धारा 174ए के तहत कार्यवाही शुरू करने का निर्देश

183

धारा 174ए के तहत कार्यवाही शुरू करने का निर्देश

सीआरपीसी की धारा 82 के तहत उद्घोषणा जारी करने और आरोपी की पेशी के लिए दो अलग-अलग तारीख दी जाएं-पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट से कहा

अजय सिंह

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ‘उद्घोषणा’ (Publication Of Proclamation) जारी करने से संबंधित सीआरपीसी की धारा 82 के उल्लंघन को रोकने के प्रयास में न्यायिक मजिस्ट्रेटों की अदालतों को उद्घोषणा में दो अलग-अलग तिथियां देने की सलाह दी है; पहली 15-20 दिनों के भीतर उद्घोषणा का प्रकाशन सुनिश्चित करने के लिए और दूसरी 30 दिनों के बाद अभियुक्तों की पेशी सुनिश्चित करने के लिए

जस्टिस गुरबीर सिंह की एकल पीठ ने कहा,

“न्यायिक मजिस्ट्रेटों की अदालतों को सीआरपीसी की धारा 82 के प्रावधानों को अक्षरशः और सच्ची भावना के साथ लेना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि जब भी कोई उद्घोषणा जारी की जाती है तो आदेश में दो तिथियां दी जानी चाहिए अर्थात पहली तारीख 15-20 दिनों के भीतर सेवारत अधिकारियों को उद्घोषणा की प्रक्रिया को पूरा करने और उद्घोषणा को समय पर वापस करने का निर्देश देते हुए होनी चाहिए।

READ MORE- गंगा की रेत पर टेंट सिटी सवालों के घेरे में

उद्घोषणा के प्रकाशन के बारे में बयान देने के लिए न्यायालय में पेश होना चाहिए। उसके 30 दिनों के बाद दूसरी तारीख तय की जानी चाहिए, जिसमें अभियुक्तों को एक विशिष्ट स्थान पर और निर्दिष्ट तिथि और समय पर उपस्थित होने का निर्देश दिया जाए, ताकि सीआरपीसी की धारा 82 का उल्लंघन न हो।” न्यायालय सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसडीजेएम), नाभा का आदेश रद्द करने के लिए याचिकाकर्ता को सीआरपीसी की धारा 82 के अनुसार ‘भगोड़ा’ घोषित किया गया।

आदेश में आईपीसी की धारा 174ए के तहत आगे की कार्यवाही शुरू करने का भी निर्देश दिया गया।

हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि उद्घोषणा 22.05.2017 को जारी की गई, जिसके द्वारा याचिकाकर्ता को 13.06.2017 को एसडीजेएम, नाभा के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है। दिनांक 02.06.2017 को संबंधित पुलिस चौकी पर उद्घोषणा अंकित होने के बावजूद, सिपाही द्वारा केवल 12.06.2017 को अर्थात पेशी के आदेश से एक दिन पहले अनुपालन किया गया। न्यायालय ने कहा कि अगले दिन अभियुक्तों की उपस्थिति के लिए प्रकाशन केवल 12.06.2017 को प्रभावी किया गया। चूंकि अभियुक्त को 30 दिनों की नोटिस अवधि स्पष्ट रूप से नहीं दी गई, अदालत ने इसे सीआरपीसी की धारा 82 द्वारा गारंटीकृत उसके वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन माना।

इसके अतिरिक्त यह नोट किया गया कि उद्घोषणा को सार्वजनिक रूप से नहीं पढ़ा गया। इस प्रकार, न्यायालय ने सभी न्यायिक मजिस्ट्रेटों को उद्घोषणा आदेशों में दो अलग-अलग तिथियां देने के सामान्य निर्देशों के साथ विवादित आदेश को रद्द कर दिया, ताकि सीआरपीसी की धारा 82 का उचित अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट रवि कमल गुप्ता और राज्य की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल जीएस शेरगिल पेश हुए।

धारा 174ए के तहत कार्यवाही शुरू करने का निर्देश

केस टाइटल: जगजीत सिंह @ जग्गी बनाम पंजाब राज्य