एक सेठ से लक्ष्मी जी रूठ गई ।
जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ…
और… मेरी जगह नुकसान आ रहा है ।
तैयार हो जाओ।
लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।
मांगो जो भी इच्छा हो।
सेठ बहुत समझदार था।
उसने विनती की नुकसान आए तो आने दो ।
लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे।
बस मेरी यही इच्छा है।
लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा।
कुछ दिन के बाद :-
सेठ की सबसे छोटी बहू खिचड़ी बना रही थी।
उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी।
तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।
इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई ।
उनकी सास ने भी ऐसा किया।
शाम को सबसे पहले सेठ आया।
पहला निवाला मुह में लिया।
देखा बहुत ज्यादा नमक है।
लेकिन वह समझ गया नुकसान (हानि) आ चुका है।
चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया।
पूछा पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?
सभी ने उत्तर दिया :- ” हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।”
अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।
इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए।
पहले वालो के बारे में पूछते और.. चुपचाप खाना खा कर चले गए।
रात को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर
सेठ से कहने लगा : – “मै जा रहा हूँ।”
सेठ ने पूछा :- क्यों ?
तब नुकसान (हानि ) कहता है, ” आप लोग एक किलो तो नमक खा गए ।
लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।”
निचोङ—
झगड़ा, कमजोरी,हानि,नुकसान की पहचान है।
जहाँ प्रेम है , वहाँ लक्ष्मी का वास है।
सदा प्यार – प्रेम बांटते रहे। छोटे -बङे की कदर करे ।
जो बङे हैं , वो बङे ही रहेंगे ।
चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बङी हो।
– Զเधे Զเधे -अच्छे के साथ अच्छे बनें ,
पर बुरे के साथ बुरे नहीं।
….क्योंकि –
हीरे से हीरा तो तराशा जा
सकता है लेकिन कीचड़ से
कीचड़ साफ नहीं किया
जा सकता ।