श्रीराम के नाम अयोध्या का नवनिर्माण

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राम मंदिर के साथ-साथ अयोध्या का हिंदू धार्मिक पर्यटन के केंद्र ‌बिंदु के तौर पर पुनर्निर्माण करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार 5,000 करोड़ रुपए खर्च कर रही हैं.

  • आशीष मिश्र

अयोध्या के निवासियों में 5 अगस्त को गजब का उत्साह दिखाई दे रहा था. इस उत्साह में महामारी के कारण वांछित सामाजिक दूरी की बंदिशें उन्हें रोक नहीं पाईं और शाम को पौराणिक राम की पैड़ी घाट पर अयोध्यावासी भारी संख्या में जुटे. वहां, उन्होंने राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत को
स्मरणीय बनाने के लिए ‘दीपोत्सव’ मनाया और करीब 3,50,000 दीप प्रज्वलित किए.आखिरकार, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिन में भूमि पूजन करने और राम मंदिर के लिए आधारशिला रखने के बाद कहा, ‘‘भारत के इतिहास में एक नया अध्याय’’ जो शुरू हो रहा था. इस अवसर पर शुद्ध चांदी की 22.6 किलोग्राम ईंट का उपयोग किया गया. महामारी के कारण पैदा हुई बाधाओं का प्रभाव इस आयोजन में भी दिखाई दे रहा था.

प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ चार अन्य लोगों—आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपालदास, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही मंच साझा किया. बताया गया कि केवल 175 लोगों को समारोह के लिए
आमंत्रित किया गया था, उनमें से कई आध्यात्मिक नेता और ऐसे अन्य लोग थे जो राम मंदिर आंदोलन से शुरू से ही जुड़े हुए थे. हालांकि आंदोलन के कुछ उल्लेखनीय चेहरे नदारद थे.

मोदी राम जन्मभूमि स्थल और अयोध्या के सबसे पुराने हनुमानगढ़ी मंदिर का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री भी बन गए. उन्होंने पूजा से पहले पारिजात का एक पौधा भी लगाया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने इसे मुक्ति का दिन बताया और इसकी तुलना 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के साथ करते हुए कहा कि राम मंदिर के निर्माण से अयोध्या के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा क्योंकि यह नगरी दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करती है.और ऐसा हो सकता है अगर अयोध्या को इक्ष्वाकु वंश की पौराणिक नगरी के रूप में विकसित करने की आदित्यनाथ सरकार की योजना साकार हो जाती है. केंद्र और राज्य सरकार की 5,000 करोड़ रुपए की विकास योजनाएं पहले से ही चल रहीहैं .

राज्य के संस्कृति और पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘में नवनिर्माण
कार्य वर्षों से रुका हुआ था क्योंकि राम जन्मभूमि का विवाद अदालत में लंबित था.इसके कारण स्थायी प्रकृति का कोई भी कार्य नहीं हो सका था. अब, अयोध्या को एक नए इक्ष्वाकु नगर के रूप में विकसित करने की परिकल्पना की गई है और उसकी के अनुरूप एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. पर्यटन और संस्कृति विभाग इसमें विशेष योगदान दे रहे हैं ताकि इसके सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व को उजागर किया जा सके.’’
इसके संकेत पहले से ही, लखनऊ-गोरखपुर राजमार्ग एनएच-28 पर दिखने लगे हैं. ‘अयोध्या कट’ से बाईं ओर मुडऩे पर सरयू नदी तट की ओर लेकर जाने वाली 2.5 किमी लंबी सड़क का कायाकल्प हो चुका है. यह सड़क रामकथा पार्क, अंतरराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय, कोरिया पार्क, नया घाट और चौधरी चरण सिंह घाट से होकर गुजरती है. इसका अंतिम पड़ाव धनुषाकार भजन संध्या स्थली है.

यह ओपन एयर थिएटर, जिसमें 5,000 लोग बैठ सकते हैं, भविष्य में अयोध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी करेगा. सड़क के दूसरी तरफ राम की पैड़ी घाट है जिसे बहुत से लोग अयोध्या की पहचान कहते हैं. निर्बाध जल आपूर्ति की परियोजना इसी साल मार्च में पूरी हुई और यह बहुत भव्य दिखती है. यह अब एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन गया है.अगर सब कुछ योजनानुसार चला तो अयोध्या का नवनिर्माण और राम मंदिर, दोनों बड़े कार्य एक साथ पूरे हो जाएंगे. जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘जब लोग नए इक्ष्वाकु नगर में प्रवेश करेंगे तो उन्हें ऐसा महसूस होना चाहिए कि वे भगवान राम की नगरी में आए हैं.’’ इस नए आध्यात्मिक शहर का एक किनारा
प्रसिद्ध गुप्तार घाट होगा. ऐसा माना जाता है कि राम ने अपने भाइयों के साथ सरयू के तट पर इसी घाट पर जल समाधि ली थी.

