बेटी बचाओ……….

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आज़ादी के लगभग 75 सालो के बाद भी आज भी हमारे देश में महिलाओ या बच्चियो की स्थिति सही नहीं है। अभी भी लड़कियों को बोझ समझा जाता है और इसको वो समानता नहीं दी जाती जो लड़को को दी जाती है। देश में गिरता लिंग अनुपात एक समस्या अभी भी बना हुआ है। स्थिति में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मिशन की शुरुवात की है।

दो सहेलियाँ वर्षों बाद मिलीं, औपचारिक कुशल क्षेम के बाद’कितने बच्चे हैं तुम्हारे ? ‘ एक ने दूसरी से पूछा ।
‘दो बेटियाँ हैं ‘ दूसरी ने कहा ।
‘हे भगवान, इस जमाने में दो बेटियाँ, मेरे तो दो बेटे हैं ।
मुझे भी दो बार पता चला था गर्भ में बेटी है,
मैंने तो छुटकारा पा लिया । अब देखो कितनी निश्चिन्त हूँ।’
पहली ने कहा,’काश, तीस वर्ष पहले तेरी मम्मी ने भी तेरे जन्म से पहले ऐसा किया होता ।

तब आज तू दो हत्याओं की दोषी न होती, तेरी मम्मी को एक ही ह्त्या का पाप लगता…

हमारे देश में आजादी के 75 साल बाद भी बालिका के प्रति सदियों पुरानी सोच और परम्परा अभी भी मौजूद है। जिस से देश की तरक्की पर बुरा प्रभाव पड़ा है। गिरता लिंगानुपात ,लड़कियों का कम या बिल्कुल भी पढ़ा लिखाना होना ,जीवन में असामनता का अधिकार एकजटिल समस्या बनी हुई है। भारत सरकार ने इसकी और धयान देते हुए बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की शुरुवात की है। जिसका उद्देश्य बेटियों के प्रति सकारत्मक सोच को बढ़ावा देना और उनके अधिकार की रक्षा करना है ।