दिव्यांगजन पुनर्वासन को 20000की वित्तीय सहायता

189

लखनऊ। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, लखनऊ कमलेश कुमार वर्मा ने बताया कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित ‘‘उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पुनर्वासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन’’ योजना के अन्तर्गत दुकान निर्माण/क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0-20000/- की धनराशि स्वीकृत की जाती है, जिसमें रू0-15000/-की धनराशि 4 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में तथा 5000/- की धनराशि अनुदान के रूप में दी जाती है। दुकान संचालन हेतु न्यूनतम पॉच वर्ष के लिए किराये पर लिए जाने हेतु एवं खोखा/गुमटी/हाथ ठेला क्रय हेतु पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में रू0-10000/- की धनराशि स्वीकृत की जाती है, जिसमें रू0-7500/- की धनराशि 4 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर पर ऋण के रूप में तथा रू0-2500/- की धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की जाती हैं।

40 प्रतिशत या उससे अधिक (मुख्य चिकित्साधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र मान्य होगा)।समस्त श्रेणी के दिव्यांगजन व्यक्ति जो उत्तर प्रदेश के निवासी हो।ऐसे दिव्यांगजन जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक, किन्तु 60 वर्ष से अधिकन हो।दिव्यांग मूल ऋण की वसूली, भुगतान के तीन माह बाद रू. 500/- प्रति त्रैमासिक किश्त की दर से तीस समान किश्तों में की जायेगी। दिव्यांगजन जो किसी आपराधिक अथवा आर्थिक मामलों में सजा न पाये हो तथा उनके विरूद्ध किसी प्रकार की सरकारी धनराशि देय न हो। दिव्यांगजन के पास दुकान निर्माण हेतु स्वयं की 110 वर्ग फीट भूमि हो या अपने संस्त्रोतों से उक्त क्षेत्रफल की भूमि खरीदने/लेने में समर्थ हो। दिव्यांगजन द्वारा 05 वर्ष की अवधि का किरायेदारी का पट्टा कराया जाये उन्हें उपलब्ध दुकान संचालन हेतु (किराया एवं कार्यशील पूॅजी)।


    जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी लखनऊ ने बताया कि ऐसे दिव्यांग जो 40 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांगता से प्रभावित हो एवं उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हों। जिनकी वार्षिक आय समय-समय पर शासन द्वारा गरीबी रेखा के लिए निर्धारित आय सीमा के दो गुने से अधिक न हो। जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक, किन्तु 60 वर्ष से अधिक न हो। जो किसी आपराधिक अथवा आर्थिक मामलों में सजा न पाया हो तथा जिनके विरूद्ध किसी प्रकार की सरकारी धनराशि देय न हो। जिनके पास दुकान निर्माण हेतु स्वयं की 110 वर्ग फिट भूमि हो या अपने स्रोतों से उक्त क्षेत्रफल की भूमि खरीदने/लेने में समर्थ हो।  
अथवा
  स्थानीय निकाय/उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद/विकास प्राधिकरण/प्राइवेट बिल्डर्स तथा एजेन्सी से निर्मित दुकान क्रय हेतु, किन्तु दुकान का क्रय किसी परिवारजन के नाम से अनुमन्य नहीं होगा।
अथवा
  जिनके द्वारा कम से कम पॉच वर्ष की अवधि का किरायेदारी का पट्टा कराया जाए उन्हें उपलब्ध दुकान संचालन हेतु (किराया एवं कार्यशील पूॅंजी)
अथवा
  जिनके द्वारा गारन्टी/बन्धक उपलब्ध कराया जाये उन्हें खोखा/गुमटी/हाथठेला के क्रय एवं कार्यशील पूॅजी हेतु। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, लखनऊ ने बताया कि ऐसे दिव्यांग व्यक्ति जो विभाग द्वारा संचालित कार्यशाला से प्रशिक्षित हों अथवा आई0टी0आई0 /पालीटेक्निक या किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से किसी व्यवसाय में प्रशिक्षण प्राप्त/डिप्लोमा प्रमाण-पत्र धारी हैं और उसी क्षेत्र में व्यवसाय करना चाहता है, उसे वरीयता दी जायेगी। दिव्यांग पुनर्वासन हेतु दुकान निर्माण/दुकान संचालन योजना के अन्तर्गत इच्छुक दिव्यांगजन दुकान निर्माण/दुकान संचालन हेतु ऑनलाइन http//divyangjandukan.upsdc.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन फार्म भरते समय आवेदक को दिव्यांगता प्रदर्शित करने वाला नवीनतम फोटो, आयु प्रमाण पत्र जिसमें जन्म तिथि का अंकन हो, सक्षम प्राधिकारी के स्तर से निर्गत दिव्यांगता प्रमाण पत्र, राष्ट्रीयकृत बैंक में संचालित खाता, अधिवास का प्रमाण पत्र तथा आधार कार्ड की छायाप्रति को स्वप्रमाणित कर आवेदन पत्र के साथ ऑनलाइन उपरोक्त वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है। साथ ही ऑनलाइन सबमिट आवेदन पत्र की प्रिंट एवं वांछित प्रपत्रों की हार्ड कॉपी कार्यालय जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी, पंचायत भवन, परिसर कैशरबाग लखनऊ में किसी भी कार्य दिवस में उपलब्ध करायें।