जिम के नाम पर पार्कों का विनाश

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जिम के नाम पर पार्कों का विनाश
जिम के नाम पर पार्कों का विनाश

श्याम कुमार

शहरों में हरियाली से भरे पार्क फेफड़ों का काम करते हैं, क्योंकि उस हरियाली से क्षेत्र के लोगों को आॅक्सीजन मिलती है तथा इलाके में प्रदूषण कम होता है। लेकिन आजादी के बाद दीर्घकालीन कांग्रेसी शासन में नलकूप आदि लगाकर पार्कों की हरियाली को विनष्ट किया गया। तमाम अच्छे-भले आकर्षक पार्क उजाड़ दिए गए। जबकि जलापूर्ति के लिए पार्कों में नलकूप आदि लगाने के बजाय अन्यत्र जगहें तलाश की जानी चाहिए थीं तथा अन्य उपायों का सहारा लिया जाना चाहिए था।अब एक नया फितूर पार्कों में जिम लगाए जाने के नाम पर सामने आया है। इस फ़ितूर के परिणामस्वरूप हमारे पार्क हरियाली से परिपूर्ण पार्कों के बजाय अब ‘जिम पार्क’ का रूप ले लेंगे।यह कुकृत्य इस बात का भी ज्वलंत उदाहरण है कि अहंकार में चूर हमारी अफसरशाही शासन को बरगलाकर टैक्स के रूप में जनता से प्राप्त हुए धन की किस प्रकार बरबादी करती है!अफसरशाही द्वारा सरकार को बरगलाकर शहरों के पार्कों को ‘जिम पार्क’ में बदल देने की जो योजना इस समय कार्यान्वित की जा रही है, उससे पार्कों में हरियाली को तो क्षति पहुंचेगी ही, पार्कों में जिम की कसरतें करने के लिए शोहदों को इकट्ठा होने का अवसर भी मिल जाएगा। जिम के नाम पर पार्कों का विनाश


इस समय जो प्राइवेट जिमों का प्रचलन है, उनमें भारी शुल्क देकर लोग शरीर को हृष्टपुष्ट रखने के उद्देश्य से जाते हैं। उनमें शुल्क दे सकने वाले वे शोहदे भी होते हैं, जो अपने हृष्टपुष्ट शरीर से लड़कियों को रिझाने में समय लगाया करते हैं। लेकिन पार्कों में लगे जिम-उपकरणों के निःशुल्क इस्तेमाल की सुविधा हो जाएगी तो वहां अधिकतर गुंडे-शोहदों का ही वर्चस्व हो जाएगा। अभी पार्कों में जो स्त्री-पुरुष टहलने जाते हैं, उनके सामने गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी। वहां उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं रहेगी।थानों की पुलिस का यह हाल है कि जब से जहां भी पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हुई है, वहां पुलिस में सुनवाई और भी मुश्किल हो गई है। पुलिस का रूप बिलकुल बेलगाम हो गया है तथा पुलिस अधिकारी भी अफसरी अंदाज में डूबे रहते हैं।


गत १७ मार्च को सबेरे नौ बजे के लगभग अचानक कुछ लोग हमारी डायमंडडेरी कॉलोनी में आए और यहां स्थित नेताजी सुभाष पार्क में लगे हुए पेड़ों को उखाड़ने लगे। चूंकि मैं डायमंडडेरी कॉलोनी कल्याण समिति का अध्यक्ष हूं, इसलिए कॉलोनी के लोग भागे हुए मेरे पास आए और मुझे वहां ले गए। वहां मैंने पार्क में लगे पेड़ों को नष्ट किए जाने का विरोध किया। जो लोग पेड़ उखाड़ रहे थे, उनका मुखिया एक युवक सरदार था, जिसने बताया कि उसकी कंपनी को लखनऊ नगर निगम ने शहर के पार्कों में जिम बनाने के लिए ठेका दिया है, इसलिए वे लोग जिम हेतु चौदह बड़े उपकरण लगाने के वास्ते पार्क के पेड़ों को हटाकर वहां जिम के लिए प्लेटफार्म बना रहे हैं।


