डा0 अंबेडकर सर्व समाज के मसीहा हैं-कौशल किशोर

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लखनऊ। भारत सरकार में आवासन एवं शहरी कार्य मामलों के राज्यमंत्री व पारख महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौशल किशोर के नेतृत्व में डा0 अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर 13 अप्रैल को लखनऊ के गांधी भवन सभागार, निकट रेजीडेंसी में अंबेडकर के मिशन को पूरा करने में भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका पर विशाल वैचारिक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर ने कार्यक्रम की घोषणा आज नईदिल्ली अपने सरकारी आवास 2। साउथ एवेन्यूमें प्रेस कान्फ्रेस में की। इस कार्यक्रम में अम्बेडकरवादी विचारधारा को मानने वाले सर्व समाज के 2000 से ज्यादा डेलीगेट्स शामिल होंगे।


कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य डा0 अंबेडकर के मिशन श्शोषण विहीन एवं जातिविहीन समाज की स्थापना को पूरा करने में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका है, कुछ पार्टियों ने डा0 अंबेडकर के नाम पर केवल वोट बटोरने की राजनीति की और उन्हें सिर्फ एक समाज का मसीहा बताकर उनका कद छोटा करने का भरपूर प्रयास किया और डा0 अंबेडकर के मिशन को गलत तरीके से दर्शाने का प्रयास कियाए उन्होंने डा0 अंबेडकर को तो भले ही मानने का दिखावा किया लेकिन उत्तर प्रदेश में ही कई वर्षो तक सत्ता में रहने के बावजूद डा0 अंबेडकर के मिशन को पूरा करने में एक भी कार्य नही किया। डा0 अंबेडकर सर्व समाज के मसीहा हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार डा0 अंबेडकर के मिशन को पूरा करने का कार्य कर रही है और एस सी एस टी समाज सहित हर वर्ग हर समाज के गरीबों, वंचितों, पिछडों, शोषितों के उत्थान करने का कार्य कर रही है।डाण् अंबेडकरन सिर्फ संविधान निर्माता थे, बल्कि कुशल अर्थशास्त्री, सामाजिक चिंतक और सर्वसमावेशी सोच के साथ विकास के वाहक भी थे। वे ऐसे विश्व मानव थे जिन्होंने कमजोर और वंचितों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनका जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने भारतरत्न डा0 अंबेडकर से जुड़े स्थलों को पंचतीर्थ के तौर पर विकसित कर सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का संदेश दिया है।
डा0 अंबेडकर के पंचतीर्थ
1. महूरू जन्म स्थान
2 नागपुर रू दीक्षास्थान
3 इंदुमिल मुंबईःस्मारक
4 लंदनःस्मारक
5 दिल्लीःस्मारक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार द्वारा डा0 अंबेडकरको श्रद्धांजलि देते हुए उनसे जुड़े पाँच स्थानों को पंच तीर्थ के रुप मे विकसित किया है। इसमें मध्यप्रदेश काश्महूश् जहाँ डा0 अंबेडकर का जन्म हुआ, उनके जन्म स्थली के रूप में विकसित किया गया है। दूसरी दीक्षा भूमि नागपुरए तीसरी मुम्बई का इंदुमिल, चौथा लंदन का वह घर जहाँ डा0 अंबेडकरने रह कर वकालत की शिक्षा ली उसे भारत सरकार खरीद कर विकसित किया है और पांचवाँ दिल्ली के अलीपुर में वो घर जहाँ डा0 अंबेडकरने अंतिम सांस ली ए उस स्थान को भारत सरकार ने संविधान निर्माता के स्मृति के रूप में विकसित किया है।


डॉ0 भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्यल प्रदेश में महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था और वह स्व तंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे। वह 1 नवम्बर 1951 को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद ए 26, अलीपुर रोड दिल्ली में सिरोही के महाराजा के घर में रहने लगे जहां उन्होंवने 6 दिसम्बवर 1956 को आखिरी सांस ली और महापरिनिर्वाण प्राप्ती किया। यहीं पर स्मारक बना है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 2 दिसंबर 2003 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। करीब 200 करोड़ की लागत में बने इस स्मारक को पुस्तक का आकार दिया गया है, जो संविधान का प्रतीक है। इस इमारत में एक प्रदर्शनी स्थल, बुद्ध की प्रतिमा के साथ ध्यान केंद्र व डॉ0 अंबेडकर की 12 फुट ऊंची प्रतिमा है।भारत रत्नै डा0 अंबेडकर ने दलित और पिछड़े समाज से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। उन्होंने हमेशा श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार में श्रमिक और किसान बंधुओ को मजबूत करने और महिला सशक्तिकरण पर ऐतिहासिक कार्य किए जा रहे हैं और डा0 अंबेडकर के मिशन को पूरा करने का कार्य बीजेपी कर रही है।


