कपालभाति प्राणायाम का कमाल

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कपालभाति प्राणायाम का कमाल
कपालभाति प्राणायाम का कमाल
मानव जीवन में कपालभाति प्राणायाम का महत्व
. योगगुरु के.डी. मिश्रा

योग आपके मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखने का बेहतरीन विकल्प है। कपालभाति प्राणायाम करने से पुराने से पुराना रोग भी सही हो जाता है। अगर आप बीमारियों से बचना चाहते हैं, तो कपालभाति जरूर कीजिए। यह स्वयं में परिपूर्ण है। अगर इसे कर लिया जाए, तो शायद ही आपको कोई और आसन करने की जरूरत पड़े। सुबह-सुबह केवल 5 मिनट कपालभाति करने से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। इसे करने से ब्लड सकुर्लेशन तो अच्छा होता है ही साथ ही दिमाग भी शांत रहता है। सांस,जीवन की महत्वपूर्ण शक्ति,मनुष्यों में होमियोस्टैसिस और भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्राणायाम द्वारा सकारात्मक रूप से नियंत्रित की जाती है। कपालभाति प्राणायाम की तेजी से सांस लेने की तकनीक है, जिसे विभिन्न बीमारियों का इलाज माना जाता है। कपालभाति प्राणायाम का कमाल

कमाल का कपालभाति प्राणायाम

जब आप कपालभाति प्राणायाम करते हैं तो आपके शरीर से 80 % विषैले तत्त्व बाहर जाती साँस के साथ निकल जाते हैं। कपालभाति प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से शरीर के सभी अंग विषैले तत्व से मुक्त हो जाते हैं। किसी भी तंदुरस्त व्यक्ति को उसके चमकते हुए माथे (मस्तक या सिर) से पहचाना जा सकता है। कपालभाति किसी तरह का प्राणायाम नहीं है यह एक क्लेजिंग टेक्नीक है। जिसे षट्कर्म के अनुसार योग में शामिल किया गया है। यदि सही तरीके से किया जाए, तो यह आपके दिमाग को शांत रखने के साथ 100 से भी ज्यादा बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। अपने इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए नियमित रूप से कपालभाति करना फायदेमंद साबित होता है। कपालभाति प्राणायाम एक शक्ति से परिपूर्ण प्राणायाम है, जो आपका वज़न कम करने में मदद करता है और आपके पूरे शरीर को संतुलित कर देता है।

कपालभाति प्राणायाम का कमाल

कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास से अभ्यासकर्ता का माथा, त्वचा चमकने लगती है और ललाट मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ जाती है। जैसे-जैसे आप इसका अभ्यास करते हैं, कुछ समय के बाद, आप सिर में हल्कापन और अपनी खोपड़ी को प्रकाश से भरते हुए महसूस कर सकते हैं। इसलिए, वे इसे “खोपड़ी चमकती सांस” या कपालभाति प्राणायाम कहते हैं। कपालभाति प्राणायाम को “ब्रीथ ऑफ फायर” भी कहा जाता है। कपालभाति में तेज़ और ज़ोरदार साँस छोड़ने के स्ट्रोक से शरीर में बहुत अधिक आंतरिक गर्मी पैदा होती है। यह गर्मी पसीने के रूप में शरीर से विषाक्त पदार्थों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालती है और CO2 को बाहर निकालती है। साथ ही आंतरिक गर्मी से त्वचा चमकती है, माथा चमकता है और पाचन बेहतर होता है।

कपालभाति का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है, मौजूदा शोध अभ्यास के कई लाभों का सुझाव देता है। भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में 2018 में किए गए एक अध्ययन में मानसिक स्वास्थ्य और श्वसन कार्यों पर कपालभाति के प्रभावों पर गौर किया गया। स्वयंसेवकों को 8 सप्ताह तक कपालभाति का अभ्यास करने के लिए कहा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और श्वसन दर, सकारात्मक सांस रोकने, महत्वपूर्ण क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव लाने में प्रभावी है।

