पुदुचेरी भी कांग्रेस के हाथ से निकला

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एस0 पी0 मित्तल

22 जनवरी को केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी भी कांग्रेस के हाथ से निकल गया है। मुख्यमंत्री वी नारायण सामी ने विधानसभा में बहुमत साबित किए बगैर ही उप राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। हालांकि इस्तीफ़े से पहले मुख्यमंत्री ने सरकार को अल्पमत में लाने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। सामी का कहना रहा कि पुदुचेरी में तमिल और अंग्रेजी भाषा बोली जाती है, लेकिन केन्द्र सरकार हिन्दी भाषा थोपना चाहती है।

उप राज्यपाल ने सामी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। 33 सदस्यों के सदन में 7 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया। मौजूदा समय में सदन की संख्या 26 सदस्यों की है, लेकिन मुख्यमंत्री सामी 14 विधायकों का जुगाड़ नहीं कर सके। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि अप्रैल मई में तमिलनाडु में भी चुनाव हो रहे हैं और यहां कांग्रेस डीएमके मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन पुदुचेरी में कांग्रेस की सरकार को गिरवाने में डीएमके और कांग्रेस के विधायकों की भूमिका रही।

मुख्यमंत्री नारायण सामी के रवैये से नाराज होकर कांग्रेस के पांच विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया। पुदुचेरी के हाथ से निकल जाने के बाद कांग्रेस के पास अब पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारें हैं, जबकि महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कांग्रेस शामिल हैं। राजस्थान में गत वर्ष कांग्रेस में बगावत हो चुकी है। कांग्रेस के 19 विधायक एक माह तक दिल्ली में रहे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार गिराने की साजिश भाजपा कर रही है। मौजूदा समय में भी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट किसान पंचायतें कर अपना शक्ति प्रदर्शन लगातार कर रहे हैं। 19 फरवरी को भी एक महापंचायत में पायलट के साथ कांग्रेस के 15 विधायक उपस्थित रहे। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के लिए यह खुश खबर है कि भाजपा में भी गुटबाज़ी नजर आती है। इस गुटबाज़ी को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की शह माना जा रहा है। भाजपा की गुटबाज़ी का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को मिलता है।