अंबेडकर देश में समान नागरिक संहिता चाहते थे और उनका दृढ़ मत था कि अनुच्छेद 370 देश की अखंडता के साथ समझौता है भाजपा ने धारा 370 हटाकर डा0 अंबेडकर के मिशन को पूरा किया। संघ भी अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की बात करता था और डा0 अंबेडकरभी इस अनुच्छेद के खिलाफ थे। समान नागरिक संहिता लागू करने पर संघ भी सहमत है और डा0 अंबेडकरभी सहमत थे। हिन्दू समाज में जातिगत भेदभाव हुआ है और इसका उन्मूलन होना चाहिएए इसको लेकर संघ भी सहमत है और डा0 अंबेडकर भी जाति से मुक्त अविभाजित हिन्दू समाज की बात करते थे। वर्तमान सर संघचालक मोहन भागवत जी ने 16 दिसंबर 2015 को सामाजिक समरसता पर दिए अपने भाषण में द्वितीय सरसंघचालक गुरु गोलवलकर का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने बताया कि 1942 में महाराष्ट्र के एक स्वयंसेवक के परिवार में अंतरजातीय विवाह संपन्नम हुआ था। इस विवाह की सूचना जब तत्कालीन सर संघचालक गुरुजी को मिली तो उन्होंवने पत्र लिखकर इसकी सराहना की और ऐसे उदाहरण लगातार प्रस्तुत करने की बात कही।इससे साफ जाहिर होता है कि 1942 में भी संघ का दृष्टिकोण सामाजिक एकता को लेकर दृढ़ था। सेकुलरोंए तथाकथित दलित विचारकों एवं बहुजन के प्रचारकों को यह बात बहुत बुरी लग रही है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आखिर क्यों डा0 अंबेडकर से जोड़ा जा रहा है और इन तथा कथित विचारकों की तरफ से


यह सन्देश देने की कोशिश भी हो रही है की मानों डा0 अंबेडकर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कोई पुरानी शत्रुता रही हो इस झूठ का प्रचार करने वाले ये तथा कथित विचारक यह बात भूल जाते है की संघ और डा0 अंबेडकर में तब भी कोई शत्रुता नहीं थी जब वो जिंदा थे और तब भी कभी नहीं हुई जब वह पंचतत्व में विलीन हो गए।वीर सावरकर ने जब रत्नागिरी में जातीय उन्मूलन आंदोलन चलाया तो न केवल डा0 अंबेडकर उस आंदोलन के मुरीद हुए बल्कि खुले शब्दों में पत्र लिखकर तारीफ भी की और साथ ही यह भी कहा की ऐसे आंदोलन पूरे देश में करने की जरुरत है। 1939 में नागपुर के संघ शिक्षा वर्ग में डा0 अंबेडकर बिना बुलाये ही पहुंच गए उस समय संघ के प्रथम सरसंघचालक डॉ हेडगेवार जी थे और उस शिक्षा वर्ग में उपस्थित थे, दोनों महापुरुषों ने तब दोपहर में साथ ही भोजन किया जब एक दलित और ब्राह्मण का साथ भोजन करना उस समय बड़ी बात थी और उसके बाद शिक्षार्थियों से मिलाने का क्रम शुरू हुआए डा0 अंबेडकर को यह देखकर आश्चर्य हुआ की यहाँ पर कोई किसी की जाति पूछे बिना ही साथ में खेल रहे है, एक साथ भोजन कर रहे है और एक दूसरे के सहभागी भी हो रहे हैं, डा0 अंबेडकर इतने प्रभावित हुए कि शाम तक वहां रुके।


1964 में डा0 अंबेडकर पर एक पत्रिका का विशेषांक निकलना था उस समय संघ के सरसंघचालक गुरु गोलवलकर जी थे उनसे कहा गया की आप भी डॉ0 आंबेडकर पर अपने विचार लिखिए गुरु जी ने लिखा स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी किया था कि इस देश को अस्प्रश्यता के जाल से निकालना अत्यावश्यक है और यह काम वही व्यक्ति कर सकता है जिसमे आदि शंकराचार्य सी प्रज्ञा और गौतम बुद्द सी करुणा हो जब डा0 अम्बेडकर को मनन करता हूँ तो ऐसा लगता है मानो स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी डाण् अंबेडकर के लिए ही थी और इसी रूप में मैं उनको स्वीकारता हूँ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों और स्वयंसेवकों के लिए प्रातः स्मरणीय श्लोकों का जब संकलन हुआ जिसे एकात्मता स्त्रोतम के नाम से जानते हैं तो उसमे डॉ आंबेडकर का नाम भी डाल दिया गया, इस तरह से पचासों साल से डा0 अंबेडकर संघ के सभी प्रचारकों और स्वयंसेवकों के लिए प्रातः स्मरणीय हो गए।केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर ने बताया कि डॉ0 अंबेडकर की सच्ची विचारधारा एवं उनके मिशन शोषण विहीन जाति विहीन समाज की स्थापना करने के लिए पूरे देश में गोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा जिसकी शुरुआत पारख महासंघ के द्वारा 13 अप्रैल को डॉ0 अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर लखनऊ से की जा रही है।