एक अन्य अध्ययन में श्वसन प्रणाली पर कपालभाति प्राणायाम के प्रभावों का परीक्षण किया गया। यह अध्ययन स्वयंसेवकों की चरम निःश्वसन प्रवाह दर (पीईएफआर) को मापता है, जो इस बात का माप है कि कोई व्यक्ति कितनी तेजी से सांस छोड़ सकता है। अधिकतम निःश्वसन प्रवाह दर 6 सप्ताह से पहले और बाद में मापी गई। यह देखा गया कि जिन लोगों ने 6 सप्ताह तक कपालभाति का अभ्यास किया, उनमें पीईआरएफ में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। इससे साबित होता है कि कपालभाति प्राणायाम का नियमित अभ्यास आपके श्वसन अंगों को अधिक कुशलता से काम करता है और फेफड़ों को सांस लेने के लिए मजबूत बनाता है।

जानें कैसे करें कपालभाति

कपालभाति करने के लिए सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बनाएं। अब इसे अपने दोनों घुटनों पर रखें। गहरी सांस अंदर की ओर लें और झटके से सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें। ऐसा कुछ मिनट तक लगातार करते रहें। एक बार में इसे 35 से लेकर 100 बार करें। अगर आप कपालभाति की शुरुआत कर रहे हैं, तो 35 से शुरू करें और दिन के हिसाब से इसे बढ़ाते जाएं। कपालभाति करने के बाद थोड़ी देर तक ताली बजाएंगे, तो ज्यादा फायदे मिलेंगे। दोनों हाथों की उंगलियों को फैलाएं और तीन बार ताली बजाकर दोनों हाथों को कंधे के समान ले जाकर स्ट्रेच करें और फिर ताली बजाएं। यह प्रक्रिया कम से कम 10 बार दोहराएं और फिर स्पीड बढ़ा लें। अब दोनों हाथों को घुटनों पर रखेंगे तो आपको शरीर में वाइब्रेशन महसूस होगा। जो विषाक्त पदार्थों के बाहर निकलने का संकेत है। ये वाइब्रेशन आपके दिमाग को अच्छा फील कराने में मदद करेगा। इसे करने के बाद कुछ देर सुखासन में बैठकर अपने शरीर को ऑब्जर्व करें। धीरे -धीरे गहरी लंबी सांस लें और सांस छोड़ें।

जानें कपालभाति के फायदे

रोजाना कपालभाति करने से लिवर और किडनी से जुड़ी समस्या ठीक होती है। शरीर में ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए यह आसन बहुत फायदेमंद है। नियमित रूप से कपालभाति करने से आंखों के नीचे काले घेरों की समस्या खत्म हो जाएगी। आपके ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखने और मेटाबॉलिज्म में सुधार करने के लिहाज से कपालभाति बहुत फायदेमंद है। गैस और एसिडिटी की समस्या में ये बहुत लाभदायक है। इसमें सांस छोड़ने की प्रक्रिया करने से फफेड़े लंबे समय तक ठीक से काम करते हैं। कपालभाति करने से याददाश्त बढ़ती है और दिमाग भी तेजी से काम करता है। इस प्राणायाम को करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

​ कपालभाति करते समय क्या बरतें सावधानियां

कपालभाति करते समय अपनी सांस लेने की स्पीड को घटाए या बढ़ाए नहीं। एक समान रखें। इसे करते समय आपका पूरा ध्यान पेट के मूवमेंट पर होना चाहिए , सांसों पर नहीं। कपालभाति करते समय कंधे नहीं हिलने चाहिए। सांस अंदर लेते वक्त पेट बाहर की ओर और सांस छोड़ते वक्त पेट अंदर की ओर होना चाहिए। अगर आपको हार्निया , अल्सर , सांस की बीमारी या हाइपरटेंशन है, तो इसे करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।

कपालभाति डाइजेस्टिव सिस्‍टम को मजबूत बनाकर गैस, एसिडिटी, कब्‍ज जैसी समस्याओं में भी राहत देता है कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों, स्प्लीन, लीवर, पैनक्रियाज के साथ-साथ दिल के कार्य में सुधार करता है।

योग शरीर व मन का विकास करता है। इसके अनेक शारीरिक और मानसिक लाभ हैं परंतु इसका उपयोग किसी दवा आदि की जगह नही किया जा सकता यह आवश्यक है कि आप यह योगासन किसी प्रशिक्षित श्री योग प्रशिक्षक के निर्देशानुसार ही सीखें और करें। यदि आपको कोई शारीरिक दुविधा है तो योगासन करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी भी योगाचार्य प्रशिक्षक से अवश्य संपर्क करें। कपालभाति प्राणायाम का कमाल