जल जीवन मिशन 10वर्षों तक संस्था करेगी मेंटेनेंस

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लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक देश के सभी गावों में ‘घर-घर नल से जल’ पहुचाने की महत्त्वाकांक्षी योजना को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कमर कसी है।
योगी सरकार ने बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्र के 9 जनपदों के लगभग 45 सौ ग्रामों में, जिनमें कभी शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हुई थी, उन पाइप पेयजल योजनाओं से आच्छादित करने हेतु परियोजनाएं स्वीकृत की गई।
अधिशासी निदेशक सुरेन्द्र राम ने बताया पूरे क्षेत्र को 50 भागों में बांटकर टेंडर किए गए और सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले बिडर्स को बहुत ही प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर कार्य करने की स्वीकृति प्रदान की गई।
उल्लेखनीय है कि इन कंपनियों द्वारा अगले 10 वर्षों तक इन परियोजनाओं का रखरखाव भी किया जाएगा। उप्र में यह अभिनव प्रयोग योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा किया गया है।


इसके उपरांत प्रदेश में गुणवत्ता प्रभावित विशेष ग्रामों को जे.ई. व ए.ई.एस. से प्रभावित ग्रामीणों को आकांक्षात्मक जनपदों के ग्रामों को, सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) से आच्छादित ग्रामों को, अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों को तथा अन्य अवशेष ग्रामों को भी जल जीवन मिशन के तहत शुद्ध पाइप पेयजल योजना से आच्छादित करने का बीड़ा भी योगी सरकार ने उठाया है।
प्रदेश के लगभग 80हजार ग्रामों को 02 वर्ष में पाइप पेयजल से आच्छादित करने की महत्वाकांक्षी योजना प्रथम दृष्टया अत्यंत विशालकाय प्रतीत होती थी।
प्रथम चरण में इनमें से प्राथमिकता वाले 40हजार ग्रामों को चयनित करने का निर्णय लिया गया और यह तय किया गया कि 40हजार ग्रामों को आच्छादित करने के लिए राज्य स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग कराई जाए, जिससे योग्य और समर्थ बिडर्स आ सके, प्रतिस्पर्धात्मक दरें प्राप्त हो सके और समय से कार्य पूर्ण कराया जा सके।
फिर उस पर स्वीकृति प्राप्त करके टेंडर फ्लोट किया जाता है।
एक बड़ी चुनौती यह भी थी कि पूर्व वर्षों में जल निगम द्वारा जो कार्य कराए गए थे, उसमें आमतौर पर गुणवत्ता बहुत खराब थी, कार्य अत्यंत विलंबित थे व किसी भी कार्य का समुचित पर्यवेक्षण नहीं किया जा रहा था।
इसके अतिरिक्त अधिकांश मामलों में ठेकेदारों की इतनी क्षमता ही नहीं थी कि वह कार्य को कर पाते। इसकी वजह से कार्य अधूरे रहे और गुणवत्ता की समस्या पैदा हुई। इसके दृष्टिगत उच्च गुणवत्ता का कार्य समयबद्ध रूप से कराना भी एक कठिन चुनौती थी।
इसके साथ ही ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस (O&M) की समस्या की वजह से पूर्व निर्मित कई योजनाएं समय से बहुत पहले ही कार्य करना बंद कर चुकी थी। इसके दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया है कि 10 वर्षों तक चयनित संस्था द्वारा ही ऑपरेशन एंड मेंटिनेस (O&M) का कार्य किया जाएगा।
सामान्य टेंडर्स में डीपीआर बनाते समय कार्यों की मात्रा का आकलन किया जाता है और शेड्यूल आप रेट (SOR) से गुणा करने के उपरांत डीपीआर की कुल लागत प्राप्त होती है, जिसके आधार पर टेंडरिंग की जाती है।
किंतु उच्च गुणवत्ता के बिडर्स का चयन करने के दृष्टिगत, समयबद्ध रूप से कार्य कराने के दृष्टिगत पहली बार राज्य मंत्रिमंडल द्वारा यह निर्णय लिया गया कि शेड्यूल आफ रेट (SOR) के आधार पर राज्य स्तर पर अच्छी संस्थाओं के इंपैनलमेंट की कार्यवाही की जाए।
एजेंसी द्वारा इन दरों के आधार पर डीपीआर के गठन का कार्य जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (DWSM) को प्रस्तुत किया जाएगा और प्रोजेक्ट स्वीकृति का अधिकार राज्य सरकार द्वारा जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन (DWSM) को दे दिए गए हैं, ताकि कार्य सुगमता और तेजी से हो सके।