जानें भाजपा सरकार की घृणित कहानी…?

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देश में अब महंगाई ही “इवेंट” है !देश “महँगे मोदी-वाद” से पस्त और त्रस्त !भाजपा की चुनावी जीत बनी ‘‘लूट का लाइसेंस’’ !भाजपा सरकार का नए साल का उपहार – देश पर लादा  1,60,321 करोड़ रूपये का बोझ!अब मोदी सरकार का मंत्र है, ‘‘चुनावों में जीत है लूटने का लाइसेंस’’!मोदी सरकार द्वारा 1 अप्रैल से भारत की जनता पर लादी गई क्रूर, भारी और कमरतोड़ ‘मूल्य वृद्धि’ ने देश के हर परिवार का बजट बिगाड़ दिया है।‘‘महंगाई’’ हर व्यक्ति की रोजी-रोटी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।‘‘महंगाई’’ हर परिवार के जीवन व आजीविका पर हमला बोल रही है।‘‘महंगाई’’ हर नागरिक के जीवन का अभिशाप बन गई है।लेकिन…‘‘महंगाई’’ एक ‘‘दैनिक कार्यक्रम’’ बन गई है, जिसका जश्न भाजपा और मोदी सरकार द्वारा देश के नागरिकों का उपहास करने के लिए मनाया जा रहा है।क्योंकि… ‘‘मोदी है तो यही मुमकिन है’’!

अशोक सिंह


भाजपा-मोदी सरकार द्वारा इस ‘‘लूट, छल और ठगी’’ की घृणित कहानी इस प्रकार है-

1.  62 करोड़ किसानों को टैक्स के बोझ से लादाः मोदी सरकार किसान आंदोलन का बदला भारत के किसानों से लेने की कोशिश कर रही है। 50 किलोग्राम के डीएपी खाद के पैकेट का मूल्य 150 रु. प्रति बैग बढ़ाकर इसे 1200 रु. प्रति बैग से 1350 रु. प्रति बैग तक पहुंचा दिया गया है। भारत के किसान हर साल 1,20,00,000 टन (1.20 लाख करोड़ टन) डीएपी खाद का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए डीएपी खाद का मूल्य बढ़ने से देश के किसानों पर 3,600 करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
एनपीकेएस के 50 किलो के बैग में 110 रु. प्रति बैग की वृद्धि कर इसका मूल्य 1290 रु. से बढ़ाकर 1400 रु. प्रति बैग कर दिया गया है। इससे किसानों पर 3,740करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। 


2.   पेट्रोल-डीज़ल के मूल्य में रोज वृद्धि का ‘‘दैनिक गुड मॉर्निंग गिफ्ट’’- आज पिछले 16 दिनों में चौदहवीं बार पेट्रोल और डीज़ल के मूल्य बढ़ाए गए। पेट्रोल और डीज़ल का मूल्य भारत में पिछले 16 दिनों में 10 रु. प्रति लीटर (06.04.2022 के मुताबिक) बढ़ गया है।
भारत सरकार के ‘पेट्रोलियम प्लानिंग एवं एनालिसिस सेल’ के मुताबिक, साल 2020-21 में 27,969 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल का उपभोग हुआ था। पेट्रोल के मूल्य में 10 रु. प्रति लीटर की वृद्धि से देश के नागरिकों पर 27,969 करोड़ रु. का अतिरिक्त सालाना बोझ पड़ेगा।
भारत सरकार के ‘पेट्रोलियम प्लानिंग एवं एनालिसिस सेल’ के मुताबिक, साल 2020-21 में 72,713 हजार मीट्रिक टन डीज़ल का उपभोग हुआ था। डीज़ल के मूल्य में 10 रु. प्रति लीटर की वृद्धि से देश के नागरिकों पर 72,713 करोड़ रु. का अतिरिक्त सालाना बोझ पड़ेगा।
जब कांग्रेस-यूपीए की सरकार केंद्र में थी, उस समय पेट्रोल 71.41 रु. और डीज़ल 55.49 रु. प्रति लीटर हुआ करता था, जो आज लखनऊ में बढ़ाकर क्रमशः 105.25रु. प्रति लीटर और 96.83 रु. प्रति लीटर कर दिया गया है।
मई, 2014 में (जब भाजपा ने सत्ता संभाली) पेट्रोल पर एक्साईज़ ड्यूटी 9.20 रु. प्रति लीटर और डीज़ल पर एक्साईज़ ड्यूटी 3.46 रु. प्रति लीटर थी। पिछले आठ सालों में भाजपा सरकार ने पेट्रोल पर एक्साईज़ ड्यूटी में 18.70 रु. प्रति लीटर और डीज़ल पर एक्साईज़ ड्यूटी में 18.34 रु. प्रति लीटर की अतिरिक्त वृद्धि कर दी। यह डीज़ल और पेट्रोल पर एक्साईज़ ड्यूटी में क्रमशः 531 प्रतिशत और 203 प्रतिशत की चौंकानेवाली वृद्धि है।
मोदी सरकार ने अकेले पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर पिछले आठ सालों में 26,51,919 करोड़ रूपये का मुनाफा कमाया। भारत में कुल 26 करोड़ परिवार रहते हैं। अर्थात पिछले आठ सालों में मोदी सरकार ने भारत के प्रत्येक परिवार से 100,000 रूपये फियूल टैक्स के नाम से वसूला है।

