Covid-19,देशभर में असमंजस की स्थिति

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तीसरी लहर की आशंका नहीं के बराबर-दैनिक भास्कर।अक्टूबर में तीसरी लहर पीक पर, बच्चों को खतरा।इसीलिए देशभर में असमंजस की स्थिति।

एस0 पी0 मित्तल

24 अगस्त को भारत में कोरोना संक्रमण को लेकर दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में अपने अपने नजरिए से खबरें प्रकाशित हुई है। इन दोनों खबरों को एक साथ मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर पढ़ जा सकता है। भास्कर की खबर का हेडिंग है, तीसरी लहर की आशंका नहीं के बराबर, जबकि पत्रिका का हेडिंग है, अक्टूबर में तीसरी लहर पीक पर, बच्चों को खतरा। पत्रिका की खबर केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के आधार पर है, जबकि भास्कर की खबर कानपुर स्थित आईआईटी के शोध पर आधारित है। पत्रिका की खबर में कहा गया है कि तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों और युवाओं पर पडेगा। उनके लिए मेडिकल सुविधाएं, वेंटिलेटर, मेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस, ऑक्सीजन आदि जयश्री है। इसके लिए अभी से तैयारी की जरूरत है। जबकि भास्कर की खबर में कहा गया है कि तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की संभावना कम है। स्कूल शुरू होने में भी दिक्कत नहीं है। बच्चों में संक्रमण से निपटने की क्षमता वयस्कों में ज्यादा होती है। भास्कर और पत्रिका के अपने अपने स्रोत हैं। दोनों ही अखबारों की खबरें विश्वसनीय होती हैं। दोनो ंही अखबारों ने दूसरी लहर में मुसीबत के समय सेवा भाव से पत्रकारिता की, जिसका फायदा संक्रमित व्यक्तियों को भी मिला, लेकिन अब जब कोरोना की तीसरी लहर को लेकर देशभर के लोग आशंकित हैं, तब मीडिया का बहुत महत्व है।

अखबारों में छपी और न्यूज़ चैनलों पर प्रसारित खबरों का खास असर होता है। कारोबारी भी मीडिया के आधार पर ही अपने व्यवसाय की दिशा तय करते हैं। चूंकि दूसरी लहर के लॉकडाउन में सबसे ज्यादा नुकसान व्यापार जगत को हुआ, इसलिए तीसरी लहर को लेकर व्यापारी जगत में ही सबसे ज्यादा चिंता है। अभिभावक भी अपने बच्चों को लेकर चिंतित हैं। कई राज्यों में स्कूलें शुरू नहीं हो पा रही है। राजस्थान में भी एक सितम्बर से 9 से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू करने का निर्णय लिया गया है। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खुलने का इंतजार है। असल में तीसरी लहर के आंकलन को लेकर वैज्ञानिक और चिकित्सक भी एकमत नहीं है, इसलिए देश में असमंजस की स्थिति हो रही है। अच्छा हो कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सटीक जानकारी देशवासियों को उपलब्ध करवाई जाए। पूरे देश ने देखा कि प्रथम लहर और लॉकडाउन के बाद भी दूसरी लहर में सरकार के सारे इंतजाम धरे रह गए। अस्पतालों में मरीजों को भर्ती नहीं किया तो ऑक्सीजन के अभाव में सैकड़ों लोगों ने दम तोड़ दिया। वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को भी चाहिए कि वे एकमत होकर लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाएं। हर वैज्ञानिक अपने नजरिए से राय प्रकट करेगा तो असमंजस की स्थिति बनी रहेगी। तीसरी लहर के बारे में वैज्ञानिकों को सटीक जानकारी उपलब्ध करवानी चाहिए। तीसरी लहर आए या नहीं, लेकिन देशवासियों को सतर्कता बरतते रहना चाहिए, क्योंकि अभी संक्रमण का खतरा टला नहीं है।