25 दिसम्बर को समाजवादी किसान घेरा का होगा आयोजन

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पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि समाजवादी पार्टी की प्राथमिकता में गांव-खेती और किसान रहे हैं। इस पार्टी के कार्यकर्ता भी ज्यादातर किसान हैं, इसलिए खेती से जुड़े सवालों पर इसकी चिंता स्वाभाविक है। भाजपा सरकार की नीतियां कारपोरेट की पोषक हैं। तीन कृषि अधिनियम बनाकर भाजपा सरकार ने किसानों के हितों पर गहरी चोट की है। इससे देश का किसान आंदोलित और आक्रोशित है। समाजवादी पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ है। भारत बंद में भी समाजवादी पार्टी किसानों के पक्ष में खड़ी रही।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसाानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह जी हैं। 23 दिसम्बर 2020 को उनकी जयंती है। समाजवादी पार्टी इसे ‘किसान दिवस‘ के रूप में मनाएगी। 25 दिसम्बर 2020 को समाजवादी किसान घेरा का आयोजन होगा। गांव के स्तर पर किसानों के बीच अलाव जलाकर समाजवादी नेता भाजपा की किसान विरोधी नीतियों का पर्दाफाश करेंगे। 25 दिसम्बर 2020 को महाराजा बिजली पासी जयंती मनाई जाएगी।
भाजपा सरकार ने किसानों के साथ किया गया अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया। न तो किसानों को लाभकारी समर्थन मूल्य मिला, नहीं उत्पादन लागत का ड्योढ़ा दाम मिला। मंहगाई और कर्ज से त्रस्त किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों की आय दुगनी करने की दिशा में तो दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं है। गन्ना किसानों का अभी तक बकाया अदा नहीं हुआ। किसानों की खेती कारपोरेट के हाथों गिरवी रखने तथा खेती पर से किसानों का स्वामित्व छीनने के लिए भाजपा सरकार तीन नए कानून ले आई है। इस कानून से किसान का हक और सम्मान दोनों छिन जाएंगे। इसलिए पूरे देश में किसान आंदोलन चल रहा है।
समाजवादी पार्टी किसान को भाजपा की कुनीतियों से अवगत कराने के लिए ही समाजवादी पार्टी किसान घेरा कार्यक्रम का आयोजन कर रही है क्योंकि भाजपा नेतृत्व किसानों में भ्रम और भय फैलाकर अपनी राजनीतिक स्वार्थ पूरा करना चाहता है। किसानों को भाजपा नेता बदनाम कर रहे हैं। इस सबके खिलाफ समाजवादी पार्टी संघर्षरत है।