जब उन्होंने जिद पकड़ ली कि उन्हें जिम के लिए जगह बनानी ही है तो मैंने उन्हें पार्क में कुछ ऐसी जगहें दिखा दीं, जहां वे अपने उपकरणों को लगा सकेंगे। उसके बाद मैं विधानभवन व लोकभवन चला गया और जब वहां से लौटा तो देखा कि उन लोगों ने किसी की नहीं सुनी तथा अपने अनुसार पार्क में तमाम जगह पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हुए जिम के उपकरण लगाने के उद्देश्य से छोटे-छोटे प्लेटफार्म बना दिए हैं। जहां प्लेटफार्म बना दिए गए , वहां पर पेड़ लगाने के लिए मैं अनगिनत पत्र लिखकर लखनऊ नगर निगम, उत्तर प्रदेश उद्यान निदेशालय एवं वन विभाग से अनुरोध कर चुका हूं। किन्तु नए पेड़ तो लगाए नहीं गए, जिम के नाम पर पार्क में वर्तमान हरियाली को भी नष्ट करने का कुत्सित कदम उठाया गया।अभी तो मौजूदा पेड़ों को ही क्षति पहुंचाई गई है, जब सारे उपकरण लग जाएंगे तो यह पार्क हरियाली से भरा हुआ पार्क लगने के बजाय मात्र ‘जिम पार्क’ होकर रह जाएगा। पार्क में लोगों के टहलने के लिए जो भ्रमणपथ(पाथवे) बना हुआ है, वह भी निरर्थक हो जाएगा।शहर के पार्कों में जिम-उपकरण लगाने की योजना भले ही अच्छे उद्देश्य से बनाई गई हो, लेकिन उस योजना के दुष्परिणामों पर बिलकुल विचार नहीं किया गया है।


आश्चर्य नहीं कि उक्त योजना के पीछे लूटखसोट एवं कमीशनखोरी की भावना निहित हो।मुश्किल यह है कि बाद में जब इस योजना के कार्यान्वय की जांच होगी तो उसका हश्र भी वैसा ही होगा, जैसा अब तक हुई तमाम भ्रष्ट योजनाओं की जांच का हुआ है। जो लोग भ्रष्टाचार से मालामाल हो चुके होंगे, वे मूंछों पर ताव देते हुए निरद्वंद घूमते रहेंगे।उपर्युक्त जिम-योजना के बजाय पार्कों में योगासन सिखाए जाने से योजना बनाई जानी चाहिए। योगासन में शोहदों-गुंडों की रुचि नहीं हुआ करती है तथा पार्कों में यदि योगासन-केंद्र बनाए जाते हैं तो उनमें वही लोग आएंगे, जो अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के सत्तासीन होने के बाद हमारी जिन प्राचीन विद्याओं को बढ़ावा दिया गया है, उनमें आयुर्वेद, योगासन आदि भी हैं। बाबा रामदेव ने योगासन की जिस विलुप्त होती जा रही प्राचीन विद्या का पुनर्जागरण किया था, उसे मोदी सरकार ने बहुत बढ़ावा दिया। योगासन के प्रति लोगों में बचपन से ही रुचि पैदा की जानी चाहिए। इसी से मैं अनेक वर्षों से यह मांग कर रहा हूं कि हमारी षिक्षण-संस्थाओं में योगासन को अनिवार्य किया जाना चाहिए। जितना भारीभरकम खर्च जिम के महंगे उपकरणों को लगाने में किया जा रहा है, उतने खर्च पर योगासन के योग्य प्रशिक्षकों की व्यवस्था की जा सकती थी।


डायमंडडेरी कॉलोनी कल्याण समिति की मांग है कि कॉलोनी के नेताजी सुभाष पार्क में जिम के लिए बनाए गए प्लेटफार्मों को तत्काल हटाकर वहां पेड़ लगाए जाएं तथा पार्क में योगासन सिखाने की व्यवस्था की जाय। केवल डायमंडडेरी कॉलोनी के पार्क में ही नहीं, अन्य समस्त पार्कों में भी जिम खोलने के बजाय योगासन सिखाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस रूप में एक प्रकार से योगासन-क्रांति की शुरुआत हो जाएगी तथा क्षेत्रवासियों को अपने शरीर को स्वस्थ रखने का अवसर मिल जाएगा। योगासन ऐसी विधा है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है तथा बीमार पड़ने की संभावना कम हो जाती है। जिम के नाम पर पार्कों का विनाश