ठण्ड में योग से शरीर होगा एक्टिव

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ठण्ड में योग से शरीर होगा एक्टिव

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योगगुरू के0 डी0 मिश्रा

जनवरी का माह प्रारम्भ हो चुका है. ऐसे में में ठंड तेज होने लगी है. ऐसे मौसम में खुद को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी रहता है. इस मौसम में खुद को हेल्दी रखने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं. लोग अलग-अलग तरह के सूप और हर्बल टी भी ट्राई करते हैं. लेकिन, क्या आपको पता हैं कि सर्दियों में आप खुद को फिट रखने के लिए तरह-तरह के योग आसन ट्राई कर सकते हैं. यह ना केवल वजन कम करने में मदद करता है बल्कि शरीर में गर्माहट लाने में मदद करता है. तो चलिए जम आपको सर्दियों में 4 ऐसे योगासनों के बारे में बताने वाले हैं जिससे आपके शरीर को गर्माहट मिलेगी. यह शरीर को नेचुरली गर्म रखने में मदद करेंगे.

कड़ाके की ठंड पड़ रही है, बाहर निकलने पर बच्चे-बुजुर्ग और युवा ठंड की चपेट में आ रहे हैं। अक्सर कई बार ऐसी जगह पर होते हैं, जहां कंपकपी छूट रही होती है लेकिन अलाव आदि नहीं मिलता है। ऐसे में योग में कई ऐसे आसन है, जो शरीर को गर्म करके ठंड से बचाव करते हैं। शरीर को गर्म रखने के लिए कई प्रकार की यौगिक क्रियाएं अपनाई जा सकती हैं.सर्दियों में योग करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं. यह आपके श्वसन तंत्र को बढ़ाने और मजबूत करने में मदद करता है.

वशिष्ठासन

—– वशिष्ठासन —–


वशिष्ठासन को साइड प्लैंक पोज़ के नाम से भी जाना जाता है. इसे करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर योगा मैट बिछाएं और पैर सीधा करके बैठ जाएं. इसके बाद इसके बाद हाथ की ताकत की मदद से आप शरीर को अपनी तरफ उठाएं और शरीर 45 डिग्री कोण पर हो. इके बाद दूसरा पैर हवा में सीधा उठाएं और दूसरे पैर को फर्श पर टिका कर संपर्क करें. 20 सेकंड बाद पोज बदलें.

वशिष्ठासन योग बहुत ही फायदेमंद होता हैं. इसके अलावा यह योग आपके पेट की मांसपेशियों पर भी काम करता हैं. इस योग के दौरान आपको अपनी रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह सीधा रखना होता है जिसे आपकी पेट की मांसपेशियों पर जोर पड़ता हैं.

इसलिए यदि आप एक मजबूत कोर और एब्स चाहते हैं, तो साइड प्लैंक से शुरू करें.जब आप वशिष्ठासन योग को करते है तो आपको इसे करने के लिए अपने दोनों कूल्हों को फर्श से उठा कर रीढ़ की हड्डी की रेखा में करना पड़ता हैं. इससे आप श्रोणि तल की मांसपेशियों का भी उपयोग करते हैं. यह योग दोनों तरफ समान रूप से अभ्यास करने पर कूल्हों में स्थिरता लाने में मदद करेगा. जब कूल्हों में स्थिरता होती है और कोर की मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं, तो यह दोनों रीढ़ की हड्डी का समर्थन करते हैं.

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नौकासन

—– नौकासन —–


नौकासन को बोट पोज के नाम से जाना जाता है. इसे करने के लिए सबसे पहले आप दोनों पैरों को फैलाएं और ऊपर की तरफ उठाएं. इसके बाद पैरों की मदद से 45 डिग्री के कोण पैर फर्श से रहें. इसके बाद कमर को ऊपर की तरफ उठाएं. इसके बाद हाथ सीधा फैलाएं. ध्यान रखें कि आपकी पोजीशन n उल्टे A जैसी होनी चाहिए.नौकासन पेट की मांसपेशियों, कूल्हे, और रीढ़ को मजबूत करता है.यह बाहों, जांघों और कंधों की मांसपेशियों को मजबूत करता है.

गुर्दे, थायरॉयड और प्रोस्टेट ग्रंथियों और आंतों को उत्तेजित करता है.यह आपके दिमाग को शांति और तनाव दूर करने में मदद करता है.पाचन में सुधार करता है.नियमित रूप से अभ्यास करने पर पेट की चर्बी को जलाने का प्रभावी तरीका है.मुद्रा करते समय उत्तेजना आपके पाचन को बेहतर बनाने और नियंत्रित करने में मदद करती है, जिसमे गैस को कम करना और कब्ज को कम करना शामिल है.

