आर्य समाज मंदिर रुद्रावली में हर्षोल्लास के साथ श्रावणी पर्व मनाया गया

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वेदों की ऋचाओं के साथ वैदिक यज्ञ कर चारो वेद के मंत्रों का पाठ किया गया। आर्य समाज मंदिर रुद्रावली में हर्षोल्लास के साथ श्रावणी पर्व मनाया गया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से यज्ञोपवीत धारण किया।

अब्दुल जब्बार एडवोकेट व सतिन्द्र शास्त्री

भेलसर(अयोध्या)। आर्य समाज मंदिर में श्रावणी पर्व अतीत हर्ष उल्लास पूर्वक मनाया गया।अवसर पर चारों वेदों के मंत्रों से वैदिक यज्ञ किया गया।उपस्थित लोगों ने सामूहिक रूप से यज्ञोपवीत धारण कर वेद पाठ किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामचंद्र यादव विधायक रुदौली ने अपने संबोधन में कहा कि वैदिक संस्कृति में जो गुरु शिष्य की परंपरा मिलती है वह अन्य संस्कृति में नहीं।गुरु विरजा नंद से ज्ञान प्राप्त कर स्वामी दयानन्द सरस्वती ने जो वेद ज्ञान संसार को दिया है उसका कोई दूसरा उदाहरण नही है।आर्य समाज द्वारा कई दशकों से प्रतिवर्ष श्रावणी पर्व का आयोजन कर जो परंपरा स्थापित की गई है इसके लिए आर्य समाज के सभी पदाधिकारी,सदस्य बधाई के पात्र हैं।विधायक ने कहा कि वैदिक संस्कृति में श्रावणी पूर्णिमा से ऋषि,मुनि,सन्यासी,वेद पाठ प्रारंभ करते थे और तभी से वेद के अध्ययन,अध्यापन की परंपरा चली आ रही है।श्रावणी रक्षाबंधन पर्व पर बहने पवित्र भाव से भाई के हाथों में राखी बांधकर रक्षा का उत्तरदायित्व भाइयों से लेती हैं।हम लोगों को भी आज यह संकल्प लेना है कि अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा सकारात्मक सोच रखनी होगी।नकारात्मक भाव हावी न होने पावे इसके लिए आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती रचित सत्यार्थ प्रकाश का अध्ययन करना चाहिए।


आर्य समाज के मंत्री शतींद्र प्रकाश शास्त्री ने कहा कि श्रू श्रावणे धातु से श्रावण शब्द बनता है इसका अर्थ सुनना और सुनाना।श्रावणी पर्व पर वेदों को सुना और सुनाया जाता है वेदों की वाणी को सुना जाए वह श्रावणी कहाती है।निरंतर वेदों का श्रवण और स्वाध्याय प्रवचन होता रहे वह श्रावणी है इसलिए इस महीने का नाम सावन मास पड़ा।उपाकर्म के बारे में उन्होंने कहा कि जिसमें ईश्वर और वेद के समीप ले जाने वाले यज्ञ कर्म श्रेष्ठ कार्य किए जाएं वह उपा क्रम कहलाता है।जिस कर्म के द्वारा ऋषियों मुनियों पुरोहित विद्वानों को तर्पण किया जाता है उन्हें यह यथेष्ट दान देना अर्थात उनके वचनों को सुनकर उनका सम्मान करना ही ऋषि तर्पण कहलाता है।उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन वैदिक संस्कृति में स्वाध्याय वेदों को पढ़ना भारत की संस्कृति का प्रधान अंग रहा है।मध्यकाल में रक्षाबंधन का पर्व भारत की संस्कृति से जुड़ गया विदेशी आक्रांताओं के शासनकाल में असहाय स्त्री द्वारा अपनी रक्षा के लिए वीरों के हाथ में राखी बांधने की परंपरा का प्रसार हुआ।


भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष आशीष शर्मा ने कहा कि रक्षाबंधन का पर्व गुरु शिष्य परंपरा का एक अद्वितीय पर्व है जो हमें आज के स्टेशनरी पद्धति से काफी दूर ले जाता है।आर्य समाज की कृणवंतो विश्वमार्यम् की भावना से हमे नई पीढ़ी को अवगत कराना होगा।अन्य वक्ताओं में व्यापार मंडल के महामंत्री राजेश गुप्ता,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रुदौली नगर संघचालक भीष्म नारायण,विधायक प्रतिनिधि राज किशोर सिंह,अनुराग अग्रवाल,राजेंद्र कौशल,शशांक आर्य,भाजपा नगर अध्यक्ष शेखर गुप्ता,जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता अभय वैश्य एडवोकेट,नामित सभासद एवं भाजपा विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक विश्वनाथ तिवारी,अमित कुमार कौशल,प्रेम हरि आर्य,शरद आर्य आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार व्यक्त करते हुए श्रावणी पर्व को वैदिक संस्कृति का महान पर्व बताते हुए कहा कि हम सभी लोगों की यह नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि वेद के पठन-पाठन के लिए गुरुकुल विद्यालयों आदि केंद्र संचालित किया जाए जिससे कि आने वाली पीढ़ी हमारी वैदिक संस्कृति से भली भांति परिचित रहे।आर्य समाज के अध्यक्ष सुभाष चंद्र आर्य ने मुख्य अतिथि सहित उपस्थित सभी लोगों का कृतज्ञता ज्ञापन करते हुए कहा कि हम सभी लोगों को वेदों की ओर लौटना होगा इसके अलावा अन्य कोई दूसरा मार्ग नहीं है।प्रमुख उपस्थित लोगों में आर्य समाज के उपप्रधानाचार्य राम शंकर,कोषाध्यक्ष प्रेम हरिआर्य,उपमंत्री बृजेश कुमार धवन,पुस्ताध्यछ हरिशंकर आर्य,शशांक आर्य विवेक कुमार गुप्त,मुकेश कुमार आर्य,हरिनारायण आर्य,पत्रकार आशीर्वाद गुप्ता,वागीश शर्मा,रमेश कुमार विश्वकर्मा,नितिनआर्य सलिल प्रकाश,राजेंद्र कौशल अर्पित गुप्ता,अमित कौशल,बजरंगबली यादव सहित अधिक संख्या में गण मान्य लोग उपस्थित रहे।नामित सभासद श्रीमती सोना कनोजिया ने विधायक राम चंद्र यादव सहित अन्य लोगो को राखी बांधी।