घाट पर पूजा कराने वाले पंडित रमेश पांडे कहते हैं, ‘‘उत्तर प्रदेश में सरयू उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है, लेकिन गुप्तार घाट की स्थिति ऐसी है कि यहां से यह नदी उत्तरवाहिनी हो जाती है. इसलिए यहां यह दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है. यही कारण है कि गुप्तार घाट को अयोध्या का मस्तक कहा जाता है.’’

इसके पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, गुप्तार घाट से राम जन्मभूमि तक के 1,800 एकड़ क्षेत्र को इक्ष्वाकु नगर के रूप में विकसित किया जाएगा. मास्टर प्लान के अनुसार, 5 किमी लंबे नदीतट को इस तरह से बनाया जाएगा कि राम मंदिर इन घाटों से दिखाई दे. नया बसने वाला शहर भी वैदिक ज्ञान का एक केंद्र बन जाएगा—एक वैदिक विश्वविद्यालय और एक शोध संस्थान यहां स्थापित किए जाएंगे.

पुरानी अयोध्या की भी अनदेखी नहीं की जा रही है. शहर के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए योजनाएं बनाई गई हैं. जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘‘अयोध्या केवल हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान नहीं है. यहां सिखों के भी कई पवित्र स्थल हैं, जिनमें गुरुद्वारा बह्मïकुंड साहेब, गुरुनानक गोविंद धाम और गुरुद्वारा गुरुसिंह सभा शामिल हैं जिसे देशभर में गुरुनानकपुरा के नाम से जाना जाता है. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए, अयोध्या उनके 24 तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का जन्मस्थान है. अयोध्या की इन सभी तीर्थ स्थलों के विकास के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है.’’

आने वाले वर्षों में पर्यटकों की आमद की उम्मीद में, सरकार तीन पांच सितारा होटल, तीन से 10 तीन सितारा होटल और 20-30 ऐसी सुविधाओं का निर्माण करने का प्रस्ताव कर रही है, जहां करीब 10,000 लोगों को ठहराया जा सकता है. 2017 से, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या में
दिवाली समारोह—’दीपोत्सव’—के आयोजन ने ‘राम नगरी’ को देश और विदेश में एक विशिष्ट पहचान दी है.

सरकारी आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. 2019 में यहां 2.1 करोड़ पर्यटक आए. लेकिन कोविड-19 के प्रकोप के कारण इस साल सन्नाटा छाया रहा. अयोध्या में पर्यटन विभाग के एक अधिकारी का कहना है, ‘‘बड़ी गिरावट आई है, जुलाई के अंत तक यहां 50 लाख से भी कम पर्यटक आए.’’ विभाग को उम्मीद है कि वायरस के प्रकोप से मुक्ति के बाद चीजें बेहतर होंगी.

इन सभी विकास कार्यों के बीच, अयोध्या प्रशासन के लिए सरयू नदी को साफ रखना एक बड़ी चुनौती है. कुल आठ नाले नदी में गिरते हैं. उन्हें राम घाट पर 12 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से सीधे जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है. 363 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा 32 एमलएलडी क्षमता के एक नए संयंत्र का निर्माण कार्य भी अपने अंतिम चरण में है.

अयोध्या में पाइपलाइन से पेयजल की उपलब्धता भी एक बहुत बड़ी समस्या है. पिछले दो वर्षों में, करीब 8,000 घरों को पाइपलाइनों से जोड़ा गया है. अयोध्या के महापौर हृषिकेश उपाध्याय कहते हैं, ‘‘निगम अगले दो वर्षों में अयोध्या में हर घर को पाइपलाइन से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है.’’

अयोध्या जिला पहले दो प्रशासनिक प्रभागों, फैजाबाद और अयोध्या नगर पालिका परिषद में विभाजित था. 9 मई, 2017 को इन दोनों नगर पालिका परिषदों को मिलाकर अयोध्या नगर निगम बनाया गया था. उपाध्याय का कहना है कि बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने के लिए उन्हें भविष्य में और जमीन की जरूरत होगी. इसे ध्यान में रखते हुए, निगम शहर की सीमाओं का विस्तार कर रहा है.

