साँझा प्रयास नेटवर्क द्वारा सुरक्षित गर्भपात विषय पर संवेदीकरण कार्यशाला सम्पन्न

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लखनऊ। विकास भवन में पंचायती राज अधिकारियों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम पंडित गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीज इन रूरल डेवेल्पमेंट और साँझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग से किया गया ।कार्यशाला में पंचायती राज से ए.डी.पी.आर. ओ., रतन कुमार , विभिन्न ब्लाक के प्रधान प्रतिनिधि , मीडिया , साझा प्रयास ने रत्ना शर्मा , साँझा प्रयास सचिवालय , लखनऊ , एस. पी. पांडे , सीनियर रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर , आकांक्षा रिसर्च एंड ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफिसर आदि ने प्रतिभाग किया तथा प्रजनन स्वास्थ्य व सुरक्षित गर्भसमापन ‘ विषय पर अपने विचार रखे ।


कार्यक्रम का शुभारंभ रिसर्च एंड ट्रेनिग प्रोग्राम ऑफिसर द्वारा किया गया सुश्री आकांशा यादव ने साँझा प्रयास नेटवर्क के बारे में बताया कि यह नेटवर्क बिहार व उत्तर प्रदेश में 20 स्वयंसेवी संस्थाओं का नेटवर्क है जो कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गभ . ‘ समापन सेवाओं को सुद्रढ़ करने व समुदाय में जागरुकता बढ़ाने का कार्य करता है । इसके साथ ही यह बताया गया कि जनपद लखनऊ में साँझा प्रयास नेटवर्क विभिन्न हितधारकों जैसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों , पंचायत प्रतिनिधि , लोकल एन.जी. ओ , मीडिया , सेवा प्रदाताओं आदि के साथ कार्य कर रहा है जिससे समुदाय के लोगों में सुरक्षित गर्भसमापन व परिवार नियोजन विषय पर जागरूकता बढ सके । मुख्य अतिथि द्वारा बताया गया कि पंचायत प्रतिनिधियों की बैठकों में भी सुरक्षित गर्भसमापन विषय पर चर्चा की जाये जिससे सुरक्षित गर्भसमापन विषय से संबंधित जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे और लोग इस विषय पर जागरूक हों ।


श्वेता सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि The Guttmacher8 Institute के अध्ययन के अनुसार ” भारत में अनुमानित प्रतिवर्ष 1.56 करोड़ गर्भ समापन होते है , जिनमें लगभग 50 प्रतिशत गर्भ धारण अनचाहे होते हैं । भारत में मातृ मृत्यु दर में असुरक्षित गर्भसमापन का योगदान 8 प्रतिशत है । उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष होने वाले कुल 31 लाख गर्भपात में से सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्वास्थ्य संस्थाओं में होते हैं । आई.पास. डेवेलपमेंट फाउंडेशन से सुश्री रत्ना शर्मा ने एम. टी. पी एक्ट के बारे में विस्तार से बताया कि हमारे देश में गर्भपात हेतु मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट , 1971 लागू है लेकिन गर्भ समापन सम्बन्धी कानूनी जानकारी का लोगों में अभाव है । चूंकि स्वैच्छिक संस्था के प्रतिनिधियों की भी स्थानीय स्तर पर सेवादाताओं की निगरानी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । अतः उक्त मुद्दों पर संस्था प्रतिनिधियों के संवेदीकरण से समुदाय में बेहतर जागरूकता लाने में मदद मिलेगी तथा असुरक्षित गर्भसमापन के कारण हो रही महिला मृत्युदर में कमी लायी जा सकेगी । इस अवसर पर गोसाईगंज सी. एच. सी.के डॉ..आर.सी. सक्सेना भी उपस्थित रहे ।