स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बेटी पेंशन पाने की हकदार-दिल्ली हाईकोर्ट

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“स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बेटी आश्रित के रूप में पेंशन योजना का लाभ पाने की हकदार”।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक विकलांग, मानसिक रूप से अशक्त और बिस्तर पर पड़ी महिला को राहत देते हुए कहा है कि कहा है कि एक स्वतंत्रता सेनानी की विधवा बेटी एक आश्रित के रूप में पेंशन योजना यानी स्वतंत्र सैनिक सम्मान पेंशन योजना का लाभ पाने की हकदार है।

जस्टिस वी कामेश्वर राव की एकल पीठ ने 12 फरवरी 2020 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें गृह मंत्रालय ने संशोधित नीति दिशानिर्देशों के पैरा 5.2.5 के संदर्भ में, जिसमें कहा गया है कि विधवा / तलाकशुदा बेटी पेंशन के लिए पात्र नहीं है, याचिकाकर्ता महिला के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के साथ-साथ कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय को दोहराया, जिसमें यह माना गया था कि पेंशन योजना का लाभ तलाकशुदा बेटी को भी स्वीकार्य होगा।

कोर्ट ने कहा,

“मैं पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के साथ-साथ कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा लिए गए दृष्टिकोण से सहमत हूं, विशेष रूप से जब उसी खंड जिसके तहत याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों द्वारा लाभ से वंचित करने की मांग की गई थी, विधवा बेटिययों को राहत देने के लिए विचार किया गया था।

तदनुसार, वर्तमान रिट याचिका को अनुमति दी जाती है। 12 फरवरी, 2020 के आक्षेपित आदेश को रद्द किया जाता है।”

एक विधवा बेटी द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसके पिता की मृत्यु 01 नवंबर, 2019 को हो गई थी, जो उसे एकमात्र आश्रित के रूप में छोड़ गया था। इसलिए याचिका में योजना के तहत दी गई स्वतंत्रता सेनानी पेंशन के हस्तांतरण की मांग की गई।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा खजानी देवी बनाम यून‌ियन ऑफ इंडिया और अन्य में दिए गए निर्णय पर न्यायालय ने भरोसा किया था, जिसमें न्यायालय का विचार था कि इस कारण का कोई तर्क नहीं है कि अविवाहित बेटी को पात्र आश्रितों की सूची में शामिल किया जा सकता है और तलाकशुदा बेटी को बाहर रखा जाएगा, खासकर जब वह एकमात्र आश्रित पात्र हो।

हाईकोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस निर्णय पर भी भरोसा किया, जिसमें यह देखा गया था कि विधवा/तलाकशुदा बेटियों को व्यापक रूप से बाहर रखना, यहां तक ​​​​कि जिनके पास भरण-पोषण के बदले कोई व्यक्तिगत आय नहीं है, स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 14 के अनुरूप नहीं, जो सभी नागरिकों को समानता की गारंटी देता है।

इसलिए कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि अगर वह योजना के तहत अन्य शर्तों को पूरा करती है तो याचिकाकर्ता को पेंशन योजना के तहत आश्रित पेंशन देने के याचिकाकर्ता के मामले पर विचार किया जाए।

टाइटिल: श्रीमती कोल्ली इंदिरा कुमारी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया