प्राकृतिक रौशनी और हमारा स्वास्थ्य़

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प्राकृतिक रौशनी और हमारा स्वास्थ्य़
प्राकृतिक रौशनी और हमारा स्वास्थ्य़
राजू यादव
राजू यादव

प्रकृति में वह हर गुण मौजूद है जिससे हम हर तरह की बीमारी और रोग से मुक्त हो सकतें हैं। प्रकृति उपचारक है। इस पर कोई संदेह तो है नही। इसीलिए अगर हम हमारे व्यस्त समय में रोज़ कम से कम एक घंटा भी अपना प्रकृति की साथ बीताने में लगायें, तो ये एक उपचारक की तरह हमे अंदर से खुशमिजाज़ और सुखद बनाये रखती है। जिससे हमारा दिल दिमांक सकरात्मकता की ओर बढ़ता है। प्रकृति में रहने या प्रकृति के दृश्यों को देखने से भी क्रोध, भय और तनाव कम होता है और सुखद अनुभूतियां भी बढ़ती हैं। प्रकृति के संपर्क में आने से न केवल आप भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस करते हैं,बल्कि यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य में योगदान देता है,रक्तचाप,हृदय गति,मांसपेशियों में तनाव और तनाव हार्मोन के उत्पादन को भी कम करता है। प्राकृतिक रौशनी और हमारा स्वास्थ्य़

आश्चर्य यह है कि प्रकृति की पूजा करने वाली भारतीय संस्कृति आज हमारी धरती,पानी और वनस्पति को नष्ट करने पर तुली हुई है। इसकी तुलना में भोगवादी कहलाने वाली अमरीकी संस्कृति ने तमाम क्रियाशील जलविद्युत परियोजनाओं को सिर्फ इसलिए हटा दिया है कि वहां के लोग खुली और अविरल बहती हुई नदी में स्नान करना, नाव चलाना और मछली पकड़ना चाहते थे। समय आ गया है कि हम भी थोड़ा अंतर्मुखी होकर विचार करें कि हम अपनी संस्कृति से कैसे विमुख हो गए हैं….? हम क्योंकर केवल विकास का आभास पैदा करने के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों और अपनी जनता को कष्ट पहुंचाने को प्रतिबद्ध हैं…


आज हम बंद कमरों और बंद घरों में रहने के आदी हो गए हैं। पहले की तरह ना तो हमारे घरों में खुले आंगन होते हैं ना ही हमारे पास इतना समय है कि बाहर निकलकर कुछ देर सूरज की रौशनी का आनंद ले सकें। बच्चे भी आउटडोर खेलों के बजाय इनडोर खेलों में अधिक रुचि लेने लगे हैं। आज मोबाइल और लैपटॉप मानव जीवन में संक्रमण की तरह हर किसी में फैल चुका है। ऐसे में हमें यह जानने की आवश्यकता है कि सूरज की रौशनी से हमें कितने फायदे हो सकते हैं। घर की खिड़कियों को बाहरी पर्दों से ढंकने के बजाय अगर हम प्राकृतिक रौशनी को घर में आने दें तो ना सिर्फ हमारे घर में पॉज़िटिव एनर्जी आएगी बल्कि हमें कई सारे स्वास्थ्य लाभ भी होंगे।

आंखों के तनाव को कम करें- कृत्रिम प्रकाश में लंबे समय तक रहने से कभी-कभी आंखों में जलन या मामूली सिरदर्द हो सकता है क्योंकि आपकी आंखों को कुछ भी देखने के लिए अधिक श्रम करना पड़ता है।इससे आंखों पर अतिरिक्त ज़ोर पड़ता है। वहीं लगातार कंप्यूटर स्क्रीन, स्मार्ट फोन और फ्लोरोसेंट लाइट से भी आंखों में खिंचाव हो सकता है जिससे आंखों को स्थायी नुकसान हो सकता है। प्राकृतिक प्रकाश से ना सिर्फ बच्चों बल्कि युवाओं औऱ वयस्कों में भी निकट दृष्टिदोष का जोखिम कम हो सकता है।दरअसल प्राकृतिक रौशनी से आंखों को डोपामाइन का उत्पादन करने में मदद मिलती है, जो स्वस्थ आंखों के विकास में सहायता करता है।

प्राकृतिक रौशनी और हमारा स्वास्थ्य़

पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बहुत से अन्य कारणों के साथ-साथ प्रकाश भी एक प्रमुख कारण है। पृथ्वी पर प्रकाश का एक मुख्य स्रोत सूर्य है, जिसके बिना जीवन की उत्पत्ति की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। दरअसल, न केवल जीवन की उत्पत्ति के लिये सूर्य का प्रकाश आवश्यक है, बल्कि जीवन को बनाए रखने के लिये भी सूर्य का प्रकाश जरूरी है। सूर्य के प्रकाश की मदद से ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा पेड़-पौधे अपना भोजन बनाते हैं और हमें जीवनदायनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। चूँकि पेड़-पौधों से ही हमें भोजन मिलता है इसलिये कह सकते हैं कि अपरोक्ष रूप से सूर्य का प्रकाश ही हमारे भोजन का उपाय करता है। यही नहीं, मनुष्यों और पशुओं की अनेक जैविक क्रियाओं को पूर्ण करने के लिये भी प्रकाश आवश्यक होता है।

उत्पादकता को बढ़ाए- प्राकृतिक रोशनी आपकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकती है। जानकार मानते हैं कि जिस कार्यस्थल पर प्राकृतिक हवा और प्रकाश होता है वहां के कर्मचारियों की उत्पादकता अधिक होती है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्राकृतिक प्रकाश आपके मन को शांत करता है और आपकी मानसिक स्थिति में सुधार कर सकता है।

तनाव के स्तर और चिंता को कम करता है- प्राकृतिक प्रकाश आपके मूड में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्राकृतिक प्रकाश आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।ये तनाव के स्तर और चिंता को कम करने में मदद करता है । जानकार मानते हैं कि मौसमी प्रभावकारी विकार नामक एक प्रकार का अवसाद होता है, जो सर्दियों में बहुत से लोगों को प्रभावित करता है जब उन्हें पर्याप्त धूप नहीं मिलती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब रातें छोटी होती हैं और दिन लंबे होते हैं तो सेरोटोनिन नामक ‘हैप्पी’ हार्मोन बढ़ता है। इसलिए अवसाद को रोकने या उसका इलाज करने में मदद करने के लिए दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए धूप में निकलें। प्राकृतिक रौशनी और हमारा स्वास्थ्य़

बेहतर नींद को बढ़ावा देता है- प्राकृतिक प्रकाश हमारी नींद पर भी प्रभाव डाल सकता है। शोध से पता चलता है कि प्राकृतिक प्रकाश नींद को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। हमारे शरीर की आंतरिक घड़ी, जिसे सर्कैडियन रिदम के रूप में जाना जाता है, सीधे प्राकृतिक प्रकाश से जुड़ी होती है। प्राकृतिक प्रकाश आंखों की जलन को कम कर सकता है और एक अच्छी नींद को बढ़ावा दे सकता है।

प्राकृतिक प्रकाश शरीर में विटामिन डी को बढ़ाता है- विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करने और हड्डियों के विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ कुछ प्रकार के कैंसर, हृदय रोग, अवसाद और वजन बढ़ने से रोकने में मदद करता है। हालांकि आजकल विटामिन डी की कमी काफी आम समस्या है । ऐसे में शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा करना है तो घर से बाहर निकलें ।जानकार मानते हैं कि विटामिन डी कई अलग-अलग विकारों और बीमारियों, जैसे कि ऑटिज्म, कैंसर, मधुमेह, पुराने दर्द और अवसाद के इलाज में मददगार हो सकता है।

