मनुष्य में दिमाग के दो हिस्से होते हैं एक ग्रे पदार्थ से बना होता है और दूसरा सफेद पदार्थ से. वैसे तो यह ग्रे पदार्थ खून की आवाजाही के कारण गुलाबी होता है, लेकिन इंसान के मरने के बाद यह ग्रे दिखाई देता है. जहां ग्रे पदार्थ हमारे दिमाग का 60 प्रतिशत हिस्सा होता है, वहीं सफेद पदार्थ केवल 40 प्रतिशत. ग्रे पदार्थ हमारे कई अहम कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है जैसे याद्दाश्त, सीखने की क्षमता, छूने, चखने, सूंघने, सुनने और देखने की संवेदनाओं को पहचानने, मासपेशियों पर नियंत्रण और खुद के बारे में सजगता. सफेद पदार्थ हमारे दिमाग के बाकी हिस्सों से संपर्क बनाए रखने का काम करता है. यह हमारे विचार और अंग संचालन में समन्वय का काम करता है.
योग से सेहत संवारने में थोड़ा वक्त जरूर चाहिए, लेकिन इसका असर रामबाण है. बदलती जीवनशैली से जो बीमारियां आम हो चुकी हैं उनको चंद आसन ठीक कर सकते हैं.योग में ऐसे आसन भी हैं, जिनसे रोग जिस्म पर सवार होने की हिम्मत नहीं कर सकता. योग विशेषज्ञ मीना सोंधी कहती हैं कि आसनों का असर इतना है कि दवाओं का सहारा लेने की जरूरत ही नहीं.स्वामी रामदेव के अनुसार अगर आपको गुस्सा अधिक आता हैं तो योग करे. जिससे आपका मन और मस्तिष्क शांत रहेगा.
40 की उम्र पार कर चुकी महिलाओं में खानपान की अनियमितता आदि से कैल्शियम की कमी हो जाती है. इसका नतीजा यह है कि घुटनों में दर्द और स्पांडलाइटिस की तकलीफ परेशान करने लगती है. इस आसन को करने से काफी लाभ होता है.
महिलाओं में गर्भाशय संबंधी समस्या और मांसपेशियों में खिंचाव इस आसन से दूर हो जाते हैं. नियमित आसन करने से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है.
हर उम्र के स्त्री-पुरुष के लिए लाभकारी हैं. इससे फेफड़ों और नर्वस सिस्टम ठीक रहते हैं.
सांस संबंधी दिक्कत, ब्लड प्रेशर और शुगर कंट्रोल में कारगर है. सभी कर सकते हैं.
योग, नेचर में मौजूद चीजों जैसे पेड़-पौधे, जीव-जंतुओं, आकृतियों, वस्तुओं से प्रेरणा लेकर आसन का निर्माण करता है. ये भारत के महान योग गुरुओं की हजारों सालों की तपस्या का ही फल है.आज इंसान जिन शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना कर रहा है, योग विज्ञान ने उन सभी समस्याओं का हल हजारों साल पहले बता दिया था. स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जाइटी और बायपोलर डिसऑर्डर जैसी तमाम समस्याएं हैं जो योग के अभ्यास से ठीक होती देखी गईं हैं.