योग क्या है..?

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योग क्या है..?
योग क्या है..?

 योग आध्यात्मिक अनुशासन एवं अत्यंत सूक्षम विज्ञान पर आधारित ज्ञान है जो मन और शरीर के बीच सामजस्य स्थापित करता है। यह स्वस्थ जीवन की कला एवं विज्ञान है। योग अभ्यास व्यकतिगत चेतनता को सर्वाभोमिक चेतनता के साथ एकाकार कर देता है। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रहमण्ड में जो कुछ भी है वह परमाणू का प्रकटीकरण मात्र है। जिसने योग में इस अस्तित्व के एक्तव का अनुभव कर लिया है,उसे योगी कहा जाता है,योगी पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त कर मुक्तावस्ता को प्राप्त करता है।

योग भारत के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक निर्यातों में से एक है। यह सिर्फ पोज और ध्यान से कहीं अधिक है। योग को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। इसे प्राणायान, योग, योग भी कहते हैं। योग योग की एक शाखा है। जहां बैठकर या बैठकर योगाभ्यास किया जाता है। एक आध्यात्मिक प्रक्रिया जहां शरीर, मन और आत्मा संयुक्त होते हैं (योग)) यह शब्द हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में ध्यान की प्रक्रिया से संबंधित है। योग एक संस्कृत शब्द है जो युज से आया है, जिसका अर्थ है इकट्ठा होना, बांधना। योग अब चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्रीलंका के साथ-साथ भारत से बौद्ध धर्म में फैल गया है, और इस समय पूरे सभ्य दुनिया में लोग इससे परिचित हैं। योग क्या है..?

योग आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक प्रथाओं का एक समूह है जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। योग का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना। योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है। इस शब्द का अर्थ ही ‘योग’ या भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना के मिलन का भी प्रतीक है, जो मन और शरीर, मानव और प्रकृति के बीच एक पूर्ण सामंजस्य का संकेत देता है। योग के अभ्यास का उल्लेख ऋग्वेद और उपनिषदों में भी मिलता है। पतंजलि का योगसूत्र (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व), योग पर एक आधिकारिक ग्रंथ है और इसे शास्त्रीय योग दर्शन का एक मूलभूत ग्रंथ माना जाता है। आधुनिक समय के दौरान और विशेष रूप से पश्चिम में, योग को बड़े पैमाने पर शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ ध्यान और मुद्राओं के रुप में अपनाया जा रहा है। हालांकि, योग का उद्देश्य स्वस्थ मन और शरीर से परे है।

योग, हिंदू दर्शन के षड्दर्शन (छः दर्शन) में से एक है। ये 6 दर्शन – सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त के नाम से जाने जाते हैं। इन दर्शनों के प्रणेता पतंजलि, गौतम, कणाद, कपिल, जैमिनि और बादरायण माने जाते हैं। इन दर्शनों के आरंभिक संकेत उपनिषदों में भी मिलते हैं। योग क्या है..?

योग की उत्पत्ति

योग की उत्पत्ति की सटीक समय अवधि पर कोई सहमति नहीं है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इसकी उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता की अवधि के दौरान हुई, कुछ का कहना है कि यह योग, पूर्वी भारत में पूर्व-वैदिक युग से उत्पन्न हुआ था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी उत्पत्ति वैदिक युग में हुई थी। फिर भी अन्य लोग श्रमण परंपराओं की ओर इशारा करते हैं। मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति मुहर से पता चलता है कि एक आकृति मूलबंधासन (योग में बैठने की मुद्रा) में बैठी हुई है, और इसलिए कुछ शोधकर्ता इसे सिंधु घाटी मूल के योग के प्रमाण के रूप में देते हैं। प्रारंभिक बौद्ध ग्रंथों, मध्य उपनिषदों, भगवद गीता आदि में योग की व्यवस्थित व्याख्या की गई है। आधुनिक युग में, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, स्वामी विवेकानंद, रमण महर्षि आदि गुरुओं ने पूरे विश्व में योग के विकास और लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया। योग शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ऋग्वेद के एक श्लोक में प्रात:काल में उगते हुए सूर्य देव के लिए हुआ है। हालांकि, ऋग्वेद में यह उल्लेख नहीं है कि यौगिक अभ्यास क्या थे। योग के अभ्यास के शुरुआती संदर्भों में से एक बृहदारण्यक उपनिषद में पाया जा सकता है, जो पहले उपनिषदों में से एक है। हालांकि, योग शब्द समकालीन समय के समान अर्थ के साथ कथा उपनिषद में पाया गया है। योग क्या है..?

योग क्या है..?

योग व्यायाम के लाभ

योग करने के कई फायदे हैं। जहां सिर्फ जिम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं योग हमारे शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी स्वस्थ बनाता है।

मन की शांति — योग न केवल हमारे शरीर की मांसपेशियों को अच्छा व्यायाम देता है, बल्कि यह हमारे दिमाग को शांत रखने में भी मदद करता है। चिकित्सा अनुसंधान से पता चला है कि योग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। योग तनाव से राहत देता है और बेहतर नींद लाता है, भूख और पाचन को बढ़ाता है। यह दिमाग को हमेशा शांत रखता है।

तनाव मुक्त जीवन — यदि आप योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं तो आप तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि आज हर दूसरा व्यक्ति तनाव में है

शरीर की थकान — जब हम योग करते हैं तो मांसपेशियों में खिंचाव, मरोड़, मरोड़ और खिंचाव जैसी कई क्रियाएं होती हैं। इससे हमारे शरीर की थकान दूर होती है और हम हमेशा तरोताजा महसूस करते हैं। यदि आप नियमित रूप से योग करते हैं तो आपके शरीर में ऊर्जा का संचार होगा।

रोग मुक्त शरीर — योगाभ्यास शरीर को स्वस्थ बनाता है, क्योंकि यह हमें रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। हृदय रोग, मधुमेह और अस्थमा जैसी कई अन्य बीमारियों के लिए योग की सलाह दी जाती है। योग रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और श्वसन संबंधी विकारों को भी दूर करता है। इसलिए अगर आप रोजाना योग करेंगे तो आप स्वस्थ रहेंगे।

वजन पर काबू — दुनिया की अस्सी प्रतिशत आबादी मोटापे से ग्रस्त है। हालांकि योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करके हम मोटापे को नियंत्रित कर सकते हैं। योग करने से शरीर लचीला बनता है। यह हमारी मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करता है। यह हमारे पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है। योग फिट रहने का एक बेहतरीन तरीका है।

योग भारत के ऋषि-मुनियों द्वारा दिया गया एक अनमोल उपहार है। श्रीमदभगवतगिता में कहा गया है ‘समत्वह योग उच्यते’ अर्थात संभव ही योग कहलाता है। योग सिर्फ आसन नहीं है बल्कि यह बिना किसी खर्च के फ़िटनेस और वेलनेस की गारंटी भी देता है। योग प्रातःकाल में की जाने वाली क्रिया मात्र नहीं है बल्कि यह रोज़मर्रा के कार्यो को दक्षता और पूरी सतर्कता के साथ करने की शक्ति भी है। रोग से निरोग होने का मार्ग योग है। योग हमारी सोच,कार्य,ज्ञान और समर्पण को बल देता है और हम बेहतर बनते चले जाते हें। योग से हम न केवल स्वयं को अच्छे से जान पाते हें अपितु यह दूसरों को समझने में भी हमारी मदद करता है।