3.  एलपीजी गैस सिलेंडर के मूल्य बढ़ाकर मारा गरीब की पीठ में चाबुकः 1 अप्रैल को कमर्शियल गैस सिलेंडर के मूल्य में 250 रु. प्रति सिलेंडर की बढ़ोत्तरी कर दी गई। पिछले 2 महीनों में कमर्शियल गैस सिलेंडर का मूल्य 346 रु. बढ़ाया गया। भाजपा के पिछले 8 सालों में, कमर्शिल एलपीजी सिलेंडर के मूल्य में 845 रु. की बढ़ोत्तरी हुई है।
घरेलू गैस सिलेंडर का मूल्य 22 मार्च को 50 रु. बढ़ाया गया। मार्च, 2021 से घरेलू गैस सिलेंडर के मूल्य में 140.50 रु. की बढ़ोत्तरी कर दी गई है। भारत सरकार के ‘पेट्रोलियम प्लानिंग एवं एनालिसिस सेल’ के मुताबिक, साल 2020-21 में 27,384 हजार मीट्रिक टन एलपीजी का उपयोग किया गया। प्रति सिलेंडर 140.50 रु. की मूल्यवृद्धि से देश के नागरिकों पर 27,095 करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। 


4.  कम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) पर हमलाः सीएनजी आम नागरिकों- ऑटो, टैक्सी, बस, ट्रक वालों और उन कार मालिकों का ईंधन है, जो महंगे पेट्रोल और डीज़ल का खर्च नहीं उठा सकते। अप्रैल 2021 से लेकर अब तक सीएनजी के दामों में 23.21 रूपये प्रति किलो की वृद्धि की गयी है। भारत सरकार के 2019-20 के सीएनजी उपयोग के आँकड़ों के अनुसार, भारत में 3,247 हजार मीट्रिक टन सीएनजी का उपयोग हुआ। इसके आधार पर, साल 2021-22 में 3,500 हजार मीट्रिक टन सीएनजी का उपयोग होने का अनुमान है। अर्थात पिछले एक साल में सीएनजी के दामों में 23.21 रूपये प्रति किलो वृद्धि के साथ देश के नागरिकों पर 8,124 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पडे़गा। 
5.  पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) के आसमान छूते मूल्यः 1 अप्रैल को पीएनजी के मूल्य में दिल्ली में 5 रु. प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर और नोएडा में 5.85 रु. प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर की वृद्धि कर दी गई। इससे पहले 24 मार्च को पीएनजी में दिल्ली में 1 रु. प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर की बढ़ोत्तरी की गई थी। पिछले एक माह में दिल्ली में पीएनजी का मूल्य 6 रु. प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर बढ़ाया गया। सरकार/पीएनजी कंपनियों के आँकड़ों के मुताबिक, एक औसत घर में 15 स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर पीएनजी हर माह इस्तेमाल होती है। भारत में पीएनजी के 89 लाख कनेक्शन हैं। इसके आधार पर प्रतिमाह 6 रु. प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर की वृद्धि से देश के लोगों पर 961.20 करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
6.  टोल टैक्स ने बढ़ाया लोगों की जेब पर भारः 1 अप्रैल से राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स 10 से 18 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। भारत सरकार द्वारा साल 2020-21 में 28,458 करोड़ रु. का वार्षिक टोल टैक्स एकत्रित किया गया था। साल 2021-22 में टोल टैक्स के बढ़कर 34,000 करोड़ रु. (श्री नितिन गडकरी के अनुसार) तक पहुंचने का अनुमान था। 18 प्रतिशत वृद्धि से राष्ट्रीय राजमार्गों पर सफर करने वाले लोगों पर 6,120 करोड़ रु. का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
7.   दवाइयों पर टैक्स – मरीजों पर टैक्सः मोदी सरकार ने तो बीमारों को भी नहीं बख़्शा। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने 1 अप्रैल से लगभग 800 जरूरी दवाइयों के मूल्यों में 10.76 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है। आम दवाईयां, जैसे पैरासिटामोल, बुखार की दवाईयां, एजिथ्रोमाईसिन,सिप्रोफ्लोक्सेसिन, मेट्रोनिडेज़ोल एवं कोविड-19 केयर, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, एनीमिया, त्वचा रोग की दवाईयां, मिनरल्स और विटामिन, सब के सब महंगे कर दिए गए हैं। उद्योग के अनुमानों के अनुसार इससे आम लोगों की जेब पर 10,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त भार पड़ेगा।


