भरोसा और विश्वास का दूसरा नाम भूपेंद्र यादव

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राजनीति में सफलता ही नहीं बल्कि भरोसा और विश्वास भी बनाया है भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव ने।

30 जून को अजमेर से लेकर दिल्ली तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव का 52वां जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया गया। चूंकि यादव अजमेर के निवासी है, इसलिए उनके शुभचिंतकों ने जन्मदिन के अवसर पर केक काटे। इसी प्रकार दिल्ली में सरकारी आवास पर जन्मदिन की बधाई देने वालों का दिनभर तांता लगा रहा। कई केंद्रीय मंत्रियों और राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्विटर पर यादव को जन्मदिन की बधाई दी। अजमेर में जन्मदिन समारोह के आयोजन भाजपा के पार्षद जेके शर्मा और भांवता के पूर्व सरपंच गिरधारी सिंह ने किए।

भूपेन्द्र यादव भाजपा के उन चुनिंदा नेताओं में से एक है, जिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का पूरा भरोसा है। राष्ट्रीय महासचिव बनकर यादव ने राजनीति में सफलता तो हासिल की है, साथ ही प्रधानमंत्री जैसे बड़े नेताओं का भरोसा और विश्वास भी जीता है। यादव राजनीति की सफलता के जिस मुकाम पर खड़े हैं उसमें आम कार्यकर्ता और प्रभावशाली व्यक्ति यादव को जन्मदिन की बधाई देने को आतुर है। यादव ने बेहद ही सरलता के साथ सभी की बधाइयां भी स्वीकार की है। यही सरलता और सज्जनता यादव को अन्य राजनेताओं से अलग करती है।

मैंने ऐसे बहुत से नेताओं को देखा है जो विधायक, सांसद, मंत्री या पार्टी का बड़ा पदाधिकार बन जाने पर घमंडी हो जाते हैं। लेकिन भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनने और देश के प्रधानमंत्री तथा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधे संवाद करने की कुवत रखने वाले भूपेन्द्र यादव अभी भी साधारण कार्यकर्ता की तरह बर्ताव करते हैं। यादव के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार और संगठन के प्रमुख व्यक्तियों की जब कोई महत्वपूर्ण बैठक होती है तो बैठक का एजेंडा बनाने से लेकर समन्वय तक का कार्य यादव ही करते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र बनारस हो या फिर हैदराबाद का निगम का चुनाव। सभी में यादव की भूमिका होती है। गत वर्ष बिहार के चुनाव में प्रभारी की हैसियत से जेडीयू और भाजपा गठबंधन की सरकार बनवाई तो अब अगले वर्ष गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव की कमान यादव के पास है। गुजरात में भाजपा को छठी बार चुनाव जितवाने की चुनौती यादव ने स्वीकार की है। सब जानते हैं कि गुजरात के चुनाव में हर बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिष्ठा दाव पर होती है। यादव के राजनीतिक महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संसद की 25 महत्वपूर्ण कमेटियों के अध्यक्ष हैं या फिर सदस्य।

यादव इन सभी समितियों में सक्रिय रहते हैं। मालूम हो कि यादव दूसरी बार राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं। यादव सुप्रीम कोर्ट के सफल वकीलों में रहे हैं, इसलिए भाजपा के कानूनी सलाहकार भी माने जाते हैं। चुनाव आयोग में जब भी कोई प्रतिवेदन देना होता है तो यादव ही भाजपा का शिष्टमंडल लेकर जाते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार का नामांकन पत्र भी यादव की देखरेख में भरा जाता है। कहा जा सकता है कि यादव आज देश के चुनिंदा नेताओं में से एक हैं। ऐसा नहीं कि यादव का सम्मान सिर्फ भाजपा में ही है विरोधी दलों में भी यादव को एक संजीदा
राजनीतिज्ञ माना जाता है।