यूपी में कांग्रेस का बंटाधार….!

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यूपी में कांग्रेस का बंटाधार
यूपी में कांग्रेस का बंटाधार

प्रियंका के निजी सचिव ने किया यूपी में कांग्रेस का बंटाधार। सिर्फ चुनाव में ही दिखाई पड़ती यूपी कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी प्रियंका।

आर.के.यादव


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जोडऩे की नहीं बल्कि कांग्रेस को तोडऩे का काम किया जा रहा है। ताबड़तोड़ निष्कासनों के माध्यम से जिसके कारण कांग्रेस के निष्ठावान समर्पित संघर्षशील नेताओं व कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए उनके साथ खड़े होने के बजाए उनकी उपेक्षा कर रही है। कार्यकर्ताओं को सम्मान देने की जरूरत थी वहां उन्हें अपमानित कर निष्कासित कर दिया गया। कांग्रेस की इस गलत कार्यप्रणाली से यूपी में कांग्रेस को कार्यकर्ता ढूंढऩे से नहीं मिल रहे हैं। कांग्रेस की महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी के नदारत होने और ऐसे व्यक्ति को कमान सौंप देने से जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस की चुनाव में नैया पर होना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

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यूपी में कांग्रेस का बंटाधार

हजारों दिग्गज कांग्रेसियों को दिखाया बाहर का रास्ता– यूपी में कांग्रेस को हाशिये पर लाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी की नई टीम भी कम जिम्मेदार नहीं है। पार्टी नेताओं की माना जाए तो प्रियंका गांधी के निजी सचिव के आने के बाद से प्रदेश कांग्रेस के 70 से 75 हजार दिग्गज कांग्रेस नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। इसमें कई नेता तो ऐसे भी थे जिन्हें पहले कांग्रेस हाईकमान ने विश्वास जताते हुए कई प्रकोष्ठï की कमान तक सौंपी थी। इसके साथ ही कई नेता निजी सचिव के अडिय़ल रवैये से नाराज होकर अन्य दलों में चले गए। इतनी बड़ी संख्या में दिग्गजों के जाने से पार्टी की हालत दयनीय हो गई है।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो यूपी में कांग्रेस के इतिहास को उठाकर देख लीजिए जब से कांग्रेस महासचिव यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने संदीप सिंह को निजी सचिव और अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया तब कांग्रेस के सैकड़ों की संख्या में दिग्गज नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। प्रियंका गांधी के निजी सचिव की गलत नीतियों के चलते हालात यह हो गए कि यूपी में कांग्रेस का बंटाधार हो गया। प्रदेश में कांग्रेस की हालत कैसी है यह बात जगजाहिर है। जिन कांग्रेसियों ने अपने खून पसीने से सींचा है और अपनी अपनी जेबों से कांग्रेस के ऊपर पैसा खर्च किया है। अपनी जेबों से पैसा लगाकर कांग्रेस को पहचान को बरकरार रखने वाले कांग्रेसियों को ही प्रियंकी की नई टीम ने ठिकाने पर लगा दिया गया। ऐसे में यूपी में कांग्रेस का भगवान ही मालिक है।

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यूपीसीसी के एक पूर्व प्रमुख ने कहा, ‘यहां तक कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी उत्तर प्रदेश को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं दिखते- या शायद वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं। कांग्रेस नेतृत्व को यह एहसास नहीं है कि 80 लोकसभा सीटों वाला उत्तर प्रदेश पुनरुद्धार का एकमात्र मार्ग है। सबसे दुखद बात यह है कि कोई भी नेता हमारी पीड़ा सुनने को तैयार नहीं है।’ पार्टी के एक पूर्व विधायक ने कहा कि कांग्रेस में और विभाजन का कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि ज्यादातर नेता पहले ही जा चुके थे। उन्होंने कहा, ‘जो बचे हैं वे घर पर बैठे हैं और मंडली के केवल आधा दर्जन सदस्य हैं जो लोकसभा टिकटों की ‘बिक्री’ के लिए रखे जाने पर इसे समृद्ध बनाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’


देश की सबसे बड़ी पार्टी माने जाने वाली कांग्रेस पार्टी वर्तमान समय में हाशिये पर है। पार्टी अपने खोए हुए जनाधार को वापस लाने की कसमकस में लगी हुई है। 70 साल तक देश की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी आपसी गुटबाजी और पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा से ऐसे मुकाम पर पहुंच गई कि अब जनता उसे पूरी तरह से नकार दिया है। अब कांग्रेस पार्टी को पुराने वर्चस्व को वापस लाने के लिए अन्य दलों के नेताओ का सहारा लेने के लिए विवश होना पड़ रहा है। हकीकत यह है कि कांग्रेस की महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी के लंबे समय तक प्रदेश से बाहर रहने और उनकी टीम के एक चर्चित निजी सचिव की कार्यप्रणाली से दिग्गज कांग्रेसियों ने पार्टी से पल्ला झाड़ लिया है। ऐसे में कांग्रेस की नैया कैसे पार होगी यह बड़ा सवाल है। यूपी में कांग्रेस का बंटाधार