सूचनाओं को लेकर मीडया के रास्ते पर यूपी नियुक्ति विभाग निरंतर अवरोध खड़ा कर रहा है। पिछले कुछ समय से सूचनाओं को छिपाने का अधिकृत चलन प्रधान हो गया है। आज भी ये सोंच निरंतर जारी है । गत वर्ष सवा सौ से अधिक उप जिलाधिकारियों के स्थानांतरण को नियुक्ति विभाग दबा बैठा था,उसका मूल कारण अनेक स्थानांतरण ऐसे थे जो स्वीकार सीमा तक नही जाते थे,बाद में उपर की कड़ी आपत्ति के बाद कुछ स्थानांतरण निरस्त तथा परिवर्तित करने पड़े थे। खेल में कुछ खेल जरूर है अन्यथा लोकतांत्रिक व्यवस्था में एकाकवादी प्रचलन का स्थान कैसे ग्राह्य कराया जा सकता है ? कैसे मीडिया को उसके अधिकारों से वंचित किया जा सकता है,कैसे आप सूचनाओं से जन-जन को विरक्त रखा जा सकता है ? क्या नियुक्ति विभाग अब एकाकवाद का संकल्प हो गया है,या संविधान से गठित चौथे स्तम्भ को अप्रसंगिग करने की ओर गतिमान है। आखिर स्थानांतरण की अधिकृत सूचनाएं क्यो विलोपित की जा रही है,क्या हम चीन में जी रहे है है जहां केवल ग्लोबल टाइम्स बोलता है।आखिर प्रेस पर यूपी का नियुक्ति विभाग मीडिया के अधिकारों का हनन क्यों कर रहा है?शायद व्यवस्था के संतुलित विकेंद्रीकरण की स्थापित अवधारणा उत्तर प्रदेश….?
9 IAS अधिकारियों के तबादले हुए
- सतेंद्र कुमार ज़िलाधिकारी महोबा बने ।
- अवधेश तिवारी विशेष सचिव APC बने ।
- राजशेखर कमिश्नर कानपुर बने।
- इनके स्थान पर धीरज साहू को परिवहन निदेशक का अतिरिक्त चार्ज मिला।
- मुकेश मेश्राम को प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति दिया गया।
- मुकेश मेश्राम के स्थान पर रंजन कुमार को कमिश्नर लखनऊ बनाया गया ।
- मुह्हमद मुस्तफ़ा को श्रम आयुक्त कानपुर बनाया गया ।