सपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर आज सभी जनदों में तहसील स्तर पर समाजवादी कार्यकर्ताओं ने भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करते हुए महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। तहसील मुख्यालय जाते हुए समाजवादी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने कई स्थानों पर रोकेन की कोशिश की, उनसे झड़पें हुई।

 पुलिस ने कन्नौज, फरेंदा (महाराजगंज) तथा बांदा में प्रदर्शन कर रहे शांतिपूर्ण समाजवादी कार्यकर्ताओं पर अकारण लाठीचार्ज किया।

 लखनऊ में वंदना चतुर्वेदी, अशोक गुप्ता सहित दर्जन भर कार्यकर्ताओं तथा बांदा में श्री विजय करन यादव जिलाध्यक्ष तथा नगर अध्यक्ष श्री मोहन साहू सहित लगभग चार दर्जन कार्यकर्ताओं, नेताओं की गिरफ्तारी की गई है।
    ज्ञापन में कोरोना संकट काल में आवश्यक उपकरणों की खरीद में घोटाला, स्वास्थ्य सेवाओं में अनियमितता, भ्रष्टाचार, सरकारी उत्पीड़न में वृद्धि, बेहाल किसान, बेरोजगारी और ध्वस्त कानून व्यवस्था के मुद्दे उठाते हुए राज्यपाल महोदया से संवैधानिक कार्यवाही करने का आग्रह किया गया है। प्रदेश भर में आज समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन की गूँज रही।
     विभिन्न जनपदों में आज हजारों की संख्या में एकत्र होकर समाजवादी कार्यकर्ताओं ने सरकारी मनमानी, ध्वस्त कानून व्यवस्था, बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी, लाॅकडाउन के दौरान आए।

 समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा है कि भाजपा ने अपने चाल-चरित्र से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पूरी तरह पूंजीघरानों की हितरक्षक है। किसान मजदूर और नौजवान उसकी प्राथमिकता में नहीं आते हैं। वह किसानों को मजदूर बनाने वाले कृषि अध्यादेश के बाद अब श्रमिक विरोधी औद्योगिक सम्बंध संहिता-2020 विधेयक ले आई है। नौजवानों पर तो आए दिन उसकी लाठियां बरस ही रही है।


    भाजपा सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव के नाम पर केवल पूंजीपतियों की मनमानी करने की छूट दी हैं। अब तक 100 से कम कर्मचारी वाले औद्योगिक प्रतिष्ठान या संस्थान ही पूर्व सरकारी मंजूरी के बिना कर्मचारियों को रख और उन्हें हटा सकते थे। अब नई व्यवस्था में 300 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कम्पनी सरकार से मंजूरी लिए बिना कर्मचारियों की जब चाहे छंटनी कर सकेंगे।

    नए प्राविधान से अब बड़े फैक्ट्री मालिकों के हाथ में छंटनी का ऐसा हथियार आ गया है जिसका दुरूपयोग करके और दबाव डालकर एक तो कर्मचारी यूनियन ही बनने नहीं देंगे, दूसरे अपने कर्मचारियों को छंटनी का जब तब भय दिखाकर उन्हें बंधुआ मजदूर बनाकर रखने को स्वतंत्रत होंगे। भाजपा कर्मचारियों के हितों की हत्या कर मालिकों को मलाई बांटने का काम कर रही है।
    समाजवादी पार्टी श्रमिकों के हितों की सुरक्षा के लिए जोरदार आवाज उठाएगी।

बेकारी सुरसा की तरह बढ़ती जा रही है। पहले ही कोरोना संकट और लाॅकडाउन से बड़ी संख्या में श्रमिकों को तमाम आर्थिक परेशानियां उठानी पड़ रही है। आज भी वे उससे उबर नहीं पाए हैं। अब भाजपा श्रमिक वर्ग का मनोबल तोड़ने, उन्हें असहाय बनाने की साजिश में जुट गई है। इससे साबित हो गया है कि श्रमिकों को रोजगार देने के उसके दावे सिर्फ सफेद झूठ है। ऐसी झूठी और प्रपंच रचने वाली सरकार को जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। सन् 2022 के चुनावों में किसान, श्रमिक और नौजवान मिलकर भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का पुण्य कार्य करेंगे।