं सीबीआईसी के अध्यक्ष भी इस विचार-विमर्श का हिस्सा थे।  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित ‘पांच प्रण’ को अपनाकर अमृत काल के लक्ष्यों को हासिल करने के बारे में वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मुक्त और स्पष्ट तरीके से चर्चा की गई।“अमृत काल में वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की भूमिका”, “हमारी क्षमताओं का निर्माण” और “हमारी दक्षता में सुधार” विषय पर संवादात्मक सत्र आयोजित किए गए।सीतारमन ने अधिकारियों को सरकार के पास उपलब्ध संसाधनों और अनुभवों के विशाल भंडार का अधिकतम उपयोग करने की सलाह दी। वित्त मंत्री ने अमृत काल में 2047 के विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ने के प्रयासों को संवारने के लिए युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन देने की आवश्यकता को रेखांकित किया। सीतारमन ने अधिकारियों से अपनी निर्धारित भूमिकाओं से परे जाकर नए क्षेत्रों का पता लगाने और अन्य क्षेत्रों पर भी अतिरिक्त प्रभाव डालने का आग्रह किया ताकि ऐसे सहक्रियात्मक विचार सामने आएं जो समग्र मंत्रालय के लिए उपयोगी हो सकें।

 केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि प्रभावशीलता और दक्षता दोनों दीर्घकालिक परिघटनाएं हैं और व्यक्तिगत एवं संस्थागत दक्षता, दोनों पर ध्यान देने के साथ-साथ सुधार नीति में निरंतरता सार्वजनिक सेवा की आपूर्ति के महत्वपूर्ण तत्व हैं। सूचना की अधिकता की परिघटना को प्रभावशीलता और दक्षता के लिए प्रतिकूल बताते हुए, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सेवा की आपूर्ति और जुड़ाव को अधिकतम करने के लिए वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, दोनों को न केवल संपूर्ण-सरकार के दृष्टिकोण, बल्कि संपूर्ण-देश के दृष्टिकोण पर ध्यान देते हुए प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

सीतारमन ने वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से अमृत काल और उसके बाद के समय में परिणाम देते हुए 2047 तक विकसित भारत बनाने के साधन विकसित करने के लिए नए प्रतियोगियों/युवा सहयोगियों को लगातार सलाह देने का आग्रह किया। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने सांस्कृतिक संदर्भ में नीतियों में लगातार बदलाव करने, निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्वामित्व की भावना पैदा करने और दक्षता के साथ प्रभावशीलता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।चर्चा के दौरान, केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने 2047 तक एक विकसित देश बनने की भारत की यात्रा के लक्ष्यों को सकारात्मक तरीके से हासिल करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य-उन्मुखीकरण का आह्वान किया।

सत्र के दौरान अपने संबोधन में, केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड़ ने ज्ञान और कौशल के माध्यम से आत्मविश्वास बनाने पर जोर दिया। डॉ. कराड़ ने कहा कि सेवाओं की आपूर्ति के वास्तविक मूल्यांकन के लिए उचित फीडबैक तंत्र विकसित करने के अलावा जानकार भागीदारों एवं हितधारकों के साथ परामर्श करके निर्णय लिए जाने चाहिए।

 “अमृत काल में वित्त मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की भूमिका” विषय पर आयोजित सत्र विकास एवं स्थिरता को संभव बनाने और निम्नलिखित चार विषयों पर केन्द्रित था:-

  1. पूंजी निर्माण और प्रतिधारण
  2. समावेशी विकास
  3. आत्मनिर्भर भारत
  4. सार्वजनिक वित्त का सुदृढ़ीकरण

 “हमारी क्षमताओं का निर्माण” विषय पर आयोजित सत्र के दौरान निम्नलिखित बिन्दुओं पर चर्चा हुई:-

  1. पेशेवर क्षमता का निर्माण
  2. व्यक्तिगत क्षमता का निर्माण
  3. कार्य-जीवन संतुलन क्षमता
  4. संस्थागत क्षमता

इस सत्र के दौरान चर्चा मानव संसाधन और संस्थानों के मामले में क्षमता निर्माण के विभिन्न पहलुओं, प्रौद्योगिकी एवं सॉफ्टवेयर-आधारित प्रणालियों की भूमिका, अंतरा एवं अंतर-मंत्रालयी परामर्श, विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण के महत्व और 2047 तक मजबूत एवं सुदृढ़ विकसित भारत के निर्माण की यात्रा में अमृत काल के दौरान अग्रणी भूमिका निभाने के लिए युवा पीढ़ी को सलाह देने पर केन्द्रित थी।

“हमारी दक्षताओं का निर्माण” विषय पर आयोजित सत्र के दौरान निम्नलिखित बिन्दुओं पर गहन चर्चा की गई:-

  1. कुशल एवं समर्पित श्रमशक्ति को संभव बनाना
  2. मजबूत आंतरिक प्रक्रियाएं
  3. आंतरिक हितधारकों के साथ समन्वय एवं जुड़ाव
  4. बाहरी हितधारकों पर ध्यान
  5. संगठनात्मक संस्कृति में बदलाव

इस सत्र में चर्चा कौशल बढ़ाने, मजबूत संगठनात्मक प्रक्रियाओं को बनाए रखने, फाइल प्रबंधन प्रणालियों को सुव्यवस्थित करने और वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने, शुरू से ही हितधारकों को शामिल करने, नागरिकों के अनुकूल प्रौद्योगिकी उपकरण का उपयोग करने, सार्वजनिक सेवाओं की आपूर्ति के प्रति संपूर्ण सरकार एवं समग्र दृष्टिकोण अपनाने, नागरिक-केन्द्रित सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति करने, प्रयासों के दोहराव को दूर करने और भविष्य की तैयारी के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने एवं एआई का उपयोग करने के इर्द-गिर्द घूमती रही। चिंतन शिविर के मौके पर, केन्द्रीय वित्त मंत्री ने जी20 फाइनेंस ट्रैक इंडिया टीम के साथ भी बातचीत की। जी20 फाइनेंस ट्रैक टीम ने सीतारमन के साथ जी20 की भारत की अध्यक्षता के पहले नौ महीनों के दौरान कामकाज के विभिन्न पहलुओं पर विचारशील आत्मनिरीक्षण को साझा किया। अमृत काल में वित्त मंत्रालय एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की भूमिका-निर्मला सीतारमन