शक्ति कोई और नहीं स्वयं प्रकृति

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नवरात्री विशेष
नवरात्री विशेष

शक्ति कोई और नहीं स्वयं प्रकृति

अजीत कुमार सिंह

चैत्र नवरात्र प्रारम्भ हो चुका है। शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्रि और सृष्टि की शक्ति कोई और नहीं स्वयं प्रकृति ही है। तो इस प्रकार प्रकृति की आराधना का पर्व है। नवरात्रि चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन अर्थात रामनवमी को ही भगवान श्रीराम ने अवतार लिया था। सो वर्तमान समय में यह नवरात्रि उन्ही के जन्मोत्सव के रूप में अधिक प्रसिद्ध है। पर लोक में नवमी पर्व राम जन्म के बहुत पहले से मनाया जाता है। तब से,जब विश्व में भारत के अतिरिक्त अन्य कहीं सभ्यता बसी भी नहीं थी।

जब मनुष्य ने पहली बार मौसम चक्र को समझा था। प्राकृतिक शक्तियों को समझा था और उसी आधार पर वर्ष की अवधारणा जन्मी थी। जब भारत भूमि पर मनुष्य ने पहली बार व्यवस्थित तरीके से कृषि प्रारम्भ की थी। तब जाड़े की फसल तैयार होने के बाद चैत्र शुक्लपक्ष से नववर्ष का प्रारम्भ मान कर पहले नौ दिनों को प्रकृति पूजा का दिन तय किया गया। और नए अन्न से पकवान बना कर ईश्वर को अर्पित करने की परम्परा बनी।

इस साल चैत्र नवरात्रि का त्योहार आज यानी 22 मार्च 2023 से शुरू हो चुका हैं। इसका समापन 30 अक्टूबर 2022 को होगा। जो लोग सुबह के शुभ मुहूर्त में घटस्थापना या कलश स्थापना नहीं कर पाए हैं। वे लोग अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना कर सकते हैं।

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नौ दिन इस तरह होगी मां दुर्गा की पूजा– 22 मार्च :- शैलपुत्री,23 मार्च :- ब्रह्मचारिणी,24 मार्च :- चंद्रघंटा,25 मार्च :- कूष्मांडा,26 मार्च :- स्कंदमाता,27 मार्च :- कात्यायनी,28 मार्च :- कालरात्रि,29 मार्च :- महागौरी,30 मार्च :- सिद्धिदात्री।

यही नवरात्रि और नवमी का लौकिक स्वरूप है। जो देश के अधिकांश हिस्सों में अब भी थोड़े थोड़े परिवर्तन के साथ दिखाई देता है। यह अद्भुत ही है कि विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता का पञ्चाङ्ग नववर्ष का प्रारम्भ प्रकृति के समक्ष नतमस्तक होने के साथ करता है।आप संसार की ओर दृष्टि फेरिये ऐसा उदाहरण अन्यत्र नहीं मिलेगा। सभ्यता और सम्प्रदाय में यही मूल अंतर है कि सभ्यता प्रकृति के नियमों के अनुरूप चलती है। और सम्प्रदाय किसी व्यक्ति के बनाये नियमों के अनुरूप व्यक्ति सदैव प्रकृति से पराजित होता है। इस व्यस्त जीवन में इस नवरात्रि को मनाने का एक सुन्दर तरीका यह भी है। कि इन दिनों किसी एक धर्मग्रन्थ का अध्ययन कर लिया जाय। अपने परिवार के बच्चों को धर्म की शिक्षा दी जाय। कर सकते हों तो कीजिये माता कल्याण करेंगी। शक्ति कोई और नहीं स्वयं प्रकृति