रिफाइंड तेल का नंगा सच

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रिफाइंड तेल का नंगा सच
रिफाइंड तेल का नंगा सच

रिफाइंड तेल का नंगा सच

एस0 एल0 मौर्या

आप की हत्या की साजिश रची गई है! और आप स्वयं ही आत्म हत्या के पक्ष में हैं! वो भी परिवार सहित.?

रिफाइंड तेल का नंगा सच सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है…

रिफाइंड तेल केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है…

रिफाइंड तेल आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये!

रिफाइंड तेल से:-

DNA डैमेज, RNA नष्ट, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा, शुगर (डाईबिटीज), BP, नपुंसकता, कैंसर, हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईल्स, त्वचा रोग जैसे हजारों रोगों का प्रमुख कारण है।

रिफाइंड तेल बनता कैसे हैं.?

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बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी अशुद्धियां (Impurities) तेल में आती है, उन्हें साफ करने व तेल को स्वाद, गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है। जानिये हमारे तेल के साथ क्या क्या अत्याचार होता है।

वाशिंग (Washing)-

वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि अशुद्धियां (Impurities) इसके बाहर हो जायें। इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। और फिर यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन जाता है।

न्यूट्रलाइज़ेशन (Neutralisation)-

तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

ब्लीचिंग (Bleaching)-

इस विधि में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पी.ओ.पी.), जो मकान बनाने मे काम ली जाती है, का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130°F पर गर्म करके साफ किया जाता है

हाईड्रोजेनेशन (Hydrogenation):-

एक टैंक में तेल के साथ निकल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पालीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं। निकेल एक प्रकार का कैटेलिस्ट मेटल (Catalyst metal) होता है जो हमारे शरीर के श्वसन तंत्र (Respiratory system), लिवर (Liver), स्किन (skin), मेटाबोलिज्म (Metabolism), DNA, RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।

रिफाइंड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।

जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाले व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है।रिफाइंड तेल का नंगा सच

अब दिलथाम के पढ़िये….

हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells, नये Cells से Replace होते रहते हैं। नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर के खून का उपयोग करता है, यदि हम रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं तो खून मे जहरीले तत्वों (Toxins) की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध उतपन्न हो जाता है, और परिणामस्वरूप कई प्रकार की बीमारियां जैसे:-

कैंसर,मधुमेह या डायबिटीज, हार्ट अटैक, किडनी की समस्याएं, एलर्जी, पेट मे अल्सर, समय से पहले या असमय बुढापा नपुंसकता, अर्थराइटिस, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर आदि हजारों बिमारियां होगी।

रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, इसलिये इसमे पाम आयल मिक्स किया जाता है!
(पाम आयल जो की स्वयं एक धीमी मौत है।)

सरकार का आदेश…

हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती थी कुछ सालों पहले तक। अमरीका का पाम खपाने के लिए, मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40% पाम आयल, खाद्य तेलों में मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा..!

इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पाम के कारण लोग अधिक बीमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99% बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली स्प्रिंग (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला), दो लाख रुपये की बिकने लग गया, यानी अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पाम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!

अब तो कई नामी कंपनियों ने पाम से भी सस्ता, गाड़ी में से निकाला हुआ काला आंयल (जिसे आप अपनी गाडी सर्विस करने वाले के यहां छोड आते हैं) वह भी रिफाइंड करके खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।

सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही…

दलहन में… मुंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।

तिलहन में… तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि आती है।

अतः सोयाबीन तेल, प्योर पाम आयल ही होता है।
पाम आयल को रिफाइंड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।

सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह, प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है,

पाम आयल एक दम काला और गाढ़ा होता है, उसमें साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पाम आयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मुंगोडी बनाई जाती है!

आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे! मेहनताना वह एक लाख रुपये भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही!

कोई भी कंपनी के तेल रिफाइनिंग के बिना (बगैर केमिकल के) नहीं निकाला जा सकता है, अतः ये जहरीले ही है!

फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला…

सफोला… अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं!
..5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला..
..10 वर्ष के बाद..
सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.!
…15 साल बाद.. मृत्यु… यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा..!

पहले के व्यक्ति 90 से 100 वर्ष तक की उम्र बड़े आराम से जीते थे और उनको मोक्ष की प्राप्ति हो जाती थी, क्योंकि उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।

और आज… अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया….?
उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?
अधुरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है।

राम न ही किसी को मारता…. और न ही यह राम का काम है!
अपने आप ही मर जाते हैं…. कर कर खोटे काम!!
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!

सकल पदारथ है जग माही..! कर्म हीन नर पावत नाही..!!

अच्छी वस्तुओं का भोग,.. कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता! तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ कच्ची घाणी का तेल, तिल, सरसों, मूंगफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!

पौष्टिकता से भरपूर और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!

आज कल सभी कम्पनी.. अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए!
लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए. इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी.
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो!
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है!
लेकिन मोटर भी बैल की गति जितनी ही चले, तो ठीक है!
लोहे की बड़ी बड़ी एक्सपेलर (मशीन) उनका बेलन लाखों की गति से चलता है जिससे तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं,और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी…
…..अब फैसला आपका..!

क्या आपने कभी विचार किया कि आखिर

  • जिस रिफाइंड तेल से आप अपनी और अपने छोटे बच्चों की मालिश नहीं कर सकते….?
  • जिस रिफाइंड को आप बालों मे नहीं लगा सकते,उस हानिकारक रिफाइंड तेल को कैसे खा लेते हैं ….?
  • आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइंड तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है। कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं।

भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है। मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है। 7-8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दूसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है।

भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है। और-
जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा.. क्योंकि-पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है… और – ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी घुलते मिलते नहीं हैं, किसी भी तापमान पर घुलते नहीं होते। ट्रांस फैट जब शरीर में घुलता नहीं है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है।

रिफाइंड तेल का नंगा सच

यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं, यह व्यापार नहीं, स्वास्थ्य की सेवा है..!!