स्तनपान कराने वाली माताओं को वैक्सीन का कोई खतरा नहीं -डॉ0 वी0के0 पॉल

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टीका स्तन के दूध में बच्चे को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं करता है। इसलिए, स्तनपान कराने वाली माताओं को टीका लगाया जाना चाहिए।इस फैसले से 50 मिलियन लोगों के प्रभावित होने की आशंका है।

डॉ0 अल्पेश गांधी कहते हैं, “यदि कोरोनरी हृदय रोग को रोका जाना है, तो टीकाकरण एक प्रभावी और दीर्घकालिक समाधान है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को टीका लगाया जाना चाहिए।”

देश में कोरोनाा के मामलों की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि चरम में पहुंचने के बाद अब इस महामारी में गिरावट आई है। देश के अधिकतर जिलों में कोरोना के मामलों में कमी देखी गई है। देश में कोरोना की रिकवरी दर 96.9 फीसद है। वहीं, नीति आयोग के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर वीके पॉल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित मॉडर्ना वैक्सीन को भारत में अनुमति दे दी गई है। देश में अब चार कोरोना रोधी वैक्सीन हैं। जो कि कोवैक्सिन, कोविशील्ड, स्पुतनिक वी और मॉडर्ना हैं। फाइजर के साथ भी हम जल्द ही करार कर लिया जाएगा। इसके साथ ही डॉ पॉल ने कहा कि कोरोना रोधी ये ये चारों वैक्सीन (कोवैक्सिन, कोविशील्ड, स्पुतनिक वी और मॉडर्ना ) स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए सुरक्षित हैं। टीके का बांझपन से कोई संबंध नहीं है।

जिन जिलों में प्रतिदन 100 से ज्यादा नए मामले आ रहे थे, जहां 4 मई के दौरान ​ऐसे जिले 531 थे। वो संख्या 2 जून को घटकर 262 जिले रह गए और अब देश में केवल 111 जिले ही ऐसे हैं जहां प्रतिदिन 100 से ज्यादा मामले आ रहे हैं।

भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि देश में कुल 27.27 करोड़ लोगों ने वैक्सीन की पहली खुराक लगाई है और 5.84 करोड़ लोगों को वैक्सीन की दूसरी खुराक दी जा चुकी है।कोरोना के टीकाकरण कार्यक्रम में भारत कई बड़े देशों को पीछे छोड़ रहा है। वैश्विक आंकड़ों की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दुनिया में कोरोना के टीका लगाए जाने में भारत बढ़त बनाए हुए है। अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत 32 करोड़ के बेंचमार्क तक पहुंचने में 163 दिन लगे। वहीं, अमेरिका को 193 दिन लगे थे।