शीर्षासन

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शीर्षासन के हेड स्टैंड भी कहा जाता है. इस योग को करने के लिए आप दीवार का सहारा भी लें सकते हैं. सबसे पहले अपनी कोहनियों को फर्श पर टिकाएं और सिर बीच में डाल दें. इसके बाद शरीर के नीचले शरीर खीचें और इसके बाद शरीर को दीवार के साथ सटा दें. इसके बाद खुद को संतुलित रखें और फिर दिवार को छोड़ खुद को संतुलित रखने की कोशिश करें. इसी पोजिशन में कम से कम 5 मिनट रहें.

शीर्षासन दिमाग़ को शांत करता है और तनाव और हल्के अवसाद से राहत देने में मदद करता है.शीर्षासन फेफड़ों की कार्यकौशलता बढ़ाता है. शीर्षासन पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों को उत्तेजित करता है.अस्थमा, बांझपन, अनिद्रा, और साइनस के लिए चिकित्सीय है. हाथों, टाँगों, और रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है.शीर्षासन से पाचन अंगों पर सकारात्मक असर होता है जिस से कब्ज़ में राहत मिलती है.

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शवासन

—– शवासन —–
शवासन को कॉर्प्स पोज भी कहा जाता है. इस आसन में शरीर को आराम देना होता है और शरीर पर ध्यान केंद्रित करना होता है. इस पर आपको सिर से पैरों की उंगलियों तक ध्यान केंद्रित करना होता है. इससे शरीर की सारा स्ट्रेस निकल जाता है. कोशिश करें की इस पोजीशन में कम से कम 10 मिनट रहें. यह शरीर के साथ-साथ मन को भी शांत करने में मदद करता है. शवासन ही एकमात्र ऐसा आसन है जिसे कोई भी, किसी भी समय और कैसे भी मनोभाव के साथ,मन,शरीर और आत्मा के अधिकतम स्वास्थ्य लाभ के लिए कर सकता है.

मानसिक तनाव,अवसाद,उच्च रक्तचाप,हृदय रोग और अनिद्रा के लिए यह आसन सर्वोत्तम है.इन मरीजों को नियमित रूप से शवासन करना चाहिए.शवासन अभ्यास से शरीर, मन, मस्तिष्क और आत्मा को पूर्ण आराम, शक्ति, प्रेरणा और खुशी मिलती है. शवासन के नियमित अभ्यास के साथ एकाग्रता शक्ति विकसित की जाती है.अन्य योग आसनों के बीच शवासन का अभ्यास शरीर की थकान को बहुत ही कम समय में दूर कर देता है.शवासन अभ्यास अपनी मांसपेशियों को आराम देता है.यदि आप न्यूरोलॉजिकल समस्या,अस्थमा,कब्ज,मधुमेह,अपचन से पीड़ित हैं तो शवासन अभ्यास आपके लिए बहुत अच्छा है.

भस्त्रिका

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भस्त्रिका में सांस तेजी से लेना होता है जिससे शरीर के अंदर गर्मी आती है. भस्त्रिका करने के लिए योग की पॉजीशन में बैठें और तेजी से सांस लेकर बाहर छोड़ें. इससे कुछ ही देर में शरीर गर्म हो जाएगा. कुछ लोगों को गर्मी भी लग सकती है, इसलिए पसीना आने पर इसे छोड़ देना चाहिए. भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है जिसके कारण यह शरीर के सभी अंगों से दूषित पदार्थों को दूर करता है. तेज गति से श्वास लेने और छोड़ने के क्रम में हम ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन लेते हैं और कॉर्बन डॉयऑक्साइड छोड़ते हैं. जो फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाता है.

हृदय में रक्त नलिकाओं को भी शुद्ध व मजबूत बनाए रखता है. भस्त्रिका प्राणायाम करते समय हमारा डायाफ्राम तेजी से काम करता है. जिससे पेट के अंग मजबूत होकर सुचारु रूप से कार्य करते हैं और हमारी पाचन शक्ति भी बढ़ती है.मस्तिष्क से संबंधित सभी विकारों को मिटाने के लिए भी यह लाभदायक है. आंख, कान और नाक के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी यह प्राणायाम लाभदाय है.वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते हैं तथा पाचन संस्थान, लीवर और किडनी की अच्छे से एक्सरसाइज हो जाती है.मोटापा, दमा, टीबी और श्वासों के रोग दूर हो जाते हैं.स्नायुओं से संबंधित सभी रोगों में यह लाभदायक माना गया है.

सर्दियों के मौसम में योग करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं. योग श्वसन तंत्र को बढ़ाने और मजबूत करने में मदद करता है.ठंड के मौसम में योग करने से मांसपेशियों में दर्द नहीं होता है। ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है. सर्दियों के मौसम में योग करने से त्वचा में भी निखार आता है। इनके अलावा ठंड के मौसम में योग करने से कई फायदे मिलते हैं.

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