हमारे शरीर के लिये विटामिन-डी अत्यंत उपयोगी होता है। यह शरीर में कैल्सियम के अवशोषण में मदद करता है। हड्डियों की डेंसिटी यानि घनत्व को बढ़ाता है और उन्हें मजबूत बनाने में सहायक होता है। इससे शरीर में हड्डियों के विकास और मांसपेशियों की कार्य प्रणाली में भी मदद मिलती है, साथ ही यह हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत भी करता है तथा शरीर में इंसुलिन, कैल्सियम और फॉस्फोरस के स्तर को बनाए रखने में सहायक होता है। शोध अध्ययनों के आधार पर यह माना जाता है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिये प्रतिदिन लगभग 2,000 आईयू विटामिन-डी चाहिए, लेकिन प्रायः देखा गया है कि हमारी बदलती दिनचर्या के कारण अधिकांश लोग हफ्तों तक धूप के संपर्क में नहीं आते हैं, जिसके कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। और कई प्रकार के रोग पैदा होने लगते हैं। इसलिये आवश्यक है कि प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सूर्य के प्रकाश का भरपूर उपयोग करना चाहिए।

प्राकृतिक प्रकाश फोकस बढ़ाता है- शोध बताते हैं कि सुबह और शाम दोनों समय प्राकृतिक प्रकाश में रहने से एकाग्रता बढ़ती है। इसे आज़माने के लिए आप जब भी सुस्त और फोकस में कमी महसूस करें तो कुछ देर खिड़की से बाहर देखें और कुछ मिनटों के लिए सूरज की रौशनी में रहने का प्रयास करें। इससे आपको एक ऊर्जा मिलेगी और काम में फोकस बढ़ेगा।

प्राकृतिक प्रकाश रक्तचाप को कम करता है- कई अध्ययन बताते हैं कि सूरज की रोशनी त्वचा और रक्त में छोटे संदेशवाहक अणु, नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को बदल देती है जिससे रक्तचाप कम हो सकता है।

प्राकृतिक प्रकाश वजन कम करने में मदद कर सकता है- जब हमारे शरीर में सेरोटोनिन का उच्च स्तर होता है, तो यह भूख को दबा देता है।सेरोटोनिन सूर्य के प्रकाश से ही उत्पन्न होता है।इससे भूख कम लगती है और वड़न कम हो सकता है। इसके अलावा यूवी किरणें मोटापे और मेटाबालिज़्म सिंड्रोम के लक्षणों को दबाने में मदद करती हैं

प्राकृतिक रोशनी आपकी इम्यूनिटी को बढ़ा सकती है- हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर पर होने वाले किसी भी प्रकार के संक्रमण से लड़ने के लिए टी-कोशिकाओं पर निर्भर करती है और इन कोशिकाओं को सूरज की रोशनी ही जगाती है।दरअसल टी कोशिकाएं एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका होती हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। शरीर में विभिन्न संक्रमणों से लड़ने के लिए टी कोशिकाओं का सक्रिय होना ज़रूरी होता है जिससे वे गंभीर बैक्टीरिया और वायरस को मारने में सक्षम हो सकें। विटामिन डी इन टी सेल्स के कार्य के लिए महत्वपूर्ण है। रक्त में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा के बिना ये कोशिकाएं निष्क्रिय रहती हैं और संक्रमण से लड़ने में असमर्थ रहती हैं।

प्राकृतिक प्रकाश आपको स्मार्ट बनाता है-कई अध्ययनों में पाया गया कि धूप में रहने वाले लोगों की याद्दाश्त बेहतर होती है। मेमोरी रिकॉल के परीक्षणों के दौरान धूप में समय बिताने वालों ने कृत्रिम रौशनी में रहने वालों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।

हम सभी चाहते हैं कि हम स्वस्थ रहें। स्वस्थ रहने के लिये उचित खान-पान, रहन-सहन और दैनिक जीवनचर्या का बड़ा योगदान होता है। अपना खानपान बहुत अच्छा हो सकता है लेकिन यदि जीवनचर्या ठीक नहीं है तो भी स्वस्थ रह पाना कठिन होता है। आजकल असंतुलित या कहें कि बिगड़ती हुई जीवनशैली के कारण कई खतरनाक बीमारियाँ पैदा हो रही हैं। हमारी जीवनशैली में और स्वस्थ रहने में सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक योगदान है। सूर्य का प्रकाश ही क्यों, मानव निर्मित स्रोतों से प्राप्त प्रकाश से भी हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है। प्राकृतिक रौशनी और हमारा स्वास्थ्य़