8.   घर का सपना – भारतीयों के लिए बना मृगतृष्णाः घर की कीमतें और घर बनाने की लागत में अप्रैल में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई। स्टील, सीमेंट, ईंटें, कॉपर, सैनिटरी फिटिंग, लकड़ी आदि सब महंगे हो गए। स्टील की कीमतें मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच 30 प्रतिशत बढ़ गईं; इसी अवधि में सीमेंट का मूल्य 22प्रतिशत, कॉपर एवं एलुमीनियम की लागत क्रमशः 40 प्रतिशत और 44 प्रतिशत बढ़ गई। स्टील के मूल्य 35 रु. प्रति किलोग्राम से 90 रु. प्रति किलोग्राम बढ़ गए। सीमेंट का बैग लगभग 100 रु. बढ़ गया।
9. होम लोन पर टैक्स डिडक्शन खत्म कियाः आईटी अधिनियम के सेक्शन 80ईईए के तहत पहली बार घर खरीदने वालों को होम लोन पर ब्याज के भुगतान के लिए 1.5 लाख रु. तक की अतिरिक्त टैक्स कटौती का लाभ मिलता था, जिसे मोदी सरकार ने अब खत्म कर दिया है।
10.  पीएफ खाते पर टैक्सः अब आपका रिटायरमेंट का पैसा भी सरकार की जेब में जाएगा। 1 अप्रैल, 2022 से ईपीएफ खाते में 2.5 लाख रु. से ज्यादा जमा करने पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लिया जाएगा। इससे पहले प्रॉविडेंट फंड की ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया था, जिससे लगभग 6.7 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे।
11. आधार-पैन लिंकिंगः 1 अप्रैल से आधार को पैन कार्ड से लिंक न किए जाने पर अप्रैल से जून माह के दौरान 500 रु. का जुर्माना और मार्च, 2023 तक 1,000 रु. का जुर्माना लिया जाएगा। जब नया पैन कार्ड बनवाने का खर्च 107 रु. और आधार कार्ड बनवाने का खर्च 100 रु. है, तो 500 रु. और 1000 रु. का जुर्माना लगाने का क्या आधार है?
12.  मोदी सरकार ने कार खरीदना किया महंगाः देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी जल्द ही एक बार फिर मूल्य बढ़ाने की घोषणा करेगी। जनवरी, 2021 के बाद मारुति सुजुकी चार बार मूल्य बढ़ाकर मूल्य में 9 प्रतिशत की वृद्धि कर चुकी है, यह एक साल में किसी कार निर्माता द्वारा की गई सबसे बड़ी मूल्य वृद्धि है। टाटा मोटर्स अपने कमर्शियल वाहनों का मूल्य 2.5 प्रतिशत बढ़ाएगी। टोयोटा ने 4 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि की घोषणा कर दी है। थर्ड-पार्टी मोटर इंश्योरेंस अब हो गया है और ज्यादा महंगा।
13. टीवी, एसी, रेफ्रिजरेटर, एलईडी, मोबाईल की कीमतों में लगी आगः1 अप्रैल से मोदी सरकार ने एलुमीनियम अयस्क और कॉन्सन्ट्रेट पर 30 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी है, जिसका उपयोग टेलीविज़न, एसी और रेफ्रिजरेटर हार्डवेयर बनाने में होता है। इसके अलावा, कंप्रेसर में इस्तेमाल होने वाले पाटर््स पर इंपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दी गई है, जिससे रेफ्रिजरेटर का मूल्य भी बढ़ जाएगा। एलईडी बल्ब बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और 6 प्रतिशत की रिइम्बर्समेंट ड्यूटी वसूली जाएगी। इसका परिणाम यह होगा कि एसी, टीवी, फ्रिज, एलईडी बल्ब के मूल्य 15 प्रतिशत और मोबाईल के मूल्य 20 से 30 प्रतिशत बढ़ जाएंगे।नागरिक के जीवन से जुड़ा कोई पहलू नहीं है, जिसमें मूल्यों में वृद्धि नहीं की गई है।इस प्रकार जनता की जेब पर डाका डालने की जिम्मेदार मोदी सरकार है! [/Responsivevoice]