योगी सरकार की पहल पर छह एफपीओ बनेंगी पूर्ण विकसित कम्पनी

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  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आर्थिक सलाहकार केवी राजू की मौजूदगी में गोरखपुर विश्वविद्यालय में हुआ समझौता हस्ताक्षर का आदान प्रदान।
  • महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र और गोरखपुर विश्वविद्यालय मिलकर करेंगे काम।

गोरखपुर, योगी सरकार की पहल पर एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाईजेशन) को पूर्ण विकसित कम्पनियों में तब्दील करने की योजना परवान चढ़ने जा रही है। पूर्वांचल में सरकार के इस पहल में मददगार बना है दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय। नई पहल पर आज बुधवार को मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के आर्थिक सलाहकार श्री केवी राजू की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का आदान प्रदान हुआ।

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. राजेश सिंह तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू और महायोगी गुरु गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र (एमजीकेवीके), चौकमाफी, पीपीगंज, गोरखपुर के अधिकारियों की मौजूदगी में गोरखपुर विश्वविद्यालय तथा एमजीकेवीके, चौकमाफी, पीपीगंज, गोरखपुर के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर के साथ पूर्वांचल के विकास में एक नया अध्याय जुड़ा। गोरखपुर विश्वविद्यालय की तरफ से रजिस्ट्रार डॉ. ओम प्रकाश और एमजीकेवीके, चौकमाफी, पीपीगंज, गोरखपुर की ओर से प्रो. यू. पी. सिंह, अध्यक्ष, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।

इस अवसर पर प्रो यू. पी. सिंह ने कहा कि यह अत्यंत खुशी का अवसर है। केवीके कृषक भलाई केंद्र बनेगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय की सहायता और मार्गदर्शन से किसानों का भला होगा और हम अपने लक्ष्य में सफल होंगे।इस समझौता ज्ञापन के अनुसार पहले छह फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) कंपनियों को पूर्ण विकसित कंपनियों के रूप में इनक्यूबेट किया जाएगा, जिसमें विश्विद्यालय का बिजनेस इनक्यूबेटर सेल मदद करेगा।

ये एफपीओ कंपनियां बीज उत्पादन, मत्स्य पालन, पशुपालन, जैव-उर्वरक, गुड़ उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण और बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में काम करेंगी। गोरखपुर विश्वविद्यालय इन स्टार्टअप्स को कार्यालय, स्थान और बुनियादी सहायता प्रदान करने जा रहा है और पूर्ण विकसित कंपनियों में विकसित होने पर इन्हें दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

यह लक्षित है कि इन कंपनियों का टर्नओवर एक करोड़ रुपये को पार कर जाएगा, जबकि व्यक्तिगत किसान शेयर धारकों का योगदान सिर्फ एक हजार रुपये प्रति किसान होगा। स्मॉल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंसोर्टियम (एसएफएसी), नाबार्ड, राज्य सरकार आदि से धनराशि प्राप्त की जाएगी। विश्वविद्यालय द्वारा इन कंपनियों को स्थापित करने के लिए एक निश्चित धनराशि शुल्क के रूप में ली जाएगी।बैठक में प्रो. अजेय गुप्ता, प्रो. अजय सिंह, प्रो. मानवेन्द्र सिंह, डॉ. प्रदीप राव और महेंद्र कुमार सिंह और दोनों संस्थानों के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।