मेयर बताते हैं, ”41 राजस्व गांवों को शामिल करने के प्रयास जारी हैं. उनके समावेश के साथ, शहर में 35 वर्ग किमी का अतिरिक्त क्षेत्र शामिल हो जाएगा; अयोध्या शहर 90 वर्ग किलोमीटर में फैला होगा.’’ यह एक स्मार्ट शहर होगा जिसमें 14 करोड़ रुपए की एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली होगी.

नए इक्ष्वाकु नगर का खाका तैयार हो चुका है. ऐसे में क्या नई राम नगरी पुराने जख्मों पर मरहम लगाएगी और क्या यह शहर अपने सभी नागरिकों का पूरा ख्याल रखेगा? कुछ लोगों को इन भव्य योजनाओं की सफलता पर संदेह है, लेकिन जैसा कि अयोध्या के पुराने निवासी और साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य वी.एन. अरोड़ा कहते हैं, ‘‘अयोध्या के निवासियों ने पिछले 50 वर्षों में केवल विध्वंस और तनाव ही देखा है. अब, पहली बार, वे यहां निर्माण और विकास देखेंगे.’’ उम्मीद की ये किरणें बहुत मायने रखती हैं.

‘‘जब लोग नए इक्ष्वाकु नगर में प्रवेश करेंगे तो उन्हें ऐसा महसूस होना चाहिए कि वे भगवान राम की नगरी में आए हैं.’’

अयोध्या के पर्यटन पर जोर…..

राम की मूर्ति–

भगवान राम की 251 मीटर ऊंची मूर्ति के लिए 1,000 करोड़ रुपए, जो ”दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति’’ होगी; इसके लिए 84 हेक्टेयर भूमि अयोध्या में माझा बरहटा में अलग रखी जा रही है. योजना है कि तीन साल में राम मंदिर निर्माण पूरा होने पर मूर्ति को स्थापित किया जाएगा.

तुलसी उद्यान —अयोध्या में हनुमानगढ़ी के पास कवि तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पार्क का सौंदर्यीकरण किया जाएगा; वाइ-फाइ से लैस यह जिले का पहला पार्क होगा. वास्तविक डिजाइन को बरकरार रखने के लिए पार्क के पास बने भवनों का नवीनीकरण किया जाएगा.

अयोध्या शोध संस्थान–

संस्थान का रिकॉर्ड 17 करोड़ रुपए की लागत से डिजिटाइज किया जाएगा. एक रामलीला अकादमी की भी योजना है जहां छात्रों को लोक कला का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

परिक्रमा परियोजना–

अयोध्या में चार तरह की परिक्रमा हैं: रामकोट परिक्रमा, 5 कोसी परिक्रमा, 14 कोसी परिक्रमा और 84 कोसी परिक्रमा. इन परिक्रमा के मार्ग में हर 10 किमी पर पर्यटन विभाग के सुविधा केंद्र बनेंगे. इसके लिए 20 करोड़ रुपए अलग रख दिए गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय–

अयोध्या बाइपास पर अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में रामायण की थीम पर एक नए प्रेक्षागृह का निर्माण किया जाएगा. वहां ऑडियो-विजुअल वर्णन, एक डिजिटल रामायण गैलरी आदि की योजना बनाई गई है.

रामलला हवाई अड्डा– 500 करोड़ रुपए की लागत से अवध विश्वविद्यालय के पास स्थित हवाई पट्टी को नागरिक हवाई अड्डे के तौर पर विकसित किया जाएगा; इसके लिए 102 हेक्टेयर भूमि का इंतजाम हुआ है. सरयू नदी के तट पर खुले सभागार के निर्माण का कार्य आखिरी चरण में है.

कोरिया पार्क–

कोरिया की राजकुमारी क्वीन हो की याद में सरयू के तट पर बने पार्क का विस्तार किया जा रहा है. 2.5 एकड़ पर 25 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह पार्क भारत-कोरिया के संबंधों का स्मारक होगा.

परिक्रमा मार्ग–

3,000 करोड़ रुपए की लागत से 275 किमी लंबे 84 कोसी परिक्रमा मार्ग का नवीनीकरण किया जाएगा. चित्रकूट जाने वाले हाइवे से इसे जोड़ा जाएगा. यह परियोजना 2023 तक पूरी होनी है.

परिवहन–

एनएच-28 पर एक नया बस स्टैंड अयोध्या ‘तीर्थ यात्रा सर्किट’ का हिस्सा होगा. ‘रामनगरी’ अयोध्या रेलवे स्टेशन को दोबारा डिजाइन करने के लिए 104 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.