लखनऊ जेल में बना अराजकता का माहौल

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लखनऊ जेल में बना अराजकता का माहौल।कैंटीन, मुलाकात, मशक्कत, हाता व एमएसके में मचा रखी लूट।भ्रष्टाचार में लिप्त लखनऊ अधीक्षक पर नहीं हो रही कोई कार्रवाई…!

राकेश यादव

लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस जेल बन्दियों का उत्पीडऩ कर जमकर वसूली की जा रही है। उत्पीडऩ से आजित आकर अवसाद में आने वाले कई बंदी आत्महत्या करने को विवश हो रहे है। शासन में बैठे आला अफसर मोटी रकम वसूल करने की वजह से घटनाओं के बाद भी दोषी जेल अधिकारियों को बचाने की कवायद में जुटे हुए है। इसको लेकर विभागीय कर्मियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि जेल अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों के हक पर डाका डालने वाले जेल अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने से शासन म बैठे आला अफसर भी कतरा रहे है।


राजधानी की लखनऊ जेल बीते करीब एक साल से घटनाओं को लेकर सुर्खियों में बनी हुई है। कभी जेल में वसूली को लेकर की गई पिटाई से अवसाद में आकर बन्दी आत्महत्या कर लेते है तो कभी रायटर बंदियों के बीच होने वाली मारपीट की घटना से जेल के गल्ला गोदाम में भारी मात्रा में नकदी की बरामदगी। सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों गल्ला गोदाम के रायटर बन्दी की मुखबरी पर जेल अधिकारियों ने खाली बोरो के गोदाम से 35 लाख के नोटों से भरा एक बोरा बरामद किया था। आनन फानन में अधिकारियों ने एक लाख 16 हजार की बरामदगी दिखाकर मिली मोटी रकम को मार दिया। मामला सुर्खियों में आने पर विभाग के मुखिया ने इसकी जांच तत्कालीन डीआईजी से कराई। उन्होंने भी कार्यवाही करने के बजाए ले-देकर पूरे मामले को ही रफादफा कर दिया था। यही नहीं जेल में बंगलादेशी बंदियों की ढाका से वाया कोलकाता होते हुए लखनऊ जेल मे होने वाली फंडिग के मामले को भी जांच के बाद अधिकारियों ने दबा दिया। इसके साथ ही बंगलादेशी कैदी की गलत रिहाई के मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह तो बानगी है इस प्रकार कई घटनाएं होने के बाद दोषी अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे अधिकारी बेलगाम हो गए है।


जेल में राशन कटौती, कैंटीन, मशक्कत, पीसीओ, एमएसके से प्रतिमाह 50 से 55 लाख रुपये की उगाही हो रही है। आलम यह है कि गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर सुरक्षा के बजाए राशन की घटतौली व कटौती में जुटे रहते है। कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में पचास से साठ फीसद कटौती कर प्रतिमाह 40 से 45 लाख रुपये का वारा न्यारा कर रहे है। यही काम यह अधिकारी सरसों का तेल, रिफाइंड व घी की खरीद में भी करते है। जेल अधीक्षक की रजामंदी से हो रही राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ व एमएसके की खरीद फरोख्त मद से जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है। इस सच की पुष्टि जेल में होने वाली खरीद फरोख्त के दस्तावेजो व बिलों से की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस मोटी कमाई का एक हिस्सा शासन में बैठे आला अफसरों के पास पहुँचाया जाता है। यही नही कमाई के लिए अधीक्षक मातहत अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों का हक तक मार देते है। तमाम घटनाओं के बाद भी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों (अधीक्षक) के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की जा रही है। उधर जेल मुख्यालय के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। जबकि हकीकत है कि कई मामलों की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी कोई कार्यवाही नही की गई है।