मुख्यमंत्री के मंसूबो पर पानी फेर रहे जेल अफसर!

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सेटिंग गेटिंग वाले अफसरों पर नहीं होती कार्यवाही..!
सेटिंग गेटिंग वाले अफसरों पर नहीं होती कार्यवाही..!
राकेश यादव
  • मुख्यमंत्री के मंसूबो पर पानी फेर रहे जेल अफसर !
  • रिटायरमेंट के बाद भी जेल अफसरों का जलवा बरकरार।
  • सरकारी वाहन के साथ सुरक्षाकर्मियो समेत अन्य सुविधाये उपलब्ध।
  •  पूर्व प्रमुख सचिव जेल, रिटायर एआईजी व डीआईजी जेल के घरों पर लगे बंदीरक्षक।

लखनऊ। जेल मुख्यालय से रिटायर हुए करीब एक साल से अधिक हो गया लेकिन सरकारी वाहन व सुरक्षाकर्मियों की सुविधा आज भी उपलब्ध है। यही नहीं 14 पहले प्रमुख सचिव कारागार रहे एक आईएएस अधिकारी के यहां आज भी जेल का एक वार्डर ड्यूटी बजा रहा है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। मजे की बात यह है कि इस सुरक्षाकर्मी को जब वापस करने को कहा गया तो भी उसको आजतक वापस नही किया गया। यही नही विभाग के रिटायर्ड एआईजी और डीआईजी भी सुरक्षाकर्मियों से अपने निजी आवासों पर चाकरी करा रहे है।  रिटायर्ड अफसरों के घरों पर लगे सुरक्षाकर्मियों का मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि शासन की हीलाहवाली की वजह से करीब आधा दर्जन रिटायर जेल अधिकारियों का जलवा आज भी बरकरार है। 

रिटायर अफसर से लिया जा रहा कार्य-

प्रदेश के कारागार विभाग में रिटायरकर्मियो से काम लेने की परंपरा पुरानी है। इसी के तहत आज भी मुख्यालय में रिटायर अधिकारी से काम लिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि तीन साल पहले डीजी कैम्प कार्यालय से सेवानिवृत्त हुए बाबू  को करीब एक साल तक रिटायरमेन्ट के बाद काम पर लगाये रखा गया था। मामला उजागर होने पर उसे हटाया गया। इसी कड़ी में एक रिटायर अफसर को रिटायरमेंट के बाद भी सभी सरकारी सुविधाएं देकर आज भी उससे काम लिया जा रहा है। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। विभाग में अफसरों सुरक्षाकर्मियों की कमी हवाला देकर  सुरक्षाकर्मियों से बेगारी कराई जा रही है। ऐसा तब है जब हाल ही में विभाग को 38 सौ नए वार्डर मिले है।

मिली जानकारी के मुताबिक करीब चौदह साल पहले प्रमुख सचिव कारागार रहे आईएएस अधिकारी के घर पर सेवा के लिए एक वार्डर लगाया गया था। सूत्रों के मुताबिक राजधानी की एक जेल से लगे सुरक्षाकर्मी को वापस करने के लिए पत्र लिखा। सुरक्षाकर्मी के वापस नही आने पर जब उसका वेतन रोके जाने का आदेश हुआ तो अधिकारियों में खलबली मच गई। जेल मुख्यालय मे तैनात अधिकारी अनाधिकृत रूप से रिटायर्ड व पूर्व अधिकारियों के घरों पर चाकरी के लिए लगाए गए सुरक्षाकर्मियों को बचाने के लिए लामबंद हो गए। एक अधिकारी ने तो हटाये गए वार्डर को अपनी सुरक्षा में लगवाकर रिटायर्ड एआईजी के घर पर भेज दिया। 

इसी प्रकार जेल मुख्यालय से रिटायर्ड अपर महानिरीक्षक जेल के निजी आवास पर सेवा के लिए जा भी कई वार्डर व फोर्थ क्लास कर्मचारी लगे हुए है। दिलचस्प बात यह है कि यह रिटायर अफसर आज भी सरकारी वाहन का इस्तेम्मल कर रहे है। वार्डर को वापस करने का आदेश किया। इस पर जेल मुख्यालय में तैनात  अधिकारी वरिष्ठ अधीक्षक ने उक्त वार्डर को अपनी सुरक्षा में तैनात कराकर रिटायर्ड एआईजी के घर भेज दिया। ऐसे है पांच-छह साल पहले जेल मुख्यालय से डीआईजी मुख्यालय के पद से सेवानिवृत्त हुए आरपी सिंह के घर पर आज भी जेल का एक वार्डर चाकरी कर रहा है। यह वार्डर कानपुर जनपद की जेल से लगाया गया है। इसी प्रकार रिटायर्ड एआईजी के यहां हरदोई, सीतापुर व लखीमपुरखीरी जेल से वार्डर चाकरी के लिए लगाए गए है। यह तो बानगी भर है। इसी प्रकार कई सेवानिवृत्त अधिकारियों के घरों पर अनाधिकृत रूप से वार्डरों को  तैनात कर रखा गया है। उधर जेल मुख्यालय के अधिकारी इस गंभीर मसले पर टिप्पणी करने से बच रहे है।