माटीकला कारीगरों की औसतन आय 22500 रुपये प्रतिमाह-डा0 नवनीत सहगल

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स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 1500 कारीगरों को श्री लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों बनाने हेतु मास्टर मोल्ड्स डाई का वितरण किया। जायेगा माटीकला कारीगरों की औसतन प्रति परिवार आय 7500 रुपये से बढ़कर 22500 रुपये प्रतिमाह हुई।

लखनऊ। दीपावली के पर्व पर स्थानीय कारीगरों द्वारा निर्मित श्री लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों के भारी मांग को दृष्टिगत रखते हुए आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रदेश के समस्त जनपदों में 1500 कारीगरों को मास्टर मोल्ड्स डाई का वितरण किया जायेगा। इससे विदेशी मूर्तियों की प्रतिस्पर्धा में प्रदेश के माटीकला कारीगर गुणवत्तापरक एवं आकर्षक मूर्तियों का निर्माण कर सकेंगे।

अपर मुख्य सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग डा0 नवनीत सहगल ने यह जानकारी आज यहां दी। उन्होंने बताया कि चयनित कारीगरों को ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्रों पर मास्टर मोल्ड्स/डाई से वर्किंग मोल्ड तैयार करने एवं वर्किंग मोल्ड्स से टेराकोटा मिट्टी मूर्तियों के निर्माण, उनको पकाने, रंगने एवं पैकिंग का अत्याधुनिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष दीपावली के अवसर पर प्रदेश के 75 जनपदों में 03 दिवसीय तथा लखनऊ मंे 10 दिवसीय माटीकला मेला का आयोजन किया जायेगा। माटीकला मेले में लगभग 300 लाख रुपये के उत्पादों की बिक्री की सम्भावना है।

डा0 सहगल ने बताया कि उ0प्र0 माटीकला बोर्ड के गठन के बाद से अब तक प्रदेश में परम्परागत रूप से माटीकला संबंधी कार्य कर रहे 46737 कारीगर परिवारों को चिन्हित करते हुये 27799 परिवारों को कुम्हारी कार्य हेतु मिट्टी निकालने के लिये पट्टा आवंटन कराया जा चुका है। इसी क्रम में अब तक 8190 विद्युत चालित चॉक वितरित कराये जा चुके है, जिससे 24570 रोजगार सृजन हुआ है। साथ ही परम्परागत कारीगरों के 10-10 परिवारों के समूहों में 71 मिट्टी गूथने की विद्युत चालित मशीन (पगमिल) का वितरण कराया जा चुका है। इसके फलस्वरूप माटीकला कारीगरों की औसतन प्रति परिवार आय 7500 रुपये से बढ़कर 22500 रुपये प्रतिमाह अर्थात् तीन गुना